जयपुर. मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मिलने का समय नहीं दिया तो जवाबदेही कानून सहित अन्य कानूनों को लेकर फिर सामाजिक संगठनों ने अनिश्चितकालीन धरना राजधानी जयपुर में शुरू कर दिया है. पिछली सरकार द्वारा पारित किए गए जनहितकारी कानून जिसमे न्यूनतम आय गारंटी अधिनियम, प्लेटफार्म बेस्ड गिग वर्कर्स (पंजीकरण एवं कल्याण अधिनियम) 2023, स्वास्थ्य का अधिकार कानून के नियम बनाकर उन्हें लागू करने की मांग सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान ने रखी. अभियान का नेतृत्व कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने साफ़ कर दिया कि जब तक तीनों कानूनों के नियम बना कर लागू नहीं किया जाता है तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा .
मुख्यमंत्री नहीं दे रहे मिलने का समय: सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान की ओर से लगातार मुख्यमंत्री को पत्र लिखे गए और मिलने का समय मांगा गया , लेकिन अभी तक समय नहीं दिया गया है. पिछली सरकार के समय विधानसभा में पारित किए गए जनहितकारी कानून तो बना दिए गए , लेकिन उनके नियम आज तक नहीं बनाए जिससे राज्य के करोड़ों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. जवाबदेही कानून को को लेकर सामाजिक संगठन मुख्यमंत्री के समक्ष बात रखना चाह रहे हैं , लेकिन मिलने का समय नहीं मिला, मजबूरन अनिश्चितकालीन धरना शुरू करना पड़ा. हमारी मांग है कि जो कानून पूर्ववर्ती सरकार के समय विधानसभा में पास हो गए थे, उनके नियम बनाकर उन्हें लागू करे.
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लाखों लोग हो रहे हैं परेशान : निखिल डे ने कहा कि राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाकर 1150 रुपये प्रति महीना किए जाने की विधानसभा में घोषणा की है, वह स्वागत योग्य कदम है. पूर्ववर्ती सरकार में सामाजिक संगठनों की और से लम्बे समय तक आन्दोलन किए जाने के बाद न्यूनतम आय गारंटी कानून विधानसभा में पास किया, लेकिन उसके नियम आज तक नहीं बनाए हैं. जिसकी वजह से सामाजिक सुरक्षा पेंशनर में से 15.5 लाख लोगों का वार्षिक सत्यापन नहीं हुआ है जिससे वे पेंशन से वंचित हैं . इसी तरह से राज्य में न्यूनतम आय गारंटी के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 25 दिन का अतिरिक्त रोज़गार मुख्यमंत्री ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत दिया जाता है, लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 में अब एक महीना भी शेष नहीं बचा है और अभी तक 25 दिन का रोज़गार कहीं पर नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि यदि न्यूनतम आय गारंटीड कानून के नियम बनाकर इसे लागू कर दिया जाता तो आज लोगों को 25 दिन का रोज़गार मिल जाता. उन्होंने कहा बेरोजगारी के इस दौर में 25 दिन का रोज़गार गाँव के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसी तरह से स्वास्थ्य के अधिकार कानून को लेकर बिल पास हो गया. राज्यपाल से अनुमति भी मिल गई , लेकिन उनके नियम नहीं बनने से, कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. निखिल डे ने कहा कि सरकार चिरंजीवी योजना के नाम से स्कीम को चलाएं या फिर आयुष्मान के नाम से हमें इससे कोई आपत्ति नहीं लेकिन सरकार कानून के नियम बनाए ताकि जरूरतमंद को लाभ मिल सके.