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Karwa Chauth 2024: करवा चौथ पर न हो चांद का दीदार तो कैसे खोले व्रत ?

करवा चौथ का व्रत चांद देखकर ही खोला जाता है लेकिन अगर चांद ना दिखे तो सुहागिनें क्या करें ?

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

करवा चौथ पर ना दिखे चांद तो कैसे करें व्रत का पारण
करवा चौथ पर ना दिखे चांद तो कैसे करें व्रत का पारण (ETV BHARAT)

कुल्लू: इस बार 20 अक्टूबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा. सुहागिन महिलाएं शाम के समय सज धजकर बेसब्री से चांद इंतजार करती हैं. करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखकर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सौभाग्य, समृद्धि और सुखी जीवन की कामना करती हैं. दिनभर भूखे प्यासे रहकर रात को चांद का दीदार होने पर ही व्रत पूरा माना जाता है और चांद दिखने पर पूजा-पाठ करने के बाद ही करवा चौथ का व्रत खोलने का विधान है.

अगर चांद नजर न आए तो क्या करें ?

करवा चौथ के व्रत और चांद का गहरा कनेक्शन है. सुहागिने दिनभर भूखी-प्यासी रहती हैं, चांद निकलने के बाद छलनी से पति का चेहरा और चंद्रमा का दीदार किया जाता है. चांद को अर्घ्य दिया जाता है और पूजा की जाती है. इसके बाद ही करवा चौथ का व्रत पूरा माना जाता है. चांद दिखने के बाद ही सुहागिने व्रत खोलती हैं लेकिन सवाल है कि अगर किसी कारणवश करवा चौथ के दिन चांद ना दिखे तो व्रत कैसे तोड़ सकते हैं.

दरअसल मौसम खराब होने या बादल छाने की स्थिति में चांद नजर नहीं आता है. इसी तरह बड़े शहरों में प्रदूषण और गगनचुंभी इमारतों से चांद के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं. ऐसे में क्या करना चाहिए ? कुल्लू के आचार्य दीप कुमार का कहना है कि, 'अगर चंद्रमा आसमान में नजर ना आए तो ऐसे में कई उपाय किए जा सकते हैं. इस स्थिति में महिलाएं निराश न हों, बल्कि भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन कर अपना व्रत खोल सकती हैं, यदि आपके घर में भगवान शिव की ऐसी कोई प्रतिमा न हो, तो मंदिर जाकर भी व्रत खोल सकते हैं. व्रत खोलने का सबसे अच्छा उपाय ये भी है कि जिस दिशा से चांद का उदय होता है. उधर मुंह करके चंद्रमा का ध्यान करें और व्रत खोलें. वहीं, महिलाएं पूजा घर में चावल का चंद्रमा बनाकर भी विधि-विधान से उनकी पूजा करके अपना व्रत खोल सकती हैं. '

20 अक्टूबर को मनाया जाएगा करवा चौथ
20 अक्टूबर को मनाया जाएगा करवा चौथ (ETV Bharat)
ये भी पढ़ें: करवा चौथ पर सुहागिनें छलनी से क्यों करती हैं चांद का दर्शन, जानें इसकी पीछे की वजह

चांद ना दिखे तो सुहागिनें ऐसे खोलें करवा चौथ का व्रत

  • भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन करके व्रत खोल सकते हैं.
  • घर में भगवान शिव की ऐसी प्रतिमा ना हो तो मंदिर जाकर भी व्रत खोल सकते हैं.
  • जिस दिशा सें चंद्रमा का उदय होता है उस दिशा में चंद्रमा का ध्यान करके व्रत खोलें.
  • पूजा घर में चावल का चंद्रमा बनाकर उसकी पूजा करें और व्रत खोलें.
  • चंद्र देव को याद करके विधिवत पूजा के बाद व्रत खोल सकते हैं.

आचार्य दीप कुमार ने कहा कि, 'करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं चांद नजर ना आने पर चंद्र देव का आह्वान या उन्हें याद करने के साथ विधि-विधान से पूजा पाठ करके भी व्रत को पूरा कर सकती हैं. इस दौरान महिलाएं लक्ष्मी माता की पूजा करें. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गर्भवती, बुजुर्ग और बीमार महिलाएं अगर चंद्र दर्शन नहीं कर पाती हैं तो वे बिना चंद्र दर्शन ही व्रत का पारण कर सकती हैं.'

शिव-पार्वती और गणेश के साथ होती चंद्रमा की पूजा

बता दें कि करवा चौथ में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश के साथ-साथ चंद्र भगवान की पूजा की जाती है. पूजन में मौसमी फल, नारियल, आदि चढ़ाया जाता है. इस दौरान महिलाएं नये वस्त्र या साफ सुथरा वस्त्र पहनती हैं. सोलह श्रृंगार कर तैयार होती हैं. दीपक जला कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं या स्वयं पढ़ती हैं. करवा चौथ का दिन करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. बता दें कि करवा शब्द का उपयोग करक मिट्टी के पात्रों के लिए किया जाता है. इसका उपयोग पुराने जमाने चंद्रमा को जल अर्पण के लिए किया जाता है. पूजन के बाद प्रसाद व करवा को दान करने की परंपरा रही है.

