भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार के हाउस रेंट अलाउंस बढ़ाने के फैसले से पहले महानगरों में पदस्थ कर्मचारियों को मूल वेतन और ग्रेड पे के जोड़ का 10 प्रतिशत ही हाउस रेंट अलाउंस के रूप में दिया जाता था. वहीं प्रदेश के कर्मचारियों को छठे वेतनमान के हिसाब से अधिकतम 30 प्रतिशत तक हाउस रेंट अलाउंस दिए जाने का प्रावधान है. ऐसे में प्रदेश के बाहर तैनात कर्मचारियों के लिए समान गृह भाड़ा भत्ता दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
तो कितना मिलेगा हाउस रेंट अलाउंस?
मध्य प्रदेश वित्त विभाग के आदेश के मुताबिक दिल्ली और मुंबई जैसे दूसरे महानगरों में पदस्थ कर्मचारी अधिकारियों को मूल वेतन और ग्रेड पे के जोड़ का 30 प्रतिशत हाउस रेंट अलाउंस के रूप में दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर किसी कर्मचारी का मूल वेतन अगर 20 हजार है, वहीं ग्रेड पे 20 हजार है तो हाउस रेंट अलाउंस 40 हजार का 30 प्रतिशत यानी तकरीबन 12 हजार रु होगा.
ग्रेड-पे के हिसाब से कम ज्यादा हो सकता है HRA
मध्य प्रदेश वित्त विभाग के आदेश के मुताबिक सभी कर्मचारियों को समान रूप से 30 प्रतिशत हाउस रेंट अलाउंस दिया जाएगा. हालांकि, इसमें कर्मचारियों की ग्रेड व क्लास के मुताबिक भत्ते में अंतर आ सकता है. अगर किसी अधिकारी/कर्मचारी का ग्रेड पे उसकी क्लास के मुताबिक ज्यादा है, तो हाउस रेंट अलाउंस भी उसके हिसाब से ज्यादा होगा.
अबतक कितना मिलता था हाउस रेंट अलाउंस?
मध्य प्रदेश वित्त विभाग के 9 सितंबर 2012 के आदेश क्रमांक एफ/4/2/2003/नियम/चार के मुताबिक 7 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में निवासरत अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए गृह भाड़ा भत्ते की दर बेसिक व ग्रेड-पे के योग का अधिकतम 10 प्रतिशत तय किया गया था. इस लिहाज से अगर किसी कर्मचारी की बेसिक व ग्रेड-पे का योग 40 हजार है तो उसे औसतन 4 हजार रु हाउस रेंट अलाउंस के रूप में दिए जा रहे थे, जो महानगरों के लिहाज से काफी कम था. वहीं अब HRA बढ़ने से बाहर रह रहे कर्मचारियों को मकान का किराया चुकाने में काफी राहत मिल सकती है.
डीए क्यों नहीं दे रही सरकार?
मध्य प्रदेश सरकार ने भले ही HRA यानी हाउस रेंट अलाउंस बढ़ाने का आदेश दिया हो लेकिन इसका फायदा केवल कुछ ही कर्मचारियों को मिलेगा, जो प्रदेश सरकार के लिए दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में रहकर काम करते हैं. वहीं प्रदेश सरकार द्वारा अबतक 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता ना बढ़ाए जाने से कर्मचारी संघों में नाराजगी है. तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं, '' प्रदेश की लाड़ली बहनों को सरकार 1250 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से हर माह 1574 करोड़ दे रही है. वहीं प्रदेश के साढ़े 7 लाख कर्मचारियों और साढ़े 4 लाख पेंशनर्स को महंगाई भत्ता और राहत नहीं मिल रही है, जबकि इस पर सरकार के हर माह 250 करोड़ खर्च होंगे.