ETV Bharat / state

जन्म से दृष्टिबाधित बच्चे की आंख को मिली रोशनी, 5 महीने के मासूम ने पहली बार देखा मां को - Eye surgery for a blind child

श्रीगंगानगर जिले के 11Q गांव निवासी एक व्यक्ति का बच्चा जन्म से ही दृष्टिबाधित था. उसकी उम्र मात्र 5 महीने ही थी. डॉक्टर्स की टीम ने बच्चे की आंख का सफल ऑपरेशन किया है, जिसके बाद उसकी जिंदगी को रोशनी मिल गई.

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 21, 2024, 3:49 PM IST

दृष्टिबाधित बच्चे की आंख का ऑपरेशन
दृष्टिबाधित बच्चे की आंख का ऑपरेशन (ETV Bharat GFX Team)

श्रीगंगानगर. एक मासूम बच्चा, जिसके जीवन में जन्म से ही अंधेरा था. अब उसे उसकी आंख की रोशनी वापस मिल गई है. अब वो खुद की आंखों से दुनिया को निहार सकता है. उसकी उम्र मात्र 5 महीने ही थी, उसकी जिंदगी में जन्म से ही अंधेरा था. डॉक्टरों के अनुसार उसकी आंखों में सफेद मोतिया था. हनुमानगढ के डॉ. एस.एस. टांटिया मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी रौशन कर दी. डॉक्टर्स की टीम ने बच्चे की आंख का सफल ऑपरेशन किया है. ऑपरेशन के बाद जब पहली बार उसकी आंखे खुलीं और उसने अपनी मां को निहारा, तो वहां मौजूद सबके चेहरे खिल उठे.

हॉस्पिटल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रो. बलजीतसिंह कुलड़िया ने बताया कि श्रीगंगानगर जिले के गांव 11Q गांव निवासी एक व्यक्ति अपने पांच माह के बेटे को यहां दिखाने आए. बच्चे को जन्म से ही दिखाई नहीं देता था. जांच में डॉ. अरुण सी. पवार ने पाया कि बच्चे को सफेद मोतिया की शिकायत है. उन्होंने अपनी टीम से विचार-विमर्श किया और तुरंत ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. डॉ. पवार की टीम ने मासूम बच्चे की दाईं आंख का लेजर ऑपरेशन किया और इंपोर्टेड एलकॉन आईक्यू लैंस लगाया. इसेक बाद अगले दिन पट्टी खोली गई, तो पहली बार बच्चे ने अपनी मां को देखा. मां को देखकर मासूम की मुस्कुराहट पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. डॉक्टर ने बताया कि इतनी छोटी उम्र के बच्चे की आंख का ऑपरेशन दुर्लभ मामला है.

इसे भी पढ़ें-SMS अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर 1 साल के मासूम को दिया नया जीवन

गर्भावस्था में टॉर्च वायरस से नुकसान : डॉ. पवार के मुताबिक गर्भावस्था के समय यदि मां का सही ढंग से टीकाकरण न हुआ हो, तो बच्चे में टॉर्च वायरस से नुकसान होने की आशंका रहती है. यहां तक कि अगर समय पर नवजात को ठीक से इलाज ना मिले, तो बच्चे की नजरें तिरछी भी हो सकती हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही बच्चे की बाईं आंख का भी ऑपरेशन किया जाएगा.

श्रीगंगानगर. एक मासूम बच्चा, जिसके जीवन में जन्म से ही अंधेरा था. अब उसे उसकी आंख की रोशनी वापस मिल गई है. अब वो खुद की आंखों से दुनिया को निहार सकता है. उसकी उम्र मात्र 5 महीने ही थी, उसकी जिंदगी में जन्म से ही अंधेरा था. डॉक्टरों के अनुसार उसकी आंखों में सफेद मोतिया था. हनुमानगढ के डॉ. एस.एस. टांटिया मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी रौशन कर दी. डॉक्टर्स की टीम ने बच्चे की आंख का सफल ऑपरेशन किया है. ऑपरेशन के बाद जब पहली बार उसकी आंखे खुलीं और उसने अपनी मां को निहारा, तो वहां मौजूद सबके चेहरे खिल उठे.

हॉस्पिटल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रो. बलजीतसिंह कुलड़िया ने बताया कि श्रीगंगानगर जिले के गांव 11Q गांव निवासी एक व्यक्ति अपने पांच माह के बेटे को यहां दिखाने आए. बच्चे को जन्म से ही दिखाई नहीं देता था. जांच में डॉ. अरुण सी. पवार ने पाया कि बच्चे को सफेद मोतिया की शिकायत है. उन्होंने अपनी टीम से विचार-विमर्श किया और तुरंत ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. डॉ. पवार की टीम ने मासूम बच्चे की दाईं आंख का लेजर ऑपरेशन किया और इंपोर्टेड एलकॉन आईक्यू लैंस लगाया. इसेक बाद अगले दिन पट्टी खोली गई, तो पहली बार बच्चे ने अपनी मां को देखा. मां को देखकर मासूम की मुस्कुराहट पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. डॉक्टर ने बताया कि इतनी छोटी उम्र के बच्चे की आंख का ऑपरेशन दुर्लभ मामला है.

इसे भी पढ़ें-SMS अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर 1 साल के मासूम को दिया नया जीवन

गर्भावस्था में टॉर्च वायरस से नुकसान : डॉ. पवार के मुताबिक गर्भावस्था के समय यदि मां का सही ढंग से टीकाकरण न हुआ हो, तो बच्चे में टॉर्च वायरस से नुकसान होने की आशंका रहती है. यहां तक कि अगर समय पर नवजात को ठीक से इलाज ना मिले, तो बच्चे की नजरें तिरछी भी हो सकती हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही बच्चे की बाईं आंख का भी ऑपरेशन किया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.