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IIT इंदौर करेगा इंडिया को अल्जाइमर फ्री, AI से रोग शुरू होते ही होगा खत्म, वर्ल्ड क्लास किट तैयार - IIT Indore patent Alzheimer kit

आईआईटी इंदौर को एक मेडिकल किट का पेटेंट मिला है. संस्थान द्वारा तैयार की गई यह किट अल्जाइमर रोग के वायरस की पहचान शुरुआती दौर में ही कर लेगी. इसकी मदद से अल्जाइमर रोगियों को बिमारी के शुरुआत में इलाज मिल जायेगा जिससे उनकी जान बचाई जा सकती है.

IIT INDORE PATENT ALZHEIMER KIT
आईआईटी इंदौर को अल्जाइमर किट का पेटेंट मिल गया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 10:29 AM IST

Updated : Jul 3, 2024, 3:05 PM IST

इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर को अल्जाइमर रोग के शुरुआती चरण का पता लगाने के लिए जांच किट का पेटेंट मिल गया है. यह पेटेंट जुलाई 2021 से अगले 20 सालों तक मान्य रहेगा. आईआईटी इंदौर की यह शोध उन लोगों की स्क्रीनिंग में उपयोगी साबित होगी जो अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हो जाते हैं और उनको बीमारी का पता अंतिम समय में चलता है और तब इलाज मुश्किल हो जाता है.

IIT INDORE DEVELOPE ALZHEIMER KIT
अल्जाइमर का पता लगाने वाली किट तैयार करने वाली IIT इंदौर की टीम (ETV Bharat)

अल्जाइमर रोग का शुरुआत में ही पता लगा लेगी किट

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर द्वारा लगातार विभिन्न विषयों पर शोध किया जा रहा है. हाल ही में आईआईटी इंदौर ने एक किट तैयार की है जो अल्जाइमर रोग के शुरुआती चरण में पता लगाने में मदद करेगी. यह किट वायरल काउंटरपार्ट की प्राइमरी आधारित पहचान के साथ-साथ स्क्रीनिंग के लिए स्पेशल वायरल पेप्टाइड से प्रेरित एंटीबॉडी-आधारित जांच का उपयोग करती है. वर्तमान में इन जटिल तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए कोई स्क्रीनिंग विधि उपलब्ध नहीं है. यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है इसलिए इसका उपचार कठिन हो जाता है और एक बार पूरे शरीर में गंभीर रुप से फैल जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है. इसलिए अगर बिमारी के शुरूआत में ही इसका पता चल जायेगा तो इसका इलाज किया जा सकता है और रोगी को ठीक किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें:

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यह योजना संस्थान द्वार पोषित है

अल्जाइमर के वायरस को शुरुआती चरण में पता लगाने की तकनीक विकसित करने का काम बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेम चंद्र झा के नेतृत्व में किया जा रहा है. साथ में दीक्षा तिवारी और अन्नू रानी हैं. आईआईटी इंदौर अब इस किट के व्यवसायीकरण पर काम कर रहा है जो उभरती हुई स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकताओं को पूरा करेगा. यह योजना वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित है.

अल्जाइमर का पता ऐसे चलेगा

इस तकनीक की मदद से अल्जाइमर की शुरुआती स्टेज में पता लगाने के लिए AI आधारित सॉफ्टवेयर अल्गोरिदम के जरिए किसी भी व्यक्ति को सालाना चेकअप में मस्तिष्क का एक बार एमआरआई स्कैन करवाना होगा. एमआरआई स्कैन से जो डाटा प्राप्त होगा उसे इस एआई प्रोग्राम में डाला जाएगा. इसके बाद उस व्यक्ति को तीन स्टेज में रखा जाएगा. स्वस्थ, माइल्ड कॉग्निटिव डिसऑर्डर और अल्जाइमर डिजीज. इसके बाद जो डाटा प्राप्त होगा उससे अल्जाइमर होने की आशंका की जानकारी मिल जायेगी. इसके बाद डॉक्टर उसका उपचार कर सकेंगे. प्रो.तनवीर ने बताया कि, "अक्सर अल्जाइमर का पता 60-65 की उम्र में चलता है और तब तक काफी देर हो चुकी होती है. रोगी के इलाज की गुंजाईश न के बराबर रहती है. वहीं अगर यही डायग्नोसिस पहले हो जाए तो इस बीमारी को रोका जा सकता है."

इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर को अल्जाइमर रोग के शुरुआती चरण का पता लगाने के लिए जांच किट का पेटेंट मिल गया है. यह पेटेंट जुलाई 2021 से अगले 20 सालों तक मान्य रहेगा. आईआईटी इंदौर की यह शोध उन लोगों की स्क्रीनिंग में उपयोगी साबित होगी जो अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हो जाते हैं और उनको बीमारी का पता अंतिम समय में चलता है और तब इलाज मुश्किल हो जाता है.

IIT INDORE DEVELOPE ALZHEIMER KIT
अल्जाइमर का पता लगाने वाली किट तैयार करने वाली IIT इंदौर की टीम (ETV Bharat)

अल्जाइमर रोग का शुरुआत में ही पता लगा लेगी किट

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर द्वारा लगातार विभिन्न विषयों पर शोध किया जा रहा है. हाल ही में आईआईटी इंदौर ने एक किट तैयार की है जो अल्जाइमर रोग के शुरुआती चरण में पता लगाने में मदद करेगी. यह किट वायरल काउंटरपार्ट की प्राइमरी आधारित पहचान के साथ-साथ स्क्रीनिंग के लिए स्पेशल वायरल पेप्टाइड से प्रेरित एंटीबॉडी-आधारित जांच का उपयोग करती है. वर्तमान में इन जटिल तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए कोई स्क्रीनिंग विधि उपलब्ध नहीं है. यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है इसलिए इसका उपचार कठिन हो जाता है और एक बार पूरे शरीर में गंभीर रुप से फैल जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है. इसलिए अगर बिमारी के शुरूआत में ही इसका पता चल जायेगा तो इसका इलाज किया जा सकता है और रोगी को ठीक किया जा सकता है.

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अल्जाइमर के वायरस को शुरुआती चरण में पता लगाने की तकनीक विकसित करने का काम बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेम चंद्र झा के नेतृत्व में किया जा रहा है. साथ में दीक्षा तिवारी और अन्नू रानी हैं. आईआईटी इंदौर अब इस किट के व्यवसायीकरण पर काम कर रहा है जो उभरती हुई स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकताओं को पूरा करेगा. यह योजना वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित है.

अल्जाइमर का पता ऐसे चलेगा

इस तकनीक की मदद से अल्जाइमर की शुरुआती स्टेज में पता लगाने के लिए AI आधारित सॉफ्टवेयर अल्गोरिदम के जरिए किसी भी व्यक्ति को सालाना चेकअप में मस्तिष्क का एक बार एमआरआई स्कैन करवाना होगा. एमआरआई स्कैन से जो डाटा प्राप्त होगा उसे इस एआई प्रोग्राम में डाला जाएगा. इसके बाद उस व्यक्ति को तीन स्टेज में रखा जाएगा. स्वस्थ, माइल्ड कॉग्निटिव डिसऑर्डर और अल्जाइमर डिजीज. इसके बाद जो डाटा प्राप्त होगा उससे अल्जाइमर होने की आशंका की जानकारी मिल जायेगी. इसके बाद डॉक्टर उसका उपचार कर सकेंगे. प्रो.तनवीर ने बताया कि, "अक्सर अल्जाइमर का पता 60-65 की उम्र में चलता है और तब तक काफी देर हो चुकी होती है. रोगी के इलाज की गुंजाईश न के बराबर रहती है. वहीं अगर यही डायग्नोसिस पहले हो जाए तो इस बीमारी को रोका जा सकता है."

Last Updated : Jul 3, 2024, 3:05 PM IST
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