मंडी: आज के दौर में युवाओं के सामने एक सवाल हमेशा खड़ा हो जाता है. नौकरी करना ज्यादा सही रहेगा या बिजनेस ? इसके जवाब में ज्यादातर लोगों का जवाब अपना बिजनेस करना होगा. ज्यादातर लोगों का मानना है कि नौकरी करने वाले व्यक्ति से ज्यादा सफल अपना व्यवसाय शुरू कर उसे बुलंदियों पर ले जाने वाला व्यक्ति होता है. लोगों का इसलिए ऐसा मानना है क्योंकि हम अपने आस-पास देखते हैं कि 30-35 साल नौकरी करने वाला व्यक्ति कभी उतना नहीं कमा पाता है, जितना एक व्यवसायी इससे भी आधे समय में ही कमा लेता है. यही कारण है कि आज भारत के युवाओं की सोच उद्यामिता की ओर बढ़ी है. भारत के युवा अब अपनी कॉलेज व स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही नौकरी ढूंढने के बजाय अपना बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचना शुरू कर चुके हैं. इसका खुलासा ग्लोबल रिसर्च प्रोजेक्ट के सर्वेक्षण में हुआ है. भारतीय छात्र उद्यमिता (Entrepreneurship) पर अपनी तरह का यह पहला सर्वेक्षण है, जिसे 'भारत चैप्टर' द्वारा लाया गया है. इस सर्वे की लांचिंग हैदराबाद में की गई.
32.5% छात्र पहले से ही नए उद्यमी
Guesss India सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय कॉलेज के 32.5 प्रतिशत छात्र एक उद्यमी बनने की ओर कदम बढ़ा चुके हैं और एक बिजनेस शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं. ये छात्र अपना व्यवसाय शुरू करने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं. ये आंकड़ा वैश्विक औसत 25.7 प्रतिशत से काफी ज्यादा है. Guess (Global University Entrepreneurial spirit students' survey) के मुताबिक 14 प्रतिशत भारतीय छात्र ग्रेजुएट होने के तुरंत बाद Entrepreneur यानी उद्यमी बनने की योजना बनाते हैं, जो वैश्विक औसत के 15.7 प्रतिशत के करीब है. 31.4 प्रतिशत छात्र भारतीय छात्र ग्रेजुएट होने के पांच साल बाद उद्यमी बनने का इरादा रखते हैं. वैश्विक स्तर पर ऐसे छात्रों की संख्या औसतन 30% है.
IIT मंडी ने किया रिपोर्ट का नेतृत्व
इस सर्वेक्षण में नवंबर 2023 से फरवरी 2024 के दौरान किए गए इस सर्वेक्षण में भारत भर के सैकड़ों उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकित 13,896 छात्रों के जवाब प्राप्त हुए. जबकि विश्व स्तर पर 57 देशों के 2.67 लाख छात्रों के जवाब मिले हैं. इस रिपोर्ट का नेतृत्व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (IIT Mandi) के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर और गेस इंडिया के कंट्री डेलीगेट डॉ. पूरन सिंह ने किया. इसके सह-लेखक आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के राष्ट्रीय टीम सदस्य और डॉक्टरेट उम्मीदवार धर्मेंद्र के. यादव हैं. इस सर्वेक्षण में भारतीय छात्रों की उद्यमशीलता संबंधी महत्वाकांक्षाओं और कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी है.
रिपोर्ट की मुख्य बातें
- बदलती करियर आकांक्षाएं- 14% छात्र ग्रेजुएशन के बाद एक उद्यमी बनना चाहते हैं जबकि 5 साल बाद इनकी तादाद 31% पहुंच जाती है. वहीं ग्रेजुएशन के बाद नौकरी करने वाले 70% छात्र 5 साल के बाद 52% रहते हैं.
- मजबूत उद्यम पाइपलाइन- 38 प्रतिशत छात्र उद्यम निर्माण में शामिल हैं. जिनमें से 33 प्रतिशत अभी शुरुआती चरण में हैं. इनकी तादाद वैश्विक स्तर में औसतन अधिक है. वहीं 4.8 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं जो एक एक्टिव स्टार्टअप चला रहे हैं.
- विश्वविद्यालय का समर्थन- वर्तमान में 63 प्रतिशत छात्र उद्यमी विश्वविद्यालय की सहायता प्राप्त करते हैं. 26 प्रतिशत छात्र उद्यम इनक्यूबेट किए जाते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?
रिपोर्ट के मुख्य लेखक और आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पूरन सिंह ने कहा, "दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी भारत में है. अभी तक हमारे छात्रों की उद्यमशीलता की मानसिकता को समझने के लिए कभी कोई डेटा नहीं था. Guesss India 2023 रिपोर्ट इस डेटा को सामने लाकर भारत के छात्र उद्यमिता परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित किया है. सर्वे में सामने आया है कि कॉलेज छात्र नौकरी ढूंढने के बजाए नौकरी देने वाला बनना चाहता है."
वहीं, आईएसबीए के अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि गेस इंडिया 2023 रिपोर्ट भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण है. रिपोर्ट में दी गई जानकारी भारत के छात्र उद्यमिता वातावरण की अंतर्निहित ताकत और कमजोरियों को उजागर करती है. यह छात्र-नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा देने और बढ़ाने के लिए एक रोडमैप पेश करती है.