पलामू: पूरे देश में महिलाओं का राजनीतिक कद बढ़ा है. महिलाएं आज राजनीति के सर्वोच्च पद पर भी पहुंच चुकी हैं. पिछड़े इलाकों में शामिल पलामू भी महिलाओं की राजनीति के लिए देशभर में चर्चित रहा है. भारतीय संसदीय इतिहास में पलामू लोकसभा सीट से 10 महिला प्रत्याशी अब तक चुनाव लड़ चुकी हैं. जिनमें मात्र दो महिला प्रत्याशी ही सांसद बनी हैं.
1962 में शशांक मंजरी जबकि 1967 में पहली बार कमला कुमारी सांसद बनी थीं. 1967 में ही पलामू लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हुआ था. 1962 में रामगढ़ राजघराने की शशांक मंजरी स्वतंत्र पार्टी से सांसद बनी थीं. 1967, 1971, 1980 और 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से कमला कुमारी यहां से सांसद बनी.
1962 के लोकसभा चुनाव में शशांक मंजरी (शशांक मंजरी देवी साहिबा) पलामू से सांसद चुनी गई थी. उस दौरान उन्होंने स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ा था. शशांक मंजरी रामगढ़ राज परिवार से थी. शशांक मंजरी जरीडीह और डुमरी से विधायक भी रह चुकी हैं. 1969 में हुए तत्कालीन बिहार सरकार में सिंचाई मंत्री भी रही थी. उनका जन्म 20 जून 1899 को बिहार के पोराहाट के इलाके में हुआ था. 29 जनवरी 1987 को उनका निधन हो गया.
कमला कुमारी स्कूल की प्रिंसिपल से बनी थी पलामू से सांसद
कमला कुमारी पलामू से 1967, 1971, 1980 और 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद रह चुकी हैं. उनका जन्म 1937 में रांची में हुआ था. वरिष्ठ कांग्रेस नेता सह हिंदी न्यास बोर्ड के सदस्य हृदयानंद मिश्रा बताते है कि कमला कुमारी बिहार के दाउदनगर में स्कूल में प्रिंसिपल थीं. इस दौरान नारायण पाठक की पहल पर कमला कुमारी राजनीति में शामिल हुई और पलामू लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी. कमला कुमारी लॉ ग्रेजुएट थीं और बीएड के बराबर माने जाने वाले CPNET की भी पढ़ाई की थी. हृदयनंद मिश्रा बताते हैं कि 1984 में हुए चुनाव प्रचार के लिए भंडरिया के इलाके में गए हुए थे, उस दौरान ठंड काफी पड़ रही थी. इस दौरान कमला कुमारी ने ठंड से कांप रहे एक शख्स को अपना शॉल दान कर दिया था.
पलामू में महिला उम्मीदवारों का कद
वरिष्ठ पत्रकार प्रभात मिश्रा सुमन बताते हैं कि पलामू में शुरू से महिलाओं का राजनीतिक कद रहा है, हाल के वर्षों में कोई मजबूत कैंडिडेट सामने नहीं आया है. 1952 और 1957 में स्वतंत्रता सेनानी राजेश्वरी सरोज दास गढ़वा से विधायक चुनी गई थी और बिहार विधानसभा की पहली महिला सभापति भी बनी थीं. पलामू के इलाके में महिलाएं शुरू से अग्रणी रही हैं.
1962 में शशांक मंजरी को 82170 वोट मिले, 1967 में कमला कुमारी को 92886 वोट मिले, 1971 कमला कुमारी को 85271 वोट मिले, 1971 में ही लीला देवी को 4380 वोट मिले, 1977 कमला कुमारी को 3002 (हारी) वोट मिले, यशोदा देवी को 3028 वोट मिले, 1980 कमला कुमारी को 129013 वोट मिले, 1984 कमला कुमारी को 254846 वोट मिले, कमला कुमारी को 80267 वोट मिले, 1991 कमला कुमारी को 47745 वोट मिले, 1991 में सीमा पात्रा को 7286 वोट मिले, 1996 और 1998 में कोई महिला प्रत्याशी नहीं, 1999 रेणु देवी को 4386 वोट मिले, 2004 ज्ञानती देवी को 5699 वोट मिले, 2009 सुषमा मेहता को 22237 वोट मिले, पार्वती देवी को 8839 वोट मिले, 2014 में सुषमा मेहता को 8386 वोट मिले, 2019 को अंजना भुइयां 53597 वोट मिले, सुषमा मेहता 5004 वोट मिले.
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