इंदौर: कैट के साइंटिस्ट को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है. बताया गया कि कैट वैज्ञानिक और उनकी पत्नी को 6 दिनों तक डिजिटल हाउस अरेस्ट कर रखा गया और उनसे 71 लाख 33 हजार रुपए की ठगी की गई. जब साइंटिस्ट को ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने पूरे मामले की शिकायत इंदौर क्राइम ब्रांच से की. फिलहाल इंदौर क्राइम ब्रांच इस पूरे मामले की जांच पड़ताल कर रही है.
ऐसे शुरू हुआ ठगी का खेल
इस घटना को लेकर कैट के सीनियर साइंटिस्ट और उनकी पत्नी ने डिजिटल अरेस्ट की शिकायत की थी और एक आवेदन पुलिस को दिया था. उन्होंने बताया, '' 1 सितंबर को मोबाइल में फोन आया और कहा गया था कि 18 अगस्त 2024 को दिल्ली से एक सिम कार्ड जारी हुआ है. जिससे गैर कानूनी विज्ञापन और महिला उत्पीड़न संबंधित एसएमएस भेजे जा रहे हैं. ठगों ने ट्राई के अफसर बनकर कहा कि जिस नंबर की शिकायत मिली है, वह उसी साइंटिस्ट का है. साथ ही उसने साइंटिस्ट से कहा कि यदि आपको इस गिरफ्तारी से बचाना है, तो अलग अलग डिपार्टमेंट के अधिकारियों को पैसे देने होंगे.''
डर के मारे 71 लाख से ज्यादा किए ट्रांसफर
ठगों द्वारा अधिकारी बनकर धमकाए जाने के बाद साइंटिस्ट ने पहले तो रुपए देने में आनाकानी की, जिसके बाद 6 दिनों तक उन्हें और उनकी पत्नी को लगातार ईडी, सीबीआई, आरबीआई, ट्राई और दिल्ली क्राइम ब्रांच के नाम पर फोन आने शुरू हो गए. इसके बाद वे इतने घबरा गए कि ठगों को 71 लाख 33 हजार रुपए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. पैसे ट्रांसफर करते ही धोखाधड़ी करने वालो ने अपना मोबाइल बंद कर लिया. इसके बाद साइंटिस्ट को ठगी की आशंका हुई तो उन्होंने अलग-अलग प्लेटफार्म पर इस बारे में सर्च करना शुरू किया. जहां उन्हें डिजिटल हाउस अरेस्ट के बारे में पता चला. इसके बाद उन्होंने सबसे पहले द्वारकापुरी पुलिस को इसकी शिकायत की और फिर पूरे मामले की जानकारी इंदौर क्राइम ब्रांच को दी गई.
23 बैंक अकाउंट में पैसे किए गए ट्रांसफर
इंदौर क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने कहा, '' मामले में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी है. इस मामले में जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी होगी. प्रारंभिक तौर पर पुलिस को यह भी जानकारी लगी है कि ठगी के बाद पैसे को 23 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया है.''
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क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल हाउस अरेस्ट या डिजिटल अरेस्ट एक साइबर फ्रॉड है. जिसमें किसी को भी डरा धमका कर उनसे ठगी की जाती है. पहले उन्हें किसी तरह से कानून आदि के पेच में झूठा फंसाते हैं. जिससे व्यक्ति खुद को एक बंधन में पाता है और अपराधी की बात मान लेता है और उसके कहे अनुसार काम करने को तैयार हो जाता है. यह धोखा अक्सर फोन कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया मैसेज के माध्यम से किया जाता है. वहीं, डिजीटल युग में बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइमिंग को भी डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है. जिसमें व्यक्ति लंबे-लंबे समय तक स्क्रीन से अलग नहीं हो पाता है.