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चमोली में कीवी से किसान हो रहे मालामाल, अब 100 क्विंटल उत्पादन का बनाया लक्ष्य - Chamoli Kiwi Farming - CHAMOLI KIWI FARMING

Chamoli Kiwi Farming उत्तराखंड में कीवी उत्पादन को लेकर अपार संभावनाएं नजर आ रही है. इसलिए काश्तकार कीवी उत्पादन पर भी फोकस कर रहे हैं. चमोली में पिछले साल 20 क्विंटल कीवी उत्पादन किया गया. जबकि अगले साल तक उत्पादन का लक्ष्य 100 क्लिंटल बनाया गया है.

Chamoli Kiwi Farming
साल 2023-24 में 20 क्विंटल कीवी उत्पादन किया. (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 19, 2024, 5:36 PM IST

चमोली: उत्तराखंड में कीवी के उत्पादन से काश्तकारों की आय मजबूत होने लगी है. खास बात है कि उत्तराखंड को कीवी के लिए खासी डिमांड मिल रही है. प्रदेशभर के कई काश्तकार कीवी की खेती से आमदनी बढ़ा रहे हैं. वर्तमान में चमोली जिले में अकेले 810 काश्तकार कीवी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं. साल 2023 में जिले के काश्तकारों ने 20 क्विंटल कीवी का उत्पादन कर 6 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की थी.

उद्यान विभाग के सहायक विकास अधिकारी रघुवीर सिंह राणा ने बताया कि चमोली में वर्ष 2021-22 में राज्य सेक्टर की योजना के तहत 725 काश्तकारों के साथ कीवी के 7000 पौधों का रोपण किया गया. जिसके बाद कीवी की मांग और उत्पादन को देखते हुए जिला प्रशासन ने अनटाइड फंड से साल 2022-23 में 60 काश्तकारों को 2085 और वर्ष 2023-24 में वर्तमान तक मिशन कीवी अभियान के तहत 26 काश्तकारों को कीवी के पौधे आवंटित किए हैं. जबकि 54 काश्तकारों की ओर से कीवी के पौधों के लिए आवेदन किया गया है.

Chamoli Kiwi Farming
चमोली में कीवी से किसान हो रहे मालामाल (PHOTO- ETV Bharat)

100 क्विंटल का लक्ष्य: उन्होंने बताया वर्ष 2023-24 में जिले के कीवी उत्पादक काश्तकारों की ओर से स्थानीय स्तर पर 20 क्विंटल कीवी उत्पादन से 6 लाख रुपए की आय अर्जित की गई. वर्तमान में जिले के नैल-नौली, मंडल, बैरागना, बणद्वारा, कोटेश्वर, रौली-ग्वाड़, सरतोली, पैनी परसारी और थराली क्षेत्र में 810 कातश्कारों की ओर से कीवी का उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस साल जिले में 40 क्विंटल कीवी उत्पादन का अनुमान है. साल 2025 तक यह उत्पाद 100 क्विंटल से अधिक पहुंच जाएगा.

क्या कहते हैं काश्तकार: काश्तकार महावीर सिंह का कहना है कि कीवी के उत्पादन से बेहतर आय प्राप्त हो रही है. वहीं इसके उत्पादन से कम मेहनत में बेहतर फसल प्राप्त होती है. इसके फल को बंदर और लंगूर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जिससे कीवी के उत्पादन में नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है. कीवी के औषधीय गुणों के चलते बाजार में बेहतर मांग है. जो काश्तकारों के लिए लाभकारी साबित होगा.

बंदर और लंगूर नहीं खाते कीवी: कीवी का बाहरी हिस्सा रोंएदार होने और स्वाद खट्टा होने से इसे बंदरों और लंगूरों से बचाने की आवश्यकता नहीं होती. वहीं इसके औषधीय गुणों के चलते फल की बाजार में मांग बनी रहती है. फल का प्रसंस्करण कर इसके उत्पाद तैयार कर भी काश्तकार बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं.

