जयपुर. भारतीय सेना की व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान की कड़ी के पहले अभियान को हाल में पूरा किया गया है. इस अभियान के तहत मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी और गंगा नदियों के चुनौतीपूर्ण जलमार्गों को कवर किया. यह अभियान छह चरणों में ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग धुरी पर फैला हुआ था, जिसमें करीब 300 किलोमीटर की दूरी तय की गई. अभियान का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल बी. एन. झा ने किया. जिसमें 02 अधिकारी, 01 जेसीओ और 21 अन्य रैंक के सदस्य शामिल थे. यात्रा रुद्रप्रयाग से शुरू होकर ऋषिकेश के वीर भद्र बैराज पर समाप्त हुई.
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व्हाइट वाटर राफ्टिंग से ज़ज्बा और जोश का संचार : व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान का मुख्य मकसद सेना के जवानों के बीच प्रेरणा और उत्साह का संचार करना है, ताकि वे अपनी सीमाओं से परे जाकर, साहसिक कार्यों को अपनाएं और भाईचारे को बढ़ावा दें. इस चुनौतीपूर्ण काम में रैपिड्स और मनमोहक दृश्यों को नेविगेट करके, प्रतिभागियों ने ना सिर्फ अपनी मजबूती का प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय सेना की उत्कृष्टता और टीम वर्क को भी जाहिर किया. गौरतलब है कि भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट दो शताब्दियों के गौरवपूर्ण इतिहास की गवाह है. सेना के समर्पण, साहस, अनुशासन और सहयोग की भावना को इस अभियान के जरिए प्रसारित और प्रदर्शित करने के मक़सद है.