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दो माह की बच्ची के दिमाग का सफल ऑपरेशन, डॉक्टर्स के ऐसे बचाई जान - doctors save pre mature baby

कानपुर के एलएलआर अस्पताल के बाल रोग विभाग से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. दो माह की बच्ची के दिमाग में ऑपरेशन के दौरान मवाद भर गया. इस दौरान सभी डॉक्टर्स के पसीने छूट गए.

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DOCTORS SAVE PRE MATURE BABY (PHOTO CREDIT- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 2, 2024, 8:21 AM IST

कानपुर: कल्पना करके देखिए, अगर बतौर परिजन आपको यह पता लगे कि आपकी दो माह की बेटी को इतनी तकलीफ हो, कि उसका दो बार ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टर कह दें, कि जान बचाने के लिए फिर से ऑपरेशन करना होगा. उस समय परिजनों पर क्या बीत रही होगी? शायद उनके लिए इससे कठिन मंजर और कुछ हो नहीं सकता. दिल्ली निवासी अमित पांडे और शिप्रा पांडे के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था, 13 अप्रैल से पहले. लेकिन, जब वह 13 अप्रैल को अपनी दो माह की बच्ची को वेंटिलेटर पर लेकर कानपुर के एलएलआर अस्पताल के बाल रोग विभाग पहुंचे तो, मानो यहां उन्हें डॉक्टर्स की जगह भगवान मिल गए.

दो माह 17 दिनों तक लगातार बाल रोग विभाग के डॉ.यशवंत राव, न्यूरो सर्जरी के. मनीष सिंह और अन्य चिकित्सकों की टीम ने बच्ची को नई जिंदगी दी. सोमवार को वह डिस्चार्ज हुई और मुस्कुराते चेहरे के साथ अपने मां-बाप से मिली. इस पल माता-पिता की बांछें खिल गईं. उनके लिए अब यह पल ऐतिहासिक हो गया. जिस बच्ची को वह वेंटिलेटर पर लेकर आए थे, वह खिलखिला रही थी. डॉक्टर्स ने भी परिजनों से कहा, बच्ची ने अस्पताल में सभी का दिल जीत लिया.

इसे भी पढ़े-डॉक्टर्स डे: 'धरती के ये भगवान' छुट्टी में भी करते मरीजों की सेवा, दवा के साथ उठाते पूरा खर्चा - NATIONAL DOCTORS DAY 2024

दिमाग में भरा था मवाद, छूट गए थे पसीने: डॉ.यशवंत राव ने बताया, कि जब हमें पता लगा कि दो माह की बच्ची के दो बार ऑपरेशन हो चुके हैं, तो इलाज करते समय कुछ समझ नहीं आ रहा था. फिर, जैसे ही दिमाग में सुई लगाई तो सुई में मवाद भर गया. एक पल के लिए तो मानो पसीने छूट गए. उसके बाद डॉक्टर्स की एक टीम बनाई और तय किया, कि बच्ची को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी.

अब खेल रही बच्ची: सोमवार को बाल रोग विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर यशवंत राव ने बच्ची के परिजनों से मुलाकात कराई. बच्ची अब पूरी तरह से स्वस्थ है और वह अस्पताल में ही पढ़ रही है और खेल रही है. डॉ.यशवंत राव ने बताया, कि बच्ची प्री-मैच्योर हुई थी. बच्ची का जन्म दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ था. जहां उसे मस्तिष्क में दिक्कत होने पर परिजनों द्वारा भर्ती कराया गया था. परिजनों के मुताबिक अस्पताल में बच्ची का दो बार ऑपरेशन किया गया. जिसमें करीब 24 लाख रुपये भी खर्च हुए. हालांकि, जब परिजन बच्ची को लेकर बाल रोग विभाग कानपुर पहुंचे, तो यहां दो माह के अंदर ही इलाज कर बच्ची को नया जीवन दे दिया गया. बच्ची के इलाज में न्यूरो सर्जन डॉ.मनीष सिंह, डॉ.नेहा अग्रवाल ने भी अहम भूमिका निभाई.

यह भी पढ़े-बड़े अस्पताल के बुरे हाल: यूपी के इस एम्स को खुलने के पांच साल बाद भी सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर्स का इंतजार - super specialist AIIMS Gorakhpur

कानपुर: कल्पना करके देखिए, अगर बतौर परिजन आपको यह पता लगे कि आपकी दो माह की बेटी को इतनी तकलीफ हो, कि उसका दो बार ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टर कह दें, कि जान बचाने के लिए फिर से ऑपरेशन करना होगा. उस समय परिजनों पर क्या बीत रही होगी? शायद उनके लिए इससे कठिन मंजर और कुछ हो नहीं सकता. दिल्ली निवासी अमित पांडे और शिप्रा पांडे के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था, 13 अप्रैल से पहले. लेकिन, जब वह 13 अप्रैल को अपनी दो माह की बच्ची को वेंटिलेटर पर लेकर कानपुर के एलएलआर अस्पताल के बाल रोग विभाग पहुंचे तो, मानो यहां उन्हें डॉक्टर्स की जगह भगवान मिल गए.

दो माह 17 दिनों तक लगातार बाल रोग विभाग के डॉ.यशवंत राव, न्यूरो सर्जरी के. मनीष सिंह और अन्य चिकित्सकों की टीम ने बच्ची को नई जिंदगी दी. सोमवार को वह डिस्चार्ज हुई और मुस्कुराते चेहरे के साथ अपने मां-बाप से मिली. इस पल माता-पिता की बांछें खिल गईं. उनके लिए अब यह पल ऐतिहासिक हो गया. जिस बच्ची को वह वेंटिलेटर पर लेकर आए थे, वह खिलखिला रही थी. डॉक्टर्स ने भी परिजनों से कहा, बच्ची ने अस्पताल में सभी का दिल जीत लिया.

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दिमाग में भरा था मवाद, छूट गए थे पसीने: डॉ.यशवंत राव ने बताया, कि जब हमें पता लगा कि दो माह की बच्ची के दो बार ऑपरेशन हो चुके हैं, तो इलाज करते समय कुछ समझ नहीं आ रहा था. फिर, जैसे ही दिमाग में सुई लगाई तो सुई में मवाद भर गया. एक पल के लिए तो मानो पसीने छूट गए. उसके बाद डॉक्टर्स की एक टीम बनाई और तय किया, कि बच्ची को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी.

अब खेल रही बच्ची: सोमवार को बाल रोग विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर यशवंत राव ने बच्ची के परिजनों से मुलाकात कराई. बच्ची अब पूरी तरह से स्वस्थ है और वह अस्पताल में ही पढ़ रही है और खेल रही है. डॉ.यशवंत राव ने बताया, कि बच्ची प्री-मैच्योर हुई थी. बच्ची का जन्म दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ था. जहां उसे मस्तिष्क में दिक्कत होने पर परिजनों द्वारा भर्ती कराया गया था. परिजनों के मुताबिक अस्पताल में बच्ची का दो बार ऑपरेशन किया गया. जिसमें करीब 24 लाख रुपये भी खर्च हुए. हालांकि, जब परिजन बच्ची को लेकर बाल रोग विभाग कानपुर पहुंचे, तो यहां दो माह के अंदर ही इलाज कर बच्ची को नया जीवन दे दिया गया. बच्ची के इलाज में न्यूरो सर्जन डॉ.मनीष सिंह, डॉ.नेहा अग्रवाल ने भी अहम भूमिका निभाई.

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