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इंपोर्टेड सेब हिमाचल बागवानों को पहुंचा रहा आर्थिक नुकसान, केंद्र के सामने कई बार उठ चुका है मुद्दा - Imported apples

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 7:36 PM IST

विदेशी सेब के अनियंत्रित आयात से इस साल दिसंबर तक राहत मिलने की उम्मीद है. वहीं, प्रदेश सरकार भी समय समय पर इस मसले को केंद्र का सामने उठा रही है. हिमाचल के बागवान लंबे समय से सेब पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की मांग कर रहे हैं.

कॉन्सेप्ट इमेज
कॉन्सेप्ट इमेज (ETV BHARAT)

शिमला: हिमाचल प्रदेश के बागवान लंबे समय से विदेशी सेब के आयात पर 100 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की मांग कर रहे हैं. विदेशी सेब के अनियंत्रित आयात से इस साल दिसंबर तक राहत मिलने की उम्मीद है. हिमाचल के सेब बागवानों के संगठन प्रोग्रेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन (पीजीए) को केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय ने इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है.

पिछले कुछ सालों से विदेशी सेब के आयात से हिमाचल के बागवानों को नुकसान हो रहा है. इस मुद्दे को सेब बागवान और प्रदेश सरकारें केंद्र सरकार के सामने उठाती रही हैं. भारत में इस समय सबसे अधिक सेब ईरान से आयात होता है. तुर्किये, अफगानिस्तान, चीन, ब्राजील, बेल्जियम, सर्बिया, इटली, अर्जेंटीना, यूएसए, साउथ अफ्रीका, पोलैंड, न्यूजीलैंड, चिल्ली, फ्रांस, ग्रीस, कनाडा, जर्मनी, क्रोएशिया, स्पेन जैसे देशों से भारत में सेब आयात होता है.

वहीं, विदेशी सेब के आयात के मुद्दे पर ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर ने विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार से सवाल पूछा था कि क्या विदेशी सेब के आयात के मुद्दे को लेकर केंद्र से किसी प्रकार की बातचीत की गई है?

इस सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि, 'विदेशों से आयात किए जा रहे सेब बागवानों से संबंधित विभिन्न समस्याओं को प्रदेश सरकार समय-समय पर केंद्र के समक्ष उठा रही है. इस मामले में प्रदेश के बागवानी मन्त्री ने पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा को आयात शुल्क 50 से 100 प्रतिशत करने, प्रदेश में सेब उत्पादन अवधि के दौरान आयात बन्द करने, मात्रात्मक प्रतिबन्ध लगाने और आयात के दौरान कीटनाशक अवशेषों की जांच करने इत्यादि पर उचित कार्रवाई करने के लिए पत्राचार किया था. इसके बाद हिमाचल प्रदेश के उद्यान विभाग के निदेशक भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सचिव को भी सेब आयात से सम्बन्धित पहलुओं से अवगत करवाया था. इसके अतिरिक्त जुलाई 2024 में यूनियन बजट 2024-25 में उपरोक्त पहलुओं पर चर्चा के लिए विस्तृत प्रस्ताव केंद्रीय वित्त मन्त्रालय और राजस्व विभाग को हिमाचल प्रदेश के वित्त विभाग के माध्यम से भेजा गया था. इस विषय पर भारत सरकार से अभी तक जवाब प्राप्त नहीं हुआ है.'

वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का कहना है कि, 'यूएई और अफगानिस्तान में सेब पैदा नहीं होता, लेकिन इन देशों से बिना किसी कस्टम ड्यूटी के भारत में सेब का आयात हो रहा है. भारत का यूएई से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है. ऐसे ही भारत का अफगानिस्तान से दक्षिण एशिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत मुक्त व्यापार समझौता है. यानि इन देशों से आयात होने वाले माल पर आयात शुल्क नहीं लगता है. इन्हीं सब तकनीकियों की आड़ में चीन का सेब यूएई, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देशों से भारत में भेजा जा रहा है. सेब बागवानों का कहना है कि भारत में औसत किस्म के सेब की उत्पादन लागत 90 रुपये किलो के आस-पास पड़ती है, जबकि सेब का न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये प्रति किलो है.'

