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राजस्थान के हरणी गांव में नहीं होता होलिका दहन, जानिए वजह - Holi 2024

Holika Dahan, राजस्थान का एक ऐसा गांव जहां होली नहीं जलती है, बल्कि इस मौके पर आनूठी पूजा की जाती है. इस पूजा को देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं. जानिए इसके पिछे की दलचस्प कहानी...

Holi 2024
हरणी गांव में होता होलिका दहन
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 22, 2024, 6:58 PM IST

इस गांव में नहीं होता होलिका दहन, सुनिए लोगों ने क्या कहा...

भीलवाड़ा. राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के हरणी गांव में होली एक खास परंपरा के तहत मनाई जाती है, जिसके चलते अब इस गांव की ख्याति दूर-दूर तक पहुंच चुकी है. हरणी गांव में होली पर सोने के भक्त प्रहलाद चांदी की होली की गोद में बैठाए जाते हैं और फिर मंत्रोचार के साथ पूजा संपन्न होती है. इस अनूठी परंपरा के पीछे का कारण हम आपको बताते हैं....

वर्षों पहले हरणी गांव मे होली के लिए पेड़ काटने को लेकर विवाद व गांव में होलिका दहन के समय आगजनी की घटना हो गई थी. इसी विवाद के कारण गांव वालों ने तय कर लिया कि अब हम होली पेड़ काटकर नहीं मनाएंगे और गांव वालों ने सोने के प्रहलाद और चांदी की होली बनाकर उसकी पूजा शुरू कर होली का त्योहार मनाने की एक अनूठी परंपरा शुरू की, जो आज भी बदस्तूर जारी है.

पढ़ें : मेहंदीपुर बालाजी में 6 दिवसीय होली महोत्सव की शुरुआत, देश भर से लाखों श्रद्धालु पहुंचे - Mehandipur Balaji Holi Festival

होलिका दहन के दिन हरणी गांव में सभी ग्रामीण चारभुजा मंदिर पर इकट्ठा होते हैं और फिर ढोल-नगाड़ों के साथ सोने के प्रहलाद और चांदी की होली की शोभा यात्रा गांव में निकाल कर होलिका दहन स्थल तक ले जाते हैं. उसके बाद पूजा करके फिर वापस मंदिर में लाकर स्थापित कर देते हैं.

प्रर्यावरण संरक्षण में सहयोग : हरणी गांव के एक बुर्जुग ने कहा कि भीलवाड़ा शहर से 3 किलोमीटर दूर हमारे गांव हरणी गांव में होलिका दहन के लिए पेड़ काटने को लेकर विवाद हो गया था और आग लग गई थी. जिसके कारण आज से वर्षों पूर्व गांव के बुजुर्गों ने मिलकर यह निर्णय ले लिया कि अब हम होलिका दहन के लिए पेड़ नहीं काटेंगे. गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर सोने के प्रहलाद और चांदी की होली बनवा ली. हम लोगों का सभी लोगों से यही अनुरोध है कि वे पेड़ न काटें और पर्यावरण को बचाने में जुट जाएं. जिस तरह से बहुत पहले हमारे गांव में लोगों ने संकल्प लिया कि हम आज के बाद पेड़ काटकर होलिका दहन नहीं करेंगे, वैसे बाकी लोगों को भी आगे आकर प्रर्यावरण संरक्षण में सहयोग करना चाहिए.

वहीं, गांव के माधुलाल जाट ने कहा कि भीलवाड़ा शहर के पास हरणी गांव स्थित है. हमारे गांव में पहले होलिका दहन किया जाता था, लेकिन आग लगने की की घटना के बाद यहां होलिका दहन बंद कर दिया गया. होलिका दहन बंद करने के बाद पूरे ग्रामवासी गांव में ही स्थित जगदंबा के स्थान पर एकत्रित हुए और वहां सामूहिक रूप से होलिका दहन बंद करने का निर्णय लिया. उसके बाद पूरे गांव में पैसे एकत्रित करके चांदी की होली बनाई और अब चांदी की होली का व सोने के भक्त प्रहलाद की पूजा की जाती है.

इस गांव में नहीं होता होलिका दहन, सुनिए लोगों ने क्या कहा...

भीलवाड़ा. राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के हरणी गांव में होली एक खास परंपरा के तहत मनाई जाती है, जिसके चलते अब इस गांव की ख्याति दूर-दूर तक पहुंच चुकी है. हरणी गांव में होली पर सोने के भक्त प्रहलाद चांदी की होली की गोद में बैठाए जाते हैं और फिर मंत्रोचार के साथ पूजा संपन्न होती है. इस अनूठी परंपरा के पीछे का कारण हम आपको बताते हैं....

वर्षों पहले हरणी गांव मे होली के लिए पेड़ काटने को लेकर विवाद व गांव में होलिका दहन के समय आगजनी की घटना हो गई थी. इसी विवाