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खतरा बन सकता है ब्रेथ एनालाइजर, इसके इस्तेमाल पर प्रशासन और विशेषज्ञ की राय - INDORE BREATHALYZER INFECTION RISK

चेकिंग के दौरान ब्रेथ एनालाइजर के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा रहता है. पढ़िए क्या कहते हैं इंदौर के विशेषज्ञ और एडिशनल डीसीपी.

BREATH ANALYSER INFECTION RISK
खतरा बन सकता है ब्रेथ एनालाइजर (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

इंदौर: मध्य प्रदेश में नशे पर लगाम लगाने प्रशासन हर मुमकिन कोशिश कर रही है. सड़कों पर आने-जाने वालों की चेकिंग से लेकर माफियाओं और बदमाशों की धरपकड़ कर रही है. आपने देखा होगा कि पुलिस दिन-रात सड़कों पर तैनात होकर नशा करके ड्राइव करने वालों की चेकिंग करती है, जिसे ब्रेथ एनालाइजर कहा जाता है. ब्रेथ एनालाइजर के जरिए चेक करती है कि कोई शख्स ड्रिंग करके ड्राइव तो नहीं कर रहा. अगर ऐसा होता है, तो वह ड्रिंग एंड ड्राइव का केस चलाती है. क्या आप जानते हैं कई बार ऐसे ब्रेथ एनालाइजर घातक भी हो सकते हैं.

ब्रेथ एनालाइजर बन सकता है घातक

आपको बता दें ब्रेथ एनालाइजर के जरिए प्रशासन सड़कों पर आने-जाने वाले लोगों को चेक करती है. सड़कों पर जा रहे लोगों को रोककर पुलिस उस ब्रेथ एनालाइजर मशीन को मुंह में लगाकर फूंक मारने कहती है, जिसके बाद मशीन में यह स्पष्ट होता है कि सामने वाले शख्स ने नशा किया है नहीं. अगर वह ड्रिंक किए हुए होते हैं, तो ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है. इस मशीन को अगर बिना सेनेटाइज किए ऐसे ही लोगों को मुंह में लगाकर चेक किया जाए तो संक्रमण फैलने का खतरा होता है.

ब्रेथ एनालाइजर पर विशेषज्ञ की राय (ETV Bharat)

क्या बोले सांस रोग विशेषज्ञ

इस विषय पर इंदौर में सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रवि दोसी ने बताया कि "ब्रेथ एनालाइजर से अल्कोहल स्क्रीनिंग के लिए एनालिसिस में लगे माउथपीस में मुंह लगाकर सांस छोड़ना होती है. ऐसी स्थिति में एक-दूसरे के सलाइवा का संपर्क व हवा में मौजूद संक्रमण से बीमारी हो सकती है. उन्होंने बताया यदि किसी को मुंह में संक्रमण या संक्रामक रोग है, तो दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमण हो सकता है. यदि माउथपीस को स्टेरलाइज किया जाए या अलग-अलग माउथपीस का उपयोग अलग-अलग जांच के दौरान किया जाए, तो संक्रमण से बचाव संभव हो सकता है.

उन्होंने कहा यदि एक ही माउथपीस का उपयोग पुलिस की जांच में हो रहा है, तो संक्रमण से लोगों को निमोनिया, टीवी, वायरल, डायरिया, टाइफाइड और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसी स्थिति में पुलिस को ब्रेक एनालिसिस के माउसपीस को या तो हर बार सेनेटाइज करना चाहिए, या फिर उसे बदलकर ही अन्य व्यक्ति की अल्कोहल स्कैनिंग की जाना चाहिए."

एडिशनल डीसीपी बोले- होता है सेनेटाइज

वहीं इंदौर क्या एक ही ब्रेथ एनालाइजर से लोगों की जांच की जा रही है, जब इस बारे में एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया से बात की तो, "उनका कहना है कि ब्रेथ एनालाइजर में लगा माउथ पीस चेकिंग अभियान के बाद रोज माउथ स्टरलाइज किया जाता है. स्टरलाइज होने के बाद ही अगले दिन फिर उसका उपयोग होता है. एक ही माउथपीस का रात भर उपयोग के सवाल पर उनका कहना था कि माउथ पीस बदल-बदल कर उपयोग होते हैं."

इंदौर: मध्य प्रदेश में नशे पर लगाम लगाने प्रशासन हर मुमकिन कोशिश कर रही है. सड़कों पर आने-जाने वालों की चेकिंग से लेकर माफियाओं और बदमाशों की धरपकड़ कर रही है. आपने देखा होगा कि पुलिस दिन-रात सड़कों पर तैनात होकर नशा करके ड्राइव करने वालों की चेकिंग करती है, जिसे ब्रेथ एनालाइजर कहा जाता है. ब्रेथ एनालाइजर के जरिए चेक करती है कि कोई शख्स ड्रिंग करके ड्राइव तो नहीं कर रहा. अगर ऐसा होता है, तो वह ड्रिंग एंड ड्राइव का केस चलाती है. क्या आप जानते हैं कई बार ऐसे ब्रेथ एनालाइजर घातक भी हो सकते हैं.

ब्रेथ एनालाइजर बन सकता है घातक

आपको बता दें ब्रेथ एनालाइजर के जरिए प्रशासन सड़कों पर आने-जाने वाले लोगों को चेक करती है. सड़कों पर जा रहे लोगों को रोककर पुलिस उस ब्रेथ एनालाइजर मशीन को मुंह में लगाकर फूंक मारने कहती है, जिसके बाद मशीन में यह स्पष्ट होता है कि सामने वाले शख्स ने नशा किया है नहीं. अगर वह ड्रिंक किए हुए होते हैं, तो ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है. इस मशीन को अगर बिना सेनेटाइज किए ऐसे ही लोगों को मुंह में लगाकर चेक किया जाए तो संक्रमण फैलने का खतरा होता है.

ब्रेथ एनालाइजर पर विशेषज्ञ की राय (ETV Bharat)

क्या बोले सांस रोग विशेषज्ञ

इस विषय पर इंदौर में सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रवि दोसी ने बताया कि "ब्रेथ एनालाइजर से अल्कोहल स्क्रीनिंग के लिए एनालिसिस में लगे माउथपीस में मुंह लगाकर सांस छोड़ना होती है. ऐसी स्थिति में एक-दूसरे के सलाइवा का संपर्क व हवा में मौजूद संक्रमण से बीमारी हो सकती है. उन्होंने बताया यदि किसी को मुंह में संक्रमण या संक्रामक रोग है, तो दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमण हो सकता है. यदि माउथपीस को स्टेरलाइज किया जाए या अलग-अलग माउथपीस का उपयोग अलग-अलग जांच के दौरान किया जाए, तो संक्रमण से बचाव संभव हो सकता है.

उन्होंने कहा यदि एक ही माउथपीस का उपयोग पुलिस की जांच में हो रहा है, तो संक्रमण से लोगों को निमोनिया, टीवी, वायरल, डायरिया, टाइफाइड और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसी स्थिति में पुलिस को ब्रेक एनालिसिस के माउसपीस को या तो हर बार सेनेटाइज करना चाहिए, या फिर उसे बदलकर ही अन्य व्यक्ति की अल्कोहल स्कैनिंग की जाना चाहिए."

एडिशनल डीसीपी बोले- होता है सेनेटाइज

वहीं इंदौर क्या एक ही ब्रेथ एनालाइजर से लोगों की जांच की जा रही है, जब इस बारे में एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया से बात की तो, "उनका कहना है कि ब्रेथ एनालाइजर में लगा माउथ पीस चेकिंग अभियान के बाद रोज माउथ स्टरलाइज किया जाता है. स्टरलाइज होने के बाद ही अगले दिन फिर उसका उपयोग होता है. एक ही माउथपीस का रात भर उपयोग के सवाल पर उनका कहना था कि माउथ पीस बदल-बदल कर उपयोग होते हैं."

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