कीवी के औषधीय गुण: कीवी मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के साथ ही ब्लड प्रेशर, कब्ज, आंख संबंधी रोगों में लाभकारी बताया गया है. इसके साथ ही यह त्वचा को सुंदर बनाने और वजन को सामान्य करने में भी मददगार होता है. डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों में चिकित्सकों की ओर से कीवी के फल के सेवन की सलाह दी जाती है.

ये भी पढ़ेंः Uttarakhand Kiwi Farming: सेब में पिछड़ा लेकिन कीवी से टक्कर देगा उत्तराखंड, किसान भी होंगे मालामाल

ये भी पढ़ेंः सीता देवी का लोगों ने उड़ाया था मजाक, आज बनी 'कीवी क्वीन', दूसरों के लिए पेश की नजीर

चमोली: उत्तराखंड में कीवी के उत्पादन से काश्तकारों की आय मजबूत होने लगी है. खास बात है कि उत्तराखंड को कीवी के लिए खासी डिमांड मिल रही है. प्रदेशभर के कई काश्तकार कीवी की खेती से आमदनी बढ़ा रहे हैं. वर्तमान में चमोली जिले में अकेले 810 काश्तकार कीवी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं. साल 2023 में जिले के काश्तकारों ने 20 क्विंटल कीवी का उत्पादन कर 6 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की थी.

उद्यान विभाग के सहायक विकास अधिकारी रघुवीर सिंह राणा ने बताया कि चमोली में वर्ष 2021-22 में राज्य सेक्टर की योजना के तहत 725 काश्तकारों के साथ कीवी के 7000 पौधों का रोपण किया गया. जिसके बाद कीवी की मांग और उत्पादन को देखते हुए जिला प्रशासन ने अनटाइड फंड से साल 2022-23 में 60 काश्तकारों को 2085 और वर्ष 2023-24 में वर्तमान तक मिशन कीवी अभियान के तहत 26 काश्तकारों को कीवी के पौधे आवंटित किए हैं. जबकि 54 काश्तकारों की ओर से कीवी के पौधों के लिए आवेदन किया गया है.

Chamoli Kiwi Farming
चमोली में कीवी से किसान हो रहे मालामाल (PHOTO- ETV Bharat)

100 क्विंटल का लक्ष्य: उन्होंने बताया वर्ष 2023-24 में जिले के कीवी उत्पादक काश्तकारों की ओर से स्थानीय स्तर पर 20 क्विंटल कीवी उत्पादन से 6 लाख रुपए की आय अर्जित की गई. वर्तमान में जिले के नैल-नौली, मंडल, बैरागना, बणद्वारा, कोटेश्वर, रौली-ग्वाड़, सरतोली, पैनी परसारी और थराली क्षेत्र में 810 कातश्कारों की ओर से कीवी का उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस साल जिले में 40 क्विंटल कीवी उत्पादन का अनुमान है. साल 2025 तक यह उत्पाद 100 क्विंटल से अधिक पहुंच जाएगा.

क्या कहते हैं काश्तकार: काश्तकार महावीर सिंह का कहना है कि कीवी के उत्पादन से बेहतर आय प्राप्त हो रही है. वहीं इसके उत्पादन से कम मेहनत में बेहतर फसल प्राप्त होती है. इसके फल को बंदर और लंगूर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जिससे कीवी के उत्पादन में नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है. कीवी के औषधीय गुणों के चलते बाजार में बेहतर मांग है. जो काश्तकारों के लिए लाभकारी साबित होगा.

बंदर और लंगूर नहीं खाते कीवी: कीवी का बाहरी हिस्सा रोंएदार होने और स्वाद खट्टा होने से इसे बंदरों और लंगूरों से बचाने की आवश्यकता नहीं होती. वहीं इसके औषधीय गुणों के चलते फल की बाजार में मांग बनी रहती है. फल का प्रसंस्करण कर इसके उत्पाद तैयार कर भी काश्तकार बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं.

कीवी के औषधीय गुण: कीवी मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के साथ ही ब्लड प्रेशर, कब्ज, आंख संबंधी रोगों में लाभकारी बताया गया है. इसके साथ ही यह त्वचा को सुंदर बनाने और वजन को सामान्य करने में भी मददगार होता है. डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों में चिकित्सकों की ओर से कीवी के फल के सेवन की सलाह दी जाती है.

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