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पति पर बेबुनियाद चारित्रिक लांछन लगाना क्रूरता, कोर्ट ने कहा- पत्नी गुजारा भत्ता की नहीं हकदार - indore family court petition reject

एमपी के इंदौर की फैमिली कोर्ट ने एक महिला की गुजारा भत्ता मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि पति पर गलत तरीके से चरित्र को लेकर आरोप लगाया क्रूरता है.

INDORE FAMILY COURT PETITION REJECT
पत्नी की गुजारा भत्ता वाली याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा-पति पर बेबुनियाद चारित्रिक दोष लगाना क्रूरता
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 8:07 PM IST

Updated : Mar 29, 2024, 8:17 PM IST

इंदौर। एमपी के इंदौर की फैमिली कोर्ट ने एक पत्नी को गुजारा भत्ता देने की याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा की पत्नी द्वारा पति पर चरित्रहीन के लांछन लगाए जा रहे थे. बिना किसी आधार के इस तरह के आरोप या लांछन नहीं लगना चाहिए. इन झूठे आरोपों को देखते हुए कोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने से पति को इनकार कर दिया है और याचिका को खारिज कर दिया है.

पति पर बेबुनियाद चारित्रिक आरोप लगाना क्रूरता

इंदौर की फैमिली कोर्ट ने एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही यह भी टिप्पणी की है कि बिना किसी आधार के पति पर चारित्रिक दोष लगाना क्रूरता है. फैमिली कोर्ट में याचिका दायर करने वाली महिला अपने पति से तकरीबन ढाई साल से अलग रह रही है. जहां याचिका के माध्यम से उसने पति से हर महीने 20000 का गुजारा भत्ता की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने हर पक्षों पर सुनवाई करते हुए 7 मार्च को महिला की अर्जी को खारिज कर दिया. साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि बिना किसी तथ्यों के आधार पर पत्नी द्वारा जिस तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं, वह क्रूरता की श्रेणी में आते हैं. इस तरह के पति पर आरोप लगाना क्रूरता है.

INDORE FAMILY COURT PETITION REJECT
कोर्ट ने खारिज की याचिका

दोनों बच्चों का भरण पोषण दे रहा था पति

साथ ही कोर्ट के समक्ष नगर निगम में कार्यरत पति ने यह भी जानकारी दी कि पत्नी सिलाई का काम करती है. 2007 में उनकी शादी हुई थी, लेकिन शादी के कुछ ही साल बाद वह अलग रहने लगी. फिर 2021 में उसने पति और सास-ससुर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का प्रकरण दर्ज करवा दिया. इसमें पति के अवैध संबंधों की जानकारी का जिक्र नहीं किया. इसी के साथ इस तरह के आरोप लगाकर पत्नी अपने पति से अलग रह रही थी. वहीं दंपति के दो बच्चे भी हैं. जिसमें एक 13 वर्षीय बेटा और 9 वर्षीय बेटी है. जिनका भरण पोषण का काम पति द्वारा किया जा रहा है.

यहां पढ़ें...

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बालाघाट SP ने आदेश को गंभीरता से नहीं लिया, डीजीपी खुद जांच करें, हाईकोर्ट का आदेश

कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने की याचिका की खारिज

फिलहाल इन तमाम तरह के तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने महिला की याचिका को खारिज करते हुए गुजारा भत्ता देने से पति को इनकार कर दिया है. वहीं पति की ओर से पैरवी एडवोकेट प्रीति मेहना द्वारा की गई थी. कोर्ट के समक्ष एडवोकेट प्रीति मेहना ने ही विभिन्न तरह के तर्क रखे और उसी के आधार पर कोर्ट ने संबंधित महिला की याचिका को खारिज कर दिया.

इंदौर। एमपी के इंदौर की फैमिली कोर्ट ने एक पत्नी को गुजारा भत्ता देने की याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा की पत्नी द्वारा पति पर चरित्रहीन के लांछन लगाए जा रहे थे. बिना किसी आधार के इस तरह के आरोप या लांछन नहीं लगना चाहिए. इन झूठे आरोपों को देखते हुए कोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने से पति को इनकार कर दिया है और याचिका को खारिज कर दिया है.

पति पर बेबुनियाद चारित्रिक आरोप लगाना क्रूरता

इंदौर की फैमिली कोर्ट ने एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही यह भी टिप्पणी की है कि बिना किसी आधार के पति पर चारित्रिक दोष लगाना क्रूरता है. फैमिली कोर्ट में याचिका दायर करने वाली महिला अपने पति से तकरीबन ढाई साल से अलग रह रही है. जहां याचिका के माध्यम से उसने पति से हर महीने 20000 का गुजारा भत्ता की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने हर पक्षों पर सुनवाई करते हुए 7 मार्च को महिला की अर्जी को खारिज कर दिया. साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि बिना किसी तथ्यों के आधार पर पत्नी द्वारा जिस तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं, वह क्रूरता की श्रेणी में आते हैं. इस तरह के पति पर आरोप लगाना क्रूरता है.

INDORE FAMILY COURT PETITION REJECT
कोर्ट ने खारिज की याचिका

दोनों बच्चों का भरण पोषण दे रहा था पति

साथ ही कोर्ट के समक्ष नगर निगम में कार्यरत पति ने यह भी जानकारी दी कि पत्नी सिलाई का काम करती है. 2007 में उनकी शादी हुई थी, लेकिन शादी के कुछ ही साल बाद वह अलग रहने लगी. फिर 2021 में उसने पति और सास-ससुर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का प्रकरण दर्ज करवा दिया. इसमें पति के अवैध संबंधों की जानकारी का जिक्र नहीं किया. इसी के साथ इस तरह के आरोप लगाकर पत्नी अपने पति से अलग रह रही थी. वहीं दंपति के दो बच्चे भी हैं. जिसमें एक 13 वर्षीय बेटा और 9 वर्षीय बेटी है. जिनका भरण पोषण का काम पति द्वारा किया जा रहा है.

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कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने की याचिका की खारिज

फिलहाल इन तमाम तरह के तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने महिला की याचिका को खारिज करते हुए गुजारा भत्ता देने से पति को इनकार कर दिया है. वहीं पति की ओर से पैरवी एडवोकेट प्रीति मेहना द्वारा की गई थी. कोर्ट के समक्ष एडवोकेट प्रीति मेहना ने ही विभिन्न तरह के तर्क रखे और उसी के आधार पर कोर्ट ने संबंधित महिला की याचिका को खारिज कर दिया.

Last Updated : Mar 29, 2024, 8:17 PM IST
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