इंदौर: हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एक दहेज के मामले को लेकर दायर याचिका को रद्द कर दिया. महिला ने अपने पति की मौत के बाद अपने सास-ससुर व ननद पर दहेज लेने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. सोमवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केस रद्द करने का फैसला सुनाया. न्यायालय ने महिला पर कानून का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया.
पति की मौत के बाद महिला ने मुकदमा दर्ज कराया
इंदौर में एक महिला ने अपने सास-ससुर व ननद के खिलाफ दहेज लेने की शिकायत दर्ज कराई थी. महिला के ससुर रामदयाल पाटीदार ने शिकायत को चुनौती देते हुए इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उन्होंने याचिका में उल्लेख किया था कि, 2020 में उनके बेटे दीपेश की शादी हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद ही हार्ट अटैक से दीपेश की मौत हो गई. बेटी इंदौर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है. उनकी बहू, बेटे की मौत के बाद संपत्ति में बंटवारे के लिए रोज विवाद करने लगी. प्रॉपर्टी बटवारा नहीं करने पर उसने दहेज के आरोप में फंसा देने की धमकी भी दी. महिला ने इसके कुछ दिनों बाद ही अपनी सास, ससुर व ननद के खिलाफ दहेज लेने के आरोप में शिकायत दर्ज करा दी.
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'महिला द्वार कानून का दुरुपयोग किया गया'
याचिकाकर्ता रामदयाल ने पुलिस पर बिना किसी जांच पड़ताल के उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लेने का आरोप भी लगाया. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि जब तक शिकायतकर्ता महिला का पति जीवित था तब तक उसने किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई, लेकिन पति की मौत होने के बाद उसने दहेज का मामला दर्ज करा दिया. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि, महिला द्वारा कानून का दुरुपयोग किया गया है. जिस वजह से मुकदमे को निरस्त किया जाता है.