फिरोजाबाद : जिले की एंटी डकैती कोर्ट ने गर्भवती की हत्या और लूट के मामले में देवर को दोषी करार दिया. उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अर्थदंड भी लगाया गया है. जुर्माना न देने पर दोषी को एक साल का अतिरिक्त कारावास भी भुगतान पड़ेगा. 30 साल पहले साल 1994 में एक व्यक्ति के खिलाफ भाभी की हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था. इसी मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक मामला थाना दक्षिण क्षेत्र का है. 6 अगस्त 1994 की रात मिथलेश पुत्री रामसनेही राठौर गली नंबर 7 मोहल्ला करबला अपने चाचा चंद्रप्रकाश के घर सोने गई थी. घर पर उसकी मां सूरजमुखी और उसकी बहन सर्वेश (2) सो रहीं थीं. पिता 15 दिन पहले ही चूड़ी के व्यापार के सिलसिले में रुड़की गए थे.
7 अगस्त की सुबह मिथलेश घर पहुंची तो उसकी मां सूरजमुखी चारपाई पर मृत पड़ी थी. कमरे का कुंडा टूटा था. कनस्तर में रखा दाल फैला हुआ था. चावल में रखे 1700 रुपये गायब थे. मिथलेश की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी. सूरजमुखी के भाई भाई बलवीर सिंह राठौर ने प्रार्थना पत्र देकर देवर चन्द्रप्रकाश एवं उसके साथियों पर हत्या का आरोप लगाया था.
पुलिस ने देवर चंद्रप्रकाश पुत्र देवलाल निवासी मोहल्ला करबला व मोहर सिंह उर्फ मुन्ना राठौर पुत्र द्वारिका प्रसाद निवासी सुदामा नगर थाना उत्तर के विरुद्ध हत्या व लूट की धारा में आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया. मुकदमे की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 11, विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र रविन्द्र कुमार की अदालत में हुई.
अभियोजन पक्ष की तरफ से मुकदमे की पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक नरेन्द्र राठौर व ललित बघेल ने बताया कि मुकदमे के दौरान 7 गवाहों ने गवाही दी. केस से जुड़े तमाम साक्ष्य न्यायालय के सामने प्रस्तुत किए गए. गवाहों की गवाही तथा साक्ष्य के आधार पर न्यायालय ने चंद्रप्रकाश को दोषी माना. न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
न्यायालय ने दोषी पर 1 लाख 20 हजार रुपया का अर्थदंड लगाया है. अर्थदंड न देने पर दोषी को एक वर्ष के कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. न्यायालय ने अर्थ दंड की धनराशि में से 50-50 हजार रुपए मृतका की दोनो पुत्रियों मिथलेश व सर्वेश को प्रदान करने के आदेश दिए हैं. वहीं न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में मोहर सिंह उर्फ मुन्ना राठौर को दोषमुक्त कर दिया.
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