लखनऊ: यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में फर्जी डिप्लोमा लगाकर सात लोगों ने आठ वर्षों तक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण में नौकरी की. अब जब जांच हुई तो डिप्लोमा फर्जी होने का खुलासा हुआ. खाद्य प्रसंस्करण उपनिदेशक ने इन सात लोगों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई है. सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर आठ वर्षों तक दिए गए वेतन की वसूली भी की जायेगी.
दरअसल, हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराने वाले उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के उपनिदेशक प्रवीन कुमार के मुताबिक, वर्ष 2016 में पर्यवेक्षक वर्ग-तीन के 72 पदों पर भर्ती की. यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को सूचना दी गई थी. शैक्षिक आर्हता इण्टर के साथ एक वर्षीय डिप्लोमा था. 5 अप्रैल 2022 को आयोग ने विभाग को नौ लोगों की चयन सूची दी और कहा, कि इन सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापन करवाने के बाद ही नियुक्ति की जाए. लेकिन, तत्कालीन निदेशक ने बिना दस्तावेज सत्यापन करवाए ही नियुक्ति आदेश जारी कर दिया था.
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जांच में सामने आया है कि, चयन हुए नौ लोगों में सात लोगों ने आंध्र प्रदेश के अनन्तपुरम स्थित कृष्णदेव आर्य विश्वविद्यालय का डिप्लोमा लगाया था. जबकि, जिस कोर्स का डिप्लोमा लगाया गया था, वह असल में है ही नहीं. जिसके बाद से इन सभी सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. जिनके खिलाफ एफआईआर हुई है, उनमें प्रयागराज निवासी वेद प्रकाश सिंह, हमीरपुर राठ निवासी राजकिशोर पटेल, कन्नौज निवासी अमित कुमार,बाराबंकी निवासी अनुराधा वर्मा, सुलतानपुर निवासी आलोक अग्रहरि, प्रतापगढ़ निवासी पंकज यादव, और रविंद्र सिंह शामिल है. इंस्पेक्टर हजरतगंज विक्रम सिंह ने बताया, कि उपनिदेशक की तहरीर पर धोखाधड़ी, साजिश रचने और जाली दस्तावेज का केस दर्ज किया गया है.