इंदौर। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में इंदौर सहित 8 सीटों पर 13 मई को मतदान हुआ. जहां खरगोन लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 75.79 प्रतिशत मतदान हुआ. वहीं, इंदौर इस मामले में 61.75 प्रतिशत मतदान के साथ फिसड्डी रहा. कांग्रेस के चुनावी दौड़ से बाहर होने व नोटा का प्रचार करने के बीच पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले यहां लगभग 7.5 प्रतिशत मतदान कम हुआ है. कांग्रेस के द्वारा नोटा का प्रचार करने के मामले पर भाजपा ने कहा कि इंदौर में मतदाताओं को नोटा दबाने की कांग्रेस की नकारात्मक अपील पसंद नहीं आई. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने दावा किया कि इंदौर सीट पर चाहे कोई भी उम्मीदवार जीते, नोटा एक नया रिकॉर्ड बनाएगा.
प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर हुआ मतदान
राज्य में आम चुनाव के चौथे और आखिरी चरण के दौरान सोमवार को इंदौर सहित प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ. भाजपा ने इंदौर लोकसभा से मौजूदा सांसद शंकर लालवानी को टिकट देकर मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अक्षय कांति बम को अपना प्रत्याशी घोषित किया था. लेकिन ऐन मौके पर बम नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद कांग्रेस ने नोटा को अपना समर्थन दिया था.
इंदौर में कम हुआ मतदान
जिला निर्वाचन कार्यालय के एक अधिकारी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि 25.27 लाख पात्र मतदाताओं में से 61.75 प्रतिशत लोगों ने सोमवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इंदौर लोकसभा सीट में 69.31 प्रतिशत मतदान हुआ था और 5045 मतदाताओं ने ईवीएम में नोटा का विकल्प चुना था. यानि इस चुनाव में 7.5 प्रतिशत कम मतदान हुआ है.
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मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता आलोक दुबे ने दावा किया कि इंदौर में मतदाताओं को कांग्रेस की नोटा दबाने की अपील पसंद नहीं आई और उन्होंने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी 10 लाख से अधिक वोटों के अंतर से इस सीट को जीतकर अपना कब्जा बरकरार रखेगी. हालांकि, प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने कहा, ''इंदौर सीट पर चाहे कोई भी उम्मीदवार जीते, नोटा एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाएगा.'' इंदौर लोकसभा सीट के 72 साल के इतिहास में पहली बार कांग्रेस चुनावी दौड़ से बाहर हुई है. हालांकि, इंदौर में पिछले 35 साल से कांग्रेस जीत की राह देख रही थी. इंदौर में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी के अलावा 13 अन्य उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे थे.