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दर्दनाक तरीके से होता था बाघ और तेंदुआ का शिकार, राजस्थान से जुड़ा है तार - Tiger Hunting

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 5, 2024, 5:09 PM IST

Palamu Tiger Reserve. पीटीआर के इलाके में शिकारी सालों से सक्रिय थे. इस दौरान उन्होंने एक बाघ और 6 तेंदुए का शिकार किया है. ये लोग पहले अपने शिकार को पकड़ते थे फिर बाद में उन्हें पीट-पीटकर मार देते थे.

Tiger and Leopard Hunting
बेतला नेशनल पार्क (Tiger and Leopard Hunting)

पलामू: दर्दनाक तरीके से बाघ और तेंदुआ का शिकार किया जाता है. बाघ, तेंदुआ एवं अन्य जंगली जीवों को पहले पंजे में फंसाया जाता है उसके बाद उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है. दर्दनाक तरीके से जीव को पीट-पीटकर मारा जाता है. बाद में उसके खाल को उतार दिया जाता है.

संवाददाता नीरज की रिपोर्ट (ईटीवी भारत)

दरअसल, कुछ दिनों पहले झारखंड के जमशेदपुर के इलाके में वन विभाग की टीम ने तेंदुआ के खाल के साथ तस्करों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार तस्करों का लिंक पलामू से जुड़ा था. बाद में पुलिस एवं वन विभाग की टीम ने पलामू से तीन तस्करों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार तस्कर जाकिर अंसारी, दिनेश्वर सिंह और विजय यादव पलामू के चैनपुर के रहने वाले हैं.

जड़ी बूटी बेचने के बहाने राजस्थान के तस्कर शिकार के लिए हुए थे दाखिल

पलामू से गिरफ्तार तीनों तस्करों ने वन विभाग को बताया है कि करीब छह वर्ष पहले राजस्थान से कुछ लोग जड़ी बूटी बेचने आए थे. जड़ी बूटी बेचने के बहाने तस्कर जाकिर, दिनेश्वर और विजय के संपर्क में आए थे. राजस्थान के तस्करों ने तीनों को शिकार का ट्रेनिंग दिया था और कई उपकरण भी दिए थे. गिरफ्तार तस्करों ने वन विभाग को बताया है कि छह वर्ष पहले राजस्थान के तस्करों के सहयोग से छह तेंदुआ और एक बाघ का शिकार हुआ था. उस दौरान खाल के एवज में तस्करों ने पांच से छह हजार रुपए दिया था.

घर के अगल-बगल किया गया था शिकार, तेंदुआ के शिकार पर पर रखी जाती थी निगरानी

गिरफ्तार तस्करों ने बताया कि वे शिकार के लिए पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में अंदरूनी इलाकों में दाखिल नहीं होते थे. सभी शिकार पलामू और लातेहार सीमावर्ती इलाके में किए गए हैं. तेंदुआ और बाघ का एक बार शिकार करने के बाद उसे कई हिस्सों में खाता है. इसी कमजोरी का फायदा तस्करों ने उठाया है. शिकार के अगल-बगल बाघ और तेंदुआ के पंजे को फंसाने के लिए जंजीर लगाई जाती थी. जंजीर में फंसने के बाद बाघ या तेंदुआ को पीट-पीटकर मार डाला जाता था.

राजस्थान के नेटवर्क को पकड़ना है बड़ी चुनौती

राजस्थान का जड़ी बूटी बेचने और अंगूठी बनाने वाला तस्कर गिरोह के नेटवर्क को पकड़ना बड़ी चुनौती बन गई है. राजस्थान के नेटवर्क ने छह वर्षो से पलामू के तस्करों से संपर्क नहीं किया है. राजस्थान के तस्कर कोई मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते थे और उन्होंने अपना वास्तविक नाम पता नहीं बताया था. पलामू के शिकारियों ने राजस्थान के तस्करों के सभी तरह के उपकरण को चुरा लिया था और अपने पास रखा लिया था. इसी उपकरण से सभी शिकार को करते थे.

