इंदौर : इंदौर में अंगदान को लेकर लोगों में जागरुकता लगातार बढ़ रही है. अंगदान के मामले में इंदौर मध्यप्रदेश में नंबर एक है. एक बार फिर मरणोपरांत हुए अंगदान से 4 लोगों को नई जिंदगी मिली. अस्पताल के स्टाफ के साथ ही शहरवासियों ने मृतक को ससम्मान अंतिम विदाई दी. अंगदान के लिए बाकायदा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाता है. इंदौर में 60 से ज्यादा ग्रीन कॉरिडोर बन चुके हैं.
ब्रेनडेड घोषित होने के बाद परिजनों का फैसला
इंदौर में रहने वाले सुरेंद्र जैन को इलाज के लिए एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया. डॉक्टरों ने उनका ब्रेनडेड घोषित कर दिया. इसके बाद जब इंदौर ऑर्गन डोनेशन के सदस्यों को इस बारे में जानकारी लगी तो उन्होंने परिजनों से बातचीत की. उन्हें मृतक के अंग डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. इसके बाद परिजनों ने उनके अंग डोनेट कर दिए. मृतक के लिवर, दो हाथ, दो किडनी, आंख और त्वचा परिजनों ने डोनेट की.
डॉक्टरों ने मृतक के परिजनों की सराहना की
ऑर्गन डोनेट करने वाली संस्था के सदस्य जीतू बागवानी ने बताया "इस नेक कार्य से 4 लोगों को नया जीवन मिला. इससे पहले डॉक्टरों ने भी मृतक को अंतिम विदाई दी. मृतक के हाथ ग्लोबल हॉस्पिटल मुंबई के एक मरीज को लगाए गए तो वहीं लीवर जूपिटर हॉस्पिटल मुंबई में भर्ती एक मरीज को दिया गया." बता दें कि इंदौर में पहली बार दोनों हाथ दान किए गए हैं.
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इंदौर में अंगदान के लिए 60वीं बार बना ग्रीन कॉरिडोर
इसके अलावा एक किडनी चोइथराम हॉस्पिटल तो दूसरी किडनी राजश्री हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज को दी गई है. आंखें एमके इंटरनेशनल आई बैंक में सुरक्षित रखी गई हैं. उसे समय आने पर किसी को डोनेट की जाएंगी. इसी तरह से चोइथराम स्किन बैंक में स्किन को रखा गया है. बता दे इंदौर में 60वीं बार ग्रीन कॉरिडोर बना. 2015 से इंदौर में लगातार अंगदान के लिए ग्रीन कॉरिडोर बन रहे हैं.