जोधपुर: आईआईटी जोधपुर के शुक्रवार को 16 साल पूरे हो गए. इस मौके पर विशेष समारोह का आयोजन किया गया किया, जिसमें शामिल अतिथियों ने आईआईटी जोधपुर की सफलताओं को सराहा. खास तौर से देश में पहली बार किसी आईआईटी में हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने के प्रयास की जमकर तारीफ की गई.
वहीं, आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश अग्रवाल ने आईआईटी राजस्थान से आईआईटी जोधपुर तक के विकास क्रम को दर्शाते हुए कहा कि एक संस्थान को बनाने में कई पीढ़ियां लग जाती हैं. आज जो आईआईटी जोधपुर हमारे सामने है, इसे यहां तक पहुंचाने में बहुतों का परिश्रम है. साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य में आगे बढ़ना बेहद जरूरी है, लेकिन हमें अपने भूतकाल को भी याद रखना चाहिए. अगर हम उन सभी प्रयत्नों को याद नहीं करते हैं, जिनकी बदौलत हम आज यहां है तो यह सही नहीं होगा.
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उन्होंने कहा कि हम कई नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. भविष्य में हाइड्रोजन के उपयोग को लेकर कई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. हमने अपने दूसरे परिसर में हाइड्रोजन वेली बनाकर काम शुरू कर दिया है. वहीं, इस दौरान प्रो. अग्रवाल ने 2008-09 में आईआईटी कानपुर में शुरू हुई आईआईटी राजस्थान से जोधपुर शिफ्ट होने और आईआईटी जोधपुर को स्टेटस मिलने तक का वृतांत सुनाया.
उन्होंने कहा कि आज का हमारा कैंपस देश के बेहतरीन कैंपसों में से एक है. खास तौर से यह इको फ्रेंडली बनाया गया है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि यहां नौ हजार से ज्यादा छात्र पढ़ें और रिसर्च का फंड 60 करोड़ से बढ़ाकर 600 करोड़ तक पहुंचे. समारोह के मुख्य अतिथि विपिन सोंधी ने भारत में युवाओं के महत्व पर अपनी बता रखते हुए अनुसंधान और छात्रवृत्ति में सीमाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया.
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उनहोंने कहा कि हमारे पास प्रतिभाशाली लोगों की कमी नहीं है. साथ ही उन्होंने युवा समुदाय को देश को गौरव दिलाने और एक 'विकसित भारत' में योगदान देने के लिए प्रेरित किया. सोंधी ने भारत को एक उत्पाद राष्ट्र बनने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें उद्योग-अकादमिक सहयोग को मजबूत करने, समावेशिता को बढ़ावा देने और नवाचार समूहों की स्थापना करने का आह्वान किया. जिससे आईआईटी जोधपुर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय योगदान करने की स्थिति में आएगा.
सहयोग के लिए हुए एमओयू : इस मौके पर जोधपुर आईआईटी और जयपुर, मेघालय और सिक्किम एनआईई के साथ परस्पर सहयोग के लिए एमओयू भी साइन हुए. इसके अलावा उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्रों, शिक्षकों व अन्य स्टाफ को सम्मानित भी किया गया. बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष पद्मश्री ए.एस किरण कुमार ने कहा कि हमारे देश के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाने की महत्ता पर जोर दिया जा रहा है. इसमें आईआईटी जोधपुर अपनी महत्ती भूमिका निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा. आईआईटी जोधपुर तकनीकी प्रगति और शिक्षा में उत्कृष्टता को आगे बढ़ाते हुए और भी अधिक सफल संस्थान के रूप में उभरता रहेगा.
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डीएनए कनेक्शन है आईआइटी जोधपुर से : जोधपुर कलेक्टर गौरव अग्रवाल ने कहा कि वो कानपुर आईआईटी से निकले हुए हैं. आईआईटी जोधपुर से उनका कोई सीधा कनेक्शन नहीं है, लेकिन आईआईटी राजस्थान जिस बिल्डिंग में कानुपर में चलती थी, वहां उन्होंने पढ़ाई की है. वो भाग्यशाली है, इसलिए वो मानता हैं कि आईआईटी कानपुर यहां का मेंटर रहा है, जो उनके डीएनए में है. इसलिए उनका यहां से डीएनए कनेक्शन है.
उन्होंने कहा कि आज अभिभावक इसलिए बच्चों को आईआईटी में भेजते हैं कि अच्छा जॉब लग जाए, लेकिन उनका कहना है कि बड़ी कंपनी में जाना करियर की ग्रोथ को खत्म करना है. इसलिए आपको स्टार्टअप पर काम करना चाहिए. फेल होंगे, लेकिन सफलता मिलेगी. अग्रवाल ने आईआईटी जोधपुर के हिंदी में पढ़ाई को सराहा और कहा कि हमारे समय में ऐसे कई लोग थे, जो अंग्रेजी नहीं जानते थे. वो बहुत परेशान होते थे. उनके दो सेमेस्टर तो अंग्रेजी सीखने में निकल जाते थे.