अजमेर. मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि साल भर में ये एक ही बार आता है. हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष तिथि को जो एकादशी पड़ता है, उसे ही मोहिनी एकादशी कहा जाता है. इस बार मोहिनी एकादशी 20 मई यानी रविवार को है. वहीं, तीर्थराज पुष्कर में प्रख्यात ज्योतिष पंडित कैलाशनाथ दाधीच ने बताया कि आखिर क्यों मोहिनी एकादशी को श्रेष्ठ माना गया है. दाधीच ने बताया कि भागवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक मोहिनी अवतार भी है. जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तब समुद्र मंथन से अमृत निकला था. उस अमृत को पाने के लिए देवताओं और दानवों में भीषण युद्ध हुआ. युद्ध के कारण सृष्टि में हाहाकार मचा हुआ था. एक समय ऐसा भी आया, जब युद्ध में दानव देवताओं पर भारी पड़ते नजर आए और अमृत कलश देवताओं के पास से छिनने लगा. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था.
भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की सुंदरता ने दानवों को मोह लिया. मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने अमृत का कलश दानवों से लेकर सारा अमृत देवताओं में बांट दिया. उस अमृत को पीकर देवता अमर हो गए और जगत के कल्याण करने में देवता जुट गए, जबकि अमृत देवताओं की बजाय दानवों को मिल जाता तो दानवों की प्रव़त्ति के कारण सृष्टि समेत सभी प्राणियों पर गहरा संकट आ जाता. उन्होंने बताया कि मोहिनी एकादशी पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान कर विधिवत पूजा-अर्चना करने व जगत पिता ब्रह्मा के दर्शन और परिक्रमा करने से श्रद्धालुओं को सुफल की प्राप्ति होती है. पंडित दाधीच ने बताया कि मोहिनी एकादशी के दिन जल का दान सर्वश्रेष्ठ है. इसके अलावा गाय को घास खिलाने और निर्धन लोगों को भोजन करवाने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
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लक्ष्मी के रूप में स्वयं भगवान विष्णु करते हैं मनोकामना पूरी : पंडित दाधीच ने बताया कि मोहिनी एकादशी श्रेष्ठ इसलिए है, क्योंकि भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया था. लिहाजा जो कोई भी पूरी श्रद्धा से मोहिनी एकादशी करता है, भगवान विष्णु स्वंय लक्ष्मी के रूप में उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरी करते हैं.
पुष्कर में मोहिनी एकादशी पर स्नान के लिए जुटेंगे लोग : मोहिनी एकादशी पर तीर्थराज पुष्कर के पवित्र सरोवर में स्नान का विशेष महत्व है. यही वजह है कि पुष्कर में रविवार को स्नान, पूजा-अर्चना, दर्शन और दान के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे. सरोवर के 52 घाटों पर सुबह से ही तीर्थ यात्रियों का स्नान के लिए आना जाना लग जाएगा.
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वैशाख में जल दान का महत्व : धार्मिक मान्यता के अनुसार वैशाख माह में धरती, वनस्पति और प्राणियों में तेज गर्मी के कारण जल सूखता है. यही वजह है कि वैशाख में प्यासे को जल पिलाने से काफी पुण्य मिलता है. यही वजह है कि इस माह लोग कई जगहों पर प्याऊ की व्यवस्था करते हैं. वहीं, कई लोग शरबत, दूध आदि का भी वितरण करते हैं.