ये भी पढ़ें: करवा चौथ पर महिलाएं भूलकर भी न करें ये काम, वरना नहीं मिलेगा व्रत का फल

ये भी पढ़ें: इस दिन मनाया जाएगा करवा चौथ, जानें सरगी खाने और व्रत खोलने का समय

कुल्लू: इस बार 20 अक्टूबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा. सुहागिन महिलाएं शाम के समय सज धजकर बेसब्री से चांद इंतजार करती हैं. करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखकर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सौभाग्य, समृद्धि और सुखी जीवन की कामना करती हैं. दिनभर भूखे प्यासे रहकर रात को चांद का दीदार होने पर ही व्रत पूरा माना जाता है और चांद दिखने पर पूजा-पाठ करने के बाद ही करवा चौथ का व्रत खोलने का विधान है.

अगर चांद नजर न आए तो क्या करें ?

करवा चौथ के व्रत और चांद का गहरा कनेक्शन है. सुहागिने दिनभर भूखी-प्यासी रहती हैं, चांद निकलने के बाद छलनी से पति का चेहरा और चंद्रमा का दीदार किया जाता है. चांद को अर्घ्य दिया जाता है और पूजा की जाती है. इसके बाद ही करवा चौथ का व्रत पूरा माना जाता है. चांद दिखने के बाद ही सुहागिने व्रत खोलती हैं लेकिन सवाल है कि अगर किसी कारणवश करवा चौथ के दिन चांद ना दिखे तो व्रत कैसे तोड़ सकते हैं.

दरअसल मौसम खराब होने या बादल छाने की स्थिति में चांद नजर नहीं आता है. इसी तरह बड़े शहरों में प्रदूषण और गगनचुंभी इमारतों से चांद के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं. ऐसे में क्या करना चाहिए ? कुल्लू के आचार्य दीप कुमार का कहना है कि, 'अगर चंद्रमा आसमान में नजर ना आए तो ऐसे में कई उपाय किए जा सकते हैं. इस स्थिति में महिलाएं निराश न हों, बल्कि भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन कर अपना व्रत खोल सकती हैं, यदि आपके घर में भगवान शिव की ऐसी कोई प्रतिमा न हो, तो मंदिर जाकर भी व्रत खोल सकते हैं. व्रत खोलने का सबसे अच्छा उपाय ये भी है कि जिस दिशा से चांद का उदय होता है. उधर मुंह करके चंद्रमा का ध्यान करें और व्रत खोलें. वहीं, महिलाएं पूजा घर में चावल का चंद्रमा बनाकर भी विधि-विधान से उनकी पूजा करके अपना व्रत खोल सकती हैं. '

20 अक्टूबर को मनाया जाएगा करवा चौथ
20 अक्टूबर को मनाया जाएगा करवा चौथ (ETV Bharat)
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चांद ना दिखे तो सुहागिनें ऐसे खोलें करवा चौथ का व्रत

  • भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन करके व्रत खोल सकते हैं.
  • घर में भगवान शिव की ऐसी प्रतिमा ना हो तो मंदिर जाकर भी व्रत खोल सकते हैं.
  • जिस दिशा सें चंद्रमा का उदय होता है उस दिशा में चंद्रमा का ध्यान करके व्रत खोलें.
  • पूजा घर में चावल का चंद्रमा बनाकर उसकी पूजा करें और व्रत खोलें.
  • चंद्र देव को याद करके विधिवत पूजा के बाद व्रत खोल सकते हैं.

आचार्य दीप कुमार ने कहा कि, 'करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं चांद नजर ना आने पर चंद्र देव का आह्वान या उन्हें याद करने के साथ विधि-विधान से पूजा पाठ करके भी व्रत को पूरा कर सकती हैं. इस दौरान महिलाएं लक्ष्मी माता की पूजा करें. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गर्भवती, बुजुर्ग और बीमार महिलाएं अगर चंद्र दर्शन नहीं कर पाती हैं तो वे बिना चंद्र दर्शन ही व्रत का पारण कर सकती हैं.'

शिव-पार्वती और गणेश के साथ होती चंद्रमा की पूजा

बता दें कि करवा चौथ में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश के साथ-साथ चंद्र भगवान की पूजा की जाती है. पूजन में मौसमी फल, नारियल, आदि चढ़ाया जाता है. इस दौरान महिलाएं नये वस्त्र या साफ सुथरा वस्त्र पहनती हैं. सोलह श्रृंगार कर तैयार होती हैं. दीपक जला कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं या स्वयं पढ़ती हैं. करवा चौथ का दिन करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. बता दें कि करवा शब्द का उपयोग करक मिट्टी के पात्रों के लिए किया जाता है. इसका उपयोग पुराने जमाने चंद्रमा को जल अर्पण के लिए किया जाता है. पूजन के बाद प्रसाद व करवा को दान करने की परंपरा रही है.

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