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एक आइडिया ने पांच करोड़ से भर दिया एचआरटीसी का खजाना, जीरो ओवरटाइम के बाद अब सुख की नींद सोते हैं चालक-परिचालक

एचआरटीसी के डीडीएम विवेक लखनपाल के एक आइडिया ने निगम का खजाना तो भरा ही साथ ही चालक-परिचालक को भी ओरटाइम से राहत मिली है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

कॉन्सेप्ट इमेज
कॉन्सेप्ट इमेज (ETV BHARAT)

शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम के चालक-परिचालक अब चैन की नींद सोते हैं. उन्हें आराम करने का भरपूर समय मिलता है और वे कुछ समय परिवार के साथ भी बिता पाते हैं. यही नहीं, जीरो ओवरटाइम के कारण अब एचआरटीसी के डिपो सालाना सरकारी खजाने में पांच करोड़ रुपए की बचत की रकम डालते हैं. ये सब संभव हुआ है मात्र एक आइडिया के लागू होने से. ये आइडिया एक दूरदर्शी अफसर का है. हर समय घाटे का रोना रोने वाले अफसरों के लिए ये आंखें खोल देने वाली खबर है.

अगर नौकरशाही क्रिएटिव आइडिया के साथ काम करे तो सरकार का खजाना भी भरता है और कार्यकुशलता भी बढ़ती है. एचआरटीसी के अफसर विवेक लखनपाल ने ओवरटाइम बंद करके चालक-परिचालक वर्ग को सुख दिया है. विवेक लखनपाल एचआरटीसी में डीडीएम यानी डिप्टी डिवीजनल मैनेजर के पद पर बिलासपुर में तैनात हैं. वे एचआरटीसी के कई डिपो में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने सबसे पहले हमीरपुर डिपो से इस मुहिम की शुरुआत की थी. तब वे हमीरपुर डिपो के आरएम यानी रीजनल मैनेजर थे. उसके बाद वे बिलासपुर में डीडीएम बने तो ये काम बिलासपुर डिपो में भी आरंभ हुआ. अब कई डिपो इसे अपना चुके हैं.

ओवरटाइम की समस्या को ऐसे किया ओवरटेक

हिमाचल में एचआरटीसी प्रबंधन के सामने ओवरटाइम का भुगतान एक बड़ी समस्या रहा है. कई चालक-परिचालकों का ओवरटाइम दस साल से ड्यू है. इसके लिए एक बड़ी रकम चाहिए. ऐसे में विवेक लखनपाल ने एक प्रयोग किया. उन्होंने हमीरपुर डिपो में पहले-पहल जीरो ओवरटाइम लागू किया. यानी कोई भी चालक व परिचालक अपनी तय ड्यूटी से अधिक काम नहीं करेगा. उसे आठ घंटे की ड्यूटी के अलावा ओवरटाइम के लिए नहीं कहा जाएगा. इससे चालक व परिचालक को आराम भी मिलेगा और एचआरटीसी को ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं करना होगा. इसका लाभ ये हुआ कि एचआरटीसी के खजाने को सालाना पांच करोड़ रुपए की बचत होने लगी. कुछ चालक-परिचालक अपनी ड्यूटी को लेकर नियमित नहीं थे. विवेक लखनपाल ने इसे नियमित किया और जरूरत के हिसाब से सभी की ड्यूटी तय की. इसका लाभ ये हुआ कि ओवरटाइम की जरूरत ही न्यूनतम हो गई.

कौन हैं विवेक लखनपाल

विवेक लखनपाल एचआरटीसी के एक दूरदर्शी अफसर हैं. वे एनआईटी गोवा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल कर चुके हैं. एचआरटीसी में सेवा से पहले वे एनआईटी हमीरपुर में अध्यापन कर चुके हैं. लखनपाल क्रिएटिव आइडिया वाले अफसर के नाम से विख्यात हैं. हमीरपुर जिला के धनेटा से संबंध रखने वाले विवेक लखनपाल इस समय डीडीएम के पद पर बिलासपुर में हैं. उन्होंने हमीरपुर डिपो में रहते हुए जीरो ओवरटाइम का कांसेप्ट लागू किया था. एचआरटीसी के स्वर्ण जयंती अवसर पर आयोजित समारोह में विवेक लखनपाल को राज्य स्तरीय सम्मान से अलंकृत किया गया.

HRTC की 50वीं वर्षगांठ पर विवेक लखनपाल को किया गया सम्मानित
HRTC की 50वीं वर्षगांठ पर विवेक लखनपाल को किया गया सम्मानित (ETV BHARAT)

विवेक लखनपाल के इससे पहले एचआरटीसी के नालागढ़ डिपो में क्षेत्रीय प्रबंधक के तौर पर सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मान मिल चुका है. वर्ष 2018 में नालागढ़ के आरएम के पद पर सेवाएं देते हुए लखनपाल ने डिपो की आय बढ़ाई थी और तेल बचत का भी रिकॉर्ड बनाया था. उन्हें तब बेस्ट आरएम का खिताब दिया गया था. लखनपाल का कहना है कि एचआरटीसी हिमाचल की रीढ़ की हड्डी है. सभी कर्मचारियों का ये कर्तव्य बनता है कि वो जनता को बेहतर सेवाएं प्रदान करें. अवार्ड मिलना अलग तरह की खुशी देता है और वे आगे भी एचआरटीसी को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने में अपना योगदान देते रहेंगे.

