पटना: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) का 37वां दीक्षांत समारोह मंगलवार पटना रीजनल केंद्र पर संपन्न हुआ. वहीं नई दिल्ली मुख्यालय से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 308605 शिक्षार्थियों को ब्लॉकचेन मेथड के माध्यम से एक क्लिक में सभी के मेल पर उनके डिग्री का डिजिटल कॉपी फॉरवर्ड किया. इग्नू की ओर से सभी शिक्षार्थियों को डिजिलॉकर और डीजी लॉकर में उनके डिग्री का सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराया गया.
इग्नू का 37वां दीक्षांत समारोह : इग्नू पटना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ अभिलाष नायक ने बताया कि पटना रीजनल केंद्र पर आज "मंगलवार के दीक्षांत समारोह के मौके पर 18075 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गई है. इनमें 929 शिक्षार्थियों ने दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए आवेदन किया और उन्हें उनके हाथों में डिग्री मिली है." डिस्टेंस एजुकेशन के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ रहा है. हर साल नए नामांकन की संख्या पिछले साल की तुलना में अधिक देखने को मिल रही है.
'डिस्टेंस एजुकेशन करियर में आगे बढ़ाने के लिए सहायक': कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और नालंदा खुला विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ केसी सिन्हा ने बताया कि यूजीसी का जो नया गाइडलाइन तैयार हुआ है उसके मुताबिक डिस्टेंस मॉड एजुकेशन और रेगुलर मोड एजुकेशन के डिग्री में अब कोई अंतर नहीं रह गया है. आज के समय में डिस्टेंस एजुकेशन लोगों को करियर में आगे बढ़ाने के लिए काफी सहायक हो रहा है.
"मैं एक नियोजित शिक्षिका हूं. बीपीएससी TRE 2 भी क्वालीफाई किया है. अब बीएड की डिग्री हो गई है तो तीसरे चरण के लिए आवेदन करके मध्य और माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका बनना चाहूंगी. डिस्टेंस एजुकेशन मेरे जैसे कामकाजी महिलाओं के लिए काफी बेहतर है." - नेहा कुमारी
इस डिग्री सो बीपीएससी शिक्षक बनने में मिली सफलता: युवक सागर कुमार ने बताया कि उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स डिग्री कंप्लीट किया है. बीपीएससी TRE 2 में वह माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक बने हैं. इग्नू की यह डिग्री उनकी नौकरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में काफी सहायक साबित हुई है. स्टडी मैटेरियल घर पर उपलब्ध हो जाता है और ऑनलाइन लेक्चरर्स भी वेबसाइट पर होते हैं जहां से डाउट क्लियर हो जाते हैं.
"डिस्टेंस एजुकेशन में सर्टिफिकेट कोर्सेज, बैचलर कोर्सेज, डिप्लोमा कोर्सेज और डिग्री कोर्सेज सभी उपलब्ध हैं. नए स्किल से संबंधित भी पाठ्यक्रम है. ऐसे में जिन छात्र-छात्राओं की स्थिति प्रतिदिन जाकर कॉलेज करने की नहीं है, जिनके लिए नौकरी करना जरूरी है. वह डिस्टेंस मोड में अपने आगे की पढ़ाई जारी रख सकते हैं जो आगे करियर में उन्हें मदद ही करेगा." -डॉ केसी सिन्हा, वाइस चांसलर, नालंदा खुला विश्वविद्यालय
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