ETV Bharat / state

ढहने की कगार पर था दुर्लभ ज्वालेश्वर मंदिर, मिला पहाड़ को 80 लाख और भव्य रूप लेंगे महादेव - Jwaleshwar temple renovation work

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 23, 2024, 11:58 AM IST

Updated : Aug 23, 2024, 1:41 PM IST

खरगोन के महेश्वर में स्थित ज्वालेश्वर महादेव मंदिर की तस्वीर अब बदलने वाली है, क्योंकि जनभागीदारी से इस मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य तेजी से चल रहा है. ये कार्य इंदौर संभाग आयुक्त दीपक सिंह की पहल पर शुरू हुआ है. जन सहयोग से बच गई होलकारों की ऐतिहासिक विरासत

MAHESHWAR JWALESHWAR MAHADEV TEMPLE
बदलने वाली है खरगोन के ज्वालेश्वर मंदिर की तस्वीर (ETV Bharat)

इंदौर/खरगोन: 17वीं शताब्दी में मराठों के द्वारा तैयार कराया गया खरगोन का ज्वालेश्वर महादेव मंदिर एक बार फिर अपने भव्य स्वरूप में नजर आएगा. जर्जर होकर धराशाई होने की कगार पर पहुंचा महेश्वर का ज्वालेश्वर महादेव मंदिर अब जन भागीदारी से जीर्णोद्वार के बाद फिर से संवर जाएगा. जनभागीदारी से इस मंदिर का ये कार्य कराया जा रहा है.

यहां दूर-दूर से आते हैं भक्त

दरअसल, पवित्र नर्मदा नदी के किनारे बने इस शहर के प्रत्येक मंदिर का वर्णन पुराणों, शास्त्रों और कविताओं में विस्तार से किया गया है. श्रावण, कार्तिक के महीनों के दौरान भक्त नर्मदा देवी और भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से आते हैं. वैसे तो नर्मदा तट पर हजारों मंदिर हैं, लेकिन उनमें से कुछ मंदिरों का विशेष स्थान है, जिसमें ज्वालेश्वर महादेव मंदिर का विशेष महत्व है, लेकिन देख-रेख के अभाव में यह मंदिर जर्जर हो रहा था.

Jwaleshwar temple renovation work
ढहने की कगार पर था यह मंदिर (ETV Bharat)

ढहने की कगार पर था यह मंदिर

नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह ऐतिहासिक धरोहर ढहने की कगार पर आ गया था. इस मंदिर की स्थिति जब इंदौर संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने देखी तो उन्होंने जनभागीदारी से मंदिर के जीर्णोद्धार का फैसला किया. इसके बाद 80 लाख रुपए जुटाए गए. फिलहाल इसी राशि से इस प्राचीन धरोहर का जीर्णोद्धार कार्य तेज गति से हो रहा है. महेश्वर एक धार्मिक, ऐतिहासिक, कलात्मक और स्थापत्य कला का केंद्र है. एक स्थानीय कहावत है नर्मदा नदी से निकलने वाला हर कंकर शंकर का रूप होता है.

लोगों के सहयोग से कराया जा रहा है जीर्णोद्वार

इंदौर संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने बताया कि ''ज्वालेश्वर महादेव मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जो एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है. इस मंदिर तक नर्मदा नदी के किनारे से एक छोटे से रास्ते से पहुंचा जा सकता है. देखरेख के अभाव में यह जर्जर हो रहा था. फिर लोगों के सहयोग से इसका जीर्णोद्वार कराया जा रहा है. मंदिर को नर्मदा नदी की बाढ़ से बचाने के लिए पत्थरों से 110 मीटर लंबाई के साथ 24 मीटर ऊंची व 4 मीटर चौड़ी गैबियन वॉल बनाई गई है. जीर्णोद्धार कार्य में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.''

ये भी पढ़ें:

16 सीढ़ी, 16 झरोखे, 16 गुम्बद और 16 स्तंभ, लंदन के सेंटपॉल चर्च जैसा अद्भुत है दाऊ मंदिर

बाबा महाकाल का अनोखा भक्त, सुरक्षा ड्यूटी पर लगा डॉग सोमवार को रखता है उपवास

ज्वालेश्वर महादेव मंदिर की मान्यताएं

लोगों के बीच मान्यताएं है कि जब भगवान शिव ने एक ही बाण से त्रिपुरा के किलेबंद शहर को नष्ट कर दिया था, तब उन्होंने इस स्थान पर नर्मदा देवी को अपने हथियार सौंपे थे. इस स्थान पर एक शिवलिंग प्रकट हुआ था. लोग यह भी बताते हैं कि भगवान शिव ने ज्वालेश्वर महादेव के रूप में प्रकट होकर जटाओं से गंगा की रक्षा की थी. वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है, उसका जीर्णोद्धार 17वीं शताब्दी में मराठों के मार्गदर्शन में किया गया था, जिसमें विस्तृत नक्काशीदार शिखर, दरवाजे व खिड़कियां और भी विशिष्ट वास्तु शिल्प का उदाहरण यहां देखने को मिलता है. यह मंदिर उत्कृष्ट घाटों और होलकर वास्तुकला का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है. इस स्थान से महेश्वरी नदी और नर्मदा नदी का संगम भी देखा जा सकता है. महाराष्ट्र के ठेकेदार पवन पवार का कहना है कि जनसहयोग से इस धरोहर को बचाना पुण्य का कार्य है.

