इंदौर: देवी अहिल्या विश्वविद्यालय छात्रों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए परीक्षा से जुड़ी एक व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन करने जा रहा है. डीएवीवी परीक्षा प्रक्रिया के बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में से एक मूल्यांकन कार्य को ऑनलाइन करने की तैयारी कर रहा है. व्यवस्था में बदलाव को लेकर डीएवीवी में प्रोफेसर अधिकारी कर्मचारियों की ट्रेनिंग भी हुई है. यह प्रक्रिया पायलेट प्रोजेक्ट के तहत की जाएगी.
आंस शीट्स का ऑनलाइन होगा मूल्यांकन
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के मूल्यांकन और परिणाम को लेकर कई बार परेशानी की स्तिथियां छात्रों के सामने निर्मित होती हैं. मूल्यांकन कार्य में देरी के कारण परिणामों में भी देरी होती है. इसी को देखते हुए अब विश्वविद्यालय ने पहली बार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बीसीए फर्स्ट ईयर की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन ऑनलाइन होगा.
शिक्षकों से माध्यम से लिए जा रहे हैं फीडबैक
विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षाओं के बाद उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर अक्सर शिकायतें मिलती हैं. इससे निपटने के लिए डीएवीवी ऑनलाइन मूल्यांकन पर विचार कर रहा है. विश्वविद्यालय इसके लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर कंपनियों के माध्यम से तैयारी भी कर रहा है. जल्द ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. ट्रेनिंग के दौरान शिक्षकों को आने वाली समस्या का निराकरण भी शुरुआत से पूर्व किया जाएगा.
व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से होगी शुरुआत
ऑनलाइन मूल्यांकन कार्य पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरुआत में व्यावसायिक पाठ्यक्रम बीसीए, बीबीए, एमबीए कोर्सेस में लागू किया जाएगा. इसमें सफलता के पश्चात विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा इसे परंपरागत कोर्स में लाया जाएगा. दरअसल, परंपरागत कोर्स में विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या बहुत अधिक है. इसी को ध्यान में रखते हुए इसे दूसरे चरण में शामिल किए जाने का फैसला लिया जा रहा है. वर्तमान समय में देश के कई विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन मूल्यांकन का कार्य किया जा रहा है, जिससे परीक्षा के बाद परिणाम के समय में काफी कमी आई है.
सुरक्षा के सभी पहलुओं का रखा जाएगा ध्यान
असिस्टेंट रजिस्ट्रार डॉ. विष्णु मिश्रा ने कहा, ''इस ऑनलाइन मूल्यांकन कार्य के लिए सुरक्षा और गोपनीयता के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है. इनमें मूल्यांकन पूर्व उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैनिंग कोडिंग, कंप्यूटर पर अपलोडिंग, लॉगिन, फेस रिकग्निशन फीचर जैसे पहलू शामिल किए गए हैं. इसके लिए हमने एमपी ऑनलाइन के जरिए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम भी कराया था. इस दौरान हमने फीड़बैक लिया था. इसमें उत्तर पुस्तिका चेक करने वाला व्यक्ति कहीं से भी कंप्यूटर पर कॉपी चेक कर सकता है. इससे उसे सेंटर तक नहीं आना होगा.''