ये भी पढ़ें: खेलों में पदक लाने पर हिमाचली खिलाड़ियों को मिलती है ये इनामी राशि, इतने स्पोर्टसमैन को मिली सरकारी नौकरी

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शिमला: हिमाचल प्रदेश के बागवान लंबे समय से विदेशी सेब के आयात पर 100 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की मांग कर रहे हैं. विदेशी सेब के अनियंत्रित आयात से इस साल दिसंबर तक राहत मिलने की उम्मीद है. हिमाचल के सेब बागवानों के संगठन प्रोग्रेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन (पीजीए) को केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय ने इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है.

पिछले कुछ सालों से विदेशी सेब के आयात से हिमाचल के बागवानों को नुकसान हो रहा है. इस मुद्दे को सेब बागवान और प्रदेश सरकारें केंद्र सरकार के सामने उठाती रही हैं. भारत में इस समय सबसे अधिक सेब ईरान से आयात होता है. तुर्किये, अफगानिस्तान, चीन, ब्राजील, बेल्जियम, सर्बिया, इटली, अर्जेंटीना, यूएसए, साउथ अफ्रीका, पोलैंड, न्यूजीलैंड, चिल्ली, फ्रांस, ग्रीस, कनाडा, जर्मनी, क्रोएशिया, स्पेन जैसे देशों से भारत में सेब आयात होता है.

वहीं, विदेशी सेब के आयात के मुद्दे पर ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर ने विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार से सवाल पूछा था कि क्या विदेशी सेब के आयात के मुद्दे को लेकर केंद्र से किसी प्रकार की बातचीत की गई है?

इस सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि, 'विदेशों से आयात किए जा रहे सेब बागवानों से संबंधित विभिन्न समस्याओं को प्रदेश सरकार समय-समय पर केंद्र के समक्ष उठा रही है. इस मामले में प्रदेश के बागवानी मन्त्री ने पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा को आयात शुल्क 50 से 100 प्रतिशत करने, प्रदेश में सेब उत्पादन अवधि के दौरान आयात बन्द करने, मात्रात्मक प्रतिबन्ध लगाने और आयात के दौरान कीटनाशक अवशेषों की जांच करने इत्यादि पर उचित कार्रवाई करने के लिए पत्राचार किया था. इसके बाद हिमाचल प्रदेश के उद्यान विभाग के निदेशक भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सचिव को भी सेब आयात से सम्बन्धित पहलुओं से अवगत करवाया था. इसके अतिरिक्त जुलाई 2024 में यूनियन बजट 2024-25 में उपरोक्त पहलुओं पर चर्चा के लिए विस्तृत प्रस्ताव केंद्रीय वित्त मन्त्रालय और राजस्व विभाग को हिमाचल प्रदेश के वित्त विभाग के माध्यम से भेजा गया था. इस विषय पर भारत सरकार से अभी तक जवाब प्राप्त नहीं हुआ है.'

वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का कहना है कि, 'यूएई और अफगानिस्तान में सेब पैदा नहीं होता, लेकिन इन देशों से बिना किसी कस्टम ड्यूटी के भारत में सेब का आयात हो रहा है. भारत का यूएई से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है. ऐसे ही भारत का अफगानिस्तान से दक्षिण एशिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत मुक्त व्यापार समझौता है. यानि इन देशों से आयात होने वाले माल पर आयात शुल्क नहीं लगता है. इन्हीं सब तकनीकियों की आड़ में चीन का सेब यूएई, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देशों से भारत में भेजा जा रहा है. सेब बागवानों का कहना है कि भारत में औसत किस्म के सेब की उत्पादन लागत 90 रुपये किलो के आस-पास पड़ती है, जबकि सेब का न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये प्रति किलो है.'

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