इंदौर/खरगोन: 17वीं शताब्दी में मराठों के द्वारा तैयार कराया गया खरगोन का ज्वालेश्वर महादेव मंदिर एक बार फिर अपने भव्य स्वरूप में नजर आएगा. जर्जर होकर धराशाई होने की कगार पर पहुंचा महेश्वर का ज्वालेश्वर महादेव मंदिर अब जन भागीदारी से जीर्णोद्वार के बाद फिर से संवर जाएगा. जनभागीदारी से इस मंदिर का ये कार्य कराया जा रहा है.

यहां दूर-दूर से आते हैं भक्त

दरअसल, पवित्र नर्मदा नदी के किनारे बने इस शहर के प्रत्येक मंदिर का वर्णन पुराणों, शास्त्रों और कविताओं में विस्तार से किया गया है. श्रावण, कार्तिक के महीनों के दौरान भक्त नर्मदा देवी और भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से आते हैं. वैसे तो नर्मदा तट पर हजारों मंदिर हैं, लेकिन उनमें से कुछ मंदिरों का विशेष स्थान है, जिसमें ज्वालेश्वर महादेव मंदिर का विशेष महत्व है, लेकिन देख-रेख के अभाव में यह मंदिर जर्जर हो रहा था.

Jwaleshwar temple renovation work
ढहने की कगार पर था यह मंदिर (ETV Bharat)

ढहने की कगार पर था यह मंदिर

नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह ऐतिहासिक धरोहर ढहने की कगार पर आ गया था. इस मंदिर की स्थिति जब इंदौर संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने देखी तो उन्होंने जनभागीदारी से मंदिर के जीर्णोद्धार का फैसला किया. इसके बाद 80 लाख रुपए जुटाए गए. फिलहाल इसी राशि से इस प्राचीन धरोहर का जीर्णोद्धार कार्य तेज गति से हो रहा है. महेश्वर एक धार्मिक, ऐतिहासिक, कलात्मक और स्थापत्य कला का केंद्र है. एक स्थानीय कहावत है नर्मदा नदी से निकलने वाला हर कंकर शंकर का रूप होता है.

लोगों के सहयोग से कराया जा रहा है जीर्णोद्वार

इंदौर संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने बताया कि ''ज्वालेश्वर महादेव मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जो एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है. इस मंदिर तक नर्मदा नदी के किनारे से एक छोटे से रास्ते से पहुंचा जा सकता है. देखरेख के अभाव में यह जर्जर हो रहा था. फिर लोगों के सहयोग से इसका जीर्णोद्वार कराया जा रहा है. मंदिर को नर्मदा नदी की बाढ़ से बचाने के लिए पत्थरों से 110 मीटर लंबाई के साथ 24 मीटर ऊंची व 4 मीटर चौड़ी गैबियन वॉल बनाई गई है. जीर्णोद्धार कार्य में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.''

ये भी पढ़ें:

16 सीढ़ी, 16 झरोखे, 16 गुम्बद और 16 स्तंभ, लंदन के सेंटपॉल चर्च जैसा अद्भुत है दाऊ मंदिर

बाबा महाकाल का अनोखा भक्त, सुरक्षा ड्यूटी पर लगा डॉग सोमवार को रखता है उपवास

ज्वालेश्वर महादेव मंदिर की मान्यताएं

लोगों के बीच मान्यताएं है कि जब भगवान शिव ने एक ही बाण से त्रिपुरा के किलेबंद शहर को नष्ट कर दिया था, तब उन्होंने इस स्थान पर नर्मदा देवी को अपने हथियार सौंपे थे. इस स्थान पर एक शिवलिंग प्रकट हुआ था. लोग यह भी बताते हैं कि भगवान शिव ने ज्वालेश्वर महादेव के रूप में प्रकट होकर जटाओं से गंगा की रक्षा की थी. वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है, उसका जीर्णोद्धार 17वीं शताब्दी में मराठों के मार्गदर्शन में किया गया था, जिसमें विस्तृत नक्काशीदार शिखर, दरवाजे व खिड़कियां और भी विशिष्ट वास्तु शिल्प का उदाहरण यहां देखने को मिलता है. यह मंदिर उत्कृष्ट घाटों और होलकर वास्तुकला का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है. इस स्थान से महेश्वरी नदी और नर्मदा नदी का संगम भी देखा जा सकता है. महाराष्ट्र के ठेकेदार पवन पवार का कहना है कि जनसहयोग से इस धरोहर को बचाना पुण्य का कार्य है.

Last Updated : Aug 23, 2024, 1:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.