बलरामपुर : दहेज की मांग पूरी न होने पर ससुरालियों ने विवाहिता को जिंदा जला दिया था. पिता ने गैसडी कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था. मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी. शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने घटना में शामिल सास-ससुर जेठ और जेठानी को दोषी करार दिया. चारों को आजीवन करावास की सजा सुनाई. दोषियों पर 85-85 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
शासकीय अधिवक्ता कुलदीप सिंह ने बताया कि 28 सितंबर 2016 को बलरामपुर नगर क्षेत्र के खलवा निवासी अमरेश कुमार तिवारी ने गैसडी कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप लगाया था कि उनकी पुत्री सुनीता को ससुराली दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे.
दहेज न मिलने पर सास, ससुर, जेठ और जेठानी ने मिलकर पेट्रोल डालकर सुनीता को जला दिया था. इससे उसकी मौत हो गई थी. पुलिस ने विवेचना कर चारों आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. मुकदमे के दौरान दोनों पक्ष से बयान दर्ज कराए गए थे.
बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि खाना बनाते समय आग लग गई थी. इससे सुनीता की मौत हो गई. जबकि अभियोजन की तरफ से कहा गया कि दहेज की मांग पूरी न होने पर उसे जिंदा जला दिया गया. दोषियों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए. दोनो पक्षों को सुनने और साक्ष्यों को देखते हुए जिला जज अनिल कुमार झा ने जग प्रसाद मिश्र, पत्नी राधा मिश्रा, पुत्र पप्पू उर्फ दुर्गेश मिश्र और नीतू मिश्र को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
अदालत ने चारों दोषियों पर 85-85 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने अभियुक्तों को कारागार में बिताई गई अवधि को इस दंड में समायोजित किए जाने का भी आदेश दिया है. वहीं घटना में पीड़ित परिवार को सात साल बाद न्याय मिल गया.
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