"राजस्थान के तस्करों ने पंजा बनाना और शिकार करना सिखाया था. पांच से छह वर्ष पहले सभी शिकार किए गए थे. गिरफ्तार तस्करों ने कई जानकारी दी है जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जा रही है. वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो भी मामले में जांच कर रही है. गिरफ्तार तस्करों ने बताया है कि वह किस तरीके से शिकार करते थे और वन्य जीवों को मारते थे."- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर

ये भी पढ़ें- पलामू के पीटीआर इलाके में एक बाघ और 6 तेंदुए का शिकार! मामले में तीन शिकारी गिरफ्तार, राजस्थान से जुड़ा कनेक्शन - Tiger and 6 leopards were hunted

पलामू: दर्दनाक तरीके से बाघ और तेंदुआ का शिकार किया जाता है. बाघ, तेंदुआ एवं अन्य जंगली जीवों को पहले पंजे में फंसाया जाता है उसके बाद उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है. दर्दनाक तरीके से जीव को पीट-पीटकर मारा जाता है. बाद में उसके खाल को उतार दिया जाता है.

संवाददाता नीरज की रिपोर्ट (ईटीवी भारत)

दरअसल, कुछ दिनों पहले झारखंड के जमशेदपुर के इलाके में वन विभाग की टीम ने तेंदुआ के खाल के साथ तस्करों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार तस्करों का लिंक पलामू से जुड़ा था. बाद में पुलिस एवं वन विभाग की टीम ने पलामू से तीन तस्करों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार तस्कर जाकिर अंसारी, दिनेश्वर सिंह और विजय यादव पलामू के चैनपुर के रहने वाले हैं.

जड़ी बूटी बेचने के बहाने राजस्थान के तस्कर शिकार के लिए हुए थे दाखिल

पलामू से गिरफ्तार तीनों तस्करों ने वन विभाग को बताया है कि करीब छह वर्ष पहले राजस्थान से कुछ लोग जड़ी बूटी बेचने आए थे. जड़ी बूटी बेचने के बहाने तस्कर जाकिर, दिनेश्वर और विजय के संपर्क में आए थे. राजस्थान के तस्करों ने तीनों को शिकार का ट्रेनिंग दिया था और कई उपकरण भी दिए थे. गिरफ्तार तस्करों ने वन विभाग को बताया है कि छह वर्ष पहले राजस्थान के तस्करों के सहयोग से छह तेंदुआ और एक बाघ का शिकार हुआ था. उस दौरान खाल के एवज में तस्करों ने पांच से छह हजार रुपए दिया था.

घर के अगल-बगल किया गया था शिकार, तेंदुआ के शिकार पर पर रखी जाती थी निगरानी

गिरफ्तार तस्करों ने बताया कि वे शिकार के लिए पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में अंदरूनी इलाकों में दाखिल नहीं होते थे. सभी शिकार पलामू और लातेहार सीमावर्ती इलाके में किए गए हैं. तेंदुआ और बाघ का एक बार शिकार करने के बाद उसे कई हिस्सों में खाता है. इसी कमजोरी का फायदा तस्करों ने उठाया है. शिकार के अगल-बगल बाघ और तेंदुआ के पंजे को फंसाने के लिए जंजीर लगाई जाती थी. जंजीर में फंसने के बाद बाघ या तेंदुआ को पीट-पीटकर मार डाला जाता था.

राजस्थान के नेटवर्क को पकड़ना है बड़ी चुनौती

राजस्थान का जड़ी बूटी बेचने और अंगूठी बनाने वाला तस्कर गिरोह के नेटवर्क को पकड़ना बड़ी चुनौती बन गई है. राजस्थान के नेटवर्क ने छह वर्षो से पलामू के तस्करों से संपर्क नहीं किया है. राजस्थान के तस्कर कोई मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते थे और उन्होंने अपना वास्तविक नाम पता नहीं बताया था. पलामू के शिकारियों ने राजस्थान के तस्करों के सभी तरह के उपकरण को चुरा लिया था और अपने पास रखा लिया था. इसी उपकरण से सभी शिकार को करते थे.

"राजस्थान के तस्करों ने पंजा बनाना और शिकार करना सिखाया था. पांच से छह वर्ष पहले सभी शिकार किए गए थे. गिरफ्तार तस्करों ने कई जानकारी दी है जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जा रही है. वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो भी मामले में जांच कर रही है. गिरफ्तार तस्करों ने बताया है कि वह किस तरीके से शिकार करते थे और वन्य जीवों को मारते थे."- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर

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