ये भी पढ़ें: HRTC कर्मियों की हो गई दिवाली, इस काम के लिए सुक्खू सरकार जारी करेगी 50 करोड़

ये भी पढ़ें: हिमाचल में प्राकृतिक खेती उत्पादों के समर्थन मूल्य की घोषणा, मक्के की एमएसपी ₹3000 प्रति क्विंटल

शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम के चालक-परिचालक अब चैन की नींद सोते हैं. उन्हें आराम करने का भरपूर समय मिलता है और वे कुछ समय परिवार के साथ भी बिता पाते हैं. यही नहीं, जीरो ओवरटाइम के कारण अब एचआरटीसी के डिपो सालाना सरकारी खजाने में पांच करोड़ रुपए की बचत की रकम डालते हैं. ये सब संभव हुआ है मात्र एक आइडिया के लागू होने से. ये आइडिया एक दूरदर्शी अफसर का है. हर समय घाटे का रोना रोने वाले अफसरों के लिए ये आंखें खोल देने वाली खबर है.

अगर नौकरशाही क्रिएटिव आइडिया के साथ काम करे तो सरकार का खजाना भी भरता है और कार्यकुशलता भी बढ़ती है. एचआरटीसी के अफसर विवेक लखनपाल ने ओवरटाइम बंद करके चालक-परिचालक वर्ग को सुख दिया है. विवेक लखनपाल एचआरटीसी में डीडीएम यानी डिप्टी डिवीजनल मैनेजर के पद पर बिलासपुर में तैनात हैं. वे एचआरटीसी के कई डिपो में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने सबसे पहले हमीरपुर डिपो से इस मुहिम की शुरुआत की थी. तब वे हमीरपुर डिपो के आरएम यानी रीजनल मैनेजर थे. उसके बाद वे बिलासपुर में डीडीएम बने तो ये काम बिलासपुर डिपो में भी आरंभ हुआ. अब कई डिपो इसे अपना चुके हैं.

ओवरटाइम की समस्या को ऐसे किया ओवरटेक

हिमाचल में एचआरटीसी प्रबंधन के सामने ओवरटाइम का भुगतान एक बड़ी समस्या रहा है. कई चालक-परिचालकों का ओवरटाइम दस साल से ड्यू है. इसके लिए एक बड़ी रकम चाहिए. ऐसे में विवेक लखनपाल ने एक प्रयोग किया. उन्होंने हमीरपुर डिपो में पहले-पहल जीरो ओवरटाइम लागू किया. यानी कोई भी चालक व परिचालक अपनी तय ड्यूटी से अधिक काम नहीं करेगा. उसे आठ घंटे की ड्यूटी के अलावा ओवरटाइम के लिए नहीं कहा जाएगा. इससे चालक व परिचालक को आराम भी मिलेगा और एचआरटीसी को ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं करना होगा. इसका लाभ ये हुआ कि एचआरटीसी के खजाने को सालाना पांच करोड़ रुपए की बचत होने लगी. कुछ चालक-परिचालक अपनी ड्यूटी को लेकर नियमित नहीं थे. विवेक लखनपाल ने इसे नियमित किया और जरूरत के हिसाब से सभी की ड्यूटी तय की. इसका लाभ ये हुआ कि ओवरटाइम की जरूरत ही न्यूनतम हो गई.

कौन हैं विवेक लखनपाल

विवेक लखनपाल एचआरटीसी के एक दूरदर्शी अफसर हैं. वे एनआईटी गोवा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल कर चुके हैं. एचआरटीसी में सेवा से पहले वे एनआईटी हमीरपुर में अध्यापन कर चुके हैं. लखनपाल क्रिएटिव आइडिया वाले अफसर के नाम से विख्यात हैं. हमीरपुर जिला के धनेटा से संबंध रखने वाले विवेक लखनपाल इस समय डीडीएम के पद पर बिलासपुर में हैं. उन्होंने हमीरपुर डिपो में रहते हुए जीरो ओवरटाइम का कांसेप्ट लागू किया था. एचआरटीसी के स्वर्ण जयंती अवसर पर आयोजित समारोह में विवेक लखनपाल को राज्य स्तरीय सम्मान से अलंकृत किया गया.

HRTC की 50वीं वर्षगांठ पर विवेक लखनपाल को किया गया सम्मानित
HRTC की 50वीं वर्षगांठ पर विवेक लखनपाल को किया गया सम्मानित (ETV BHARAT)

विवेक लखनपाल के इससे पहले एचआरटीसी के नालागढ़ डिपो में क्षेत्रीय प्रबंधक के तौर पर सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मान मिल चुका है. वर्ष 2018 में नालागढ़ के आरएम के पद पर सेवाएं देते हुए लखनपाल ने डिपो की आय बढ़ाई थी और तेल बचत का भी रिकॉर्ड बनाया था. उन्हें तब बेस्ट आरएम का खिताब दिया गया था. लखनपाल का कहना है कि एचआरटीसी हिमाचल की रीढ़ की हड्डी है. सभी कर्मचारियों का ये कर्तव्य बनता है कि वो जनता को बेहतर सेवाएं प्रदान करें. अवार्ड मिलना अलग तरह की खुशी देता है और वे आगे भी एचआरटीसी को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने में अपना योगदान देते रहेंगे.

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