पटना : अमित शाह के हालिया बयान से कयासों को और बल मिल रहा है. क्योंकि, नीतीश कुमार बीजेपी की मजबूरी भी रहे हैं. 2019 में नीतीश कुमार जब बीजेपी के साथ थे तो एनडीए को 40 में से 39 सीट मिली थी. अब जो सर्वे आ रहे हैं उसमें भी साफ है कि नीतीश कुमार यदि इंडिया गठबंधन के साथ रहेंगे तो एनडीए को सीटों का नुकसान होना तय है. दूसरी तरफ नीतीश कुमार भी बीजेपी के साथ रहते हैं तो सीटों का उन्हें लाभ मिल सकता है. आगे की राजनीति के लिए भी बिहार में उनके लिए स्थितियां अनुकूल हो सकती हैं.
अकेले फ्लॉप, साथ में टॉप : बिहार में नीतीश कुमार को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं कि कभी भी पाला बदल सकते हैं. भाजपा नेताओं के भी सुर इन दोनों बदल चुके हैं. नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान भी संभाली है. ललन सिंह को बीजेपी विरोधी के तौर पर इन दिनों देखा जा रहा था. लालू प्रसाद यादव से उनकी नजदीकियां बढ़ रही थीं. ललन सिंह के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा और नीतीश कुमार के फिर से कमान संभालने के बाद कयासों को और बल मिला.
पाला बदलने वाले हैं नीतीश: हाल में अमित शाह का एक बयान चर्चा में है. जिसमें उन्होंने पुराने सहयोगियों की ओर से प्रस्ताव मिलने पर विचार करने की बात कही है. क्योंकि, पहले नीतीश कुमार को लेकर अमित शाह कहते रहे हैं कि बीजेपी में दरवाजा बंद है. हालांकि जदयू के मंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि ''अमित शाह जी ने कभी ऐसा नहीं कहा कि दरवाजा बंद है. उन्होंने जो कहा है कि प्रस्ताव आएगा तो विचार करेंगे. लेकिन प्रस्ताव देगा कौन? हम लोग तो देने वाले नहीं हैं.''
क्या कहते हैं विशेषज्ञ : राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना हैं कि ''राजनीति में ना तो कभी दरवाजा बंद रहता है ना ही खुला, परिस्थितियों के अनुसार फैसला होता है. अमित शाह पहले जरूर कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी का दरवाजा बंद है, लेकिन हालिया बयान निश्चित रूप से नीतीश कुमार के लिए रास्ता बनाने की तैयारी हो रही है.''
नीतीश के दोनों हाथ में लड्डू : यदि इंडिया गठबंधन के साथ रहते हैं, तब इंडिया गठबंधन को फायदा पहुंचाएंगे. यदि भाजपा के साथ रहेंगे तो एनडीए को फायदा पहुंचाएंगे, यह विभिन्न सर्वे में आया है. साथ ही नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रहते हैं तो उन्हें भी इंडिया गठबंधन के मुकाबले ज्यादा लाभ मिलेगा. उनके लिए आगे की राजनीति करना भी अनुकूल होगा.
''इंडिया गठबंधन के साथ नीतीश कुमार रहेंगे तो 18 -19 सीटों का लाभ इंडिया गठबंधन को हो सकता है. यदि एनडीए में फिर चले आते हैं तो वह सारा सीट एनडीए में आ जाएगा.'' - रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ
नीतीश के आंकड़े पर नजर : 2005 में नीतीश कुमार ने बिहार की सत्ता संभाली थी और उसके बाद से लगातार एक दशक तक भाजपा के साथ सभी चुनाव लड़ते रहे. 2014 में लोकसभा का चुनाव नीतीश कुमार अकेले लड़े थे और केवल दो सेट ही जीत पाए थे. 2015 में फिर से लालू प्रसाद यादव के साथ उनका गठबंधन हो गया और महागठबंधन की सरकार बन गई.
पलटीमार राजनीति से विरोधियों को पछाड़ा : लेकिन, उसके बाद नीतीश कुमार 2017 में पाला बदलकर बीजेपी के साथ फिर आ गए. इस दौरान 2019 में लोकसभा का चुनाव हुआ जिसमें एनडीए को लाभ हुआ और 2020 में विधानसभा का चुनाव हुआ उसमें भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA की सरकार बन गई. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू को काफी नुकसान हो गया. इसी कारण भाजपा के साथ उनका टसल बढ़ती रही.
फिर गठबंधन बदलने की चर्चा : 2022 में नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया, अभी भी महागठबंधन में हैं. अगर नीतीश पाला नहीं बदलते हैं, तो पहली बार ऐसा होगा. जब लालू एक साथ लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में बीजेपी को सीटों का नुकसान हो सकता है और बीजेपी की बेचैनी इसी को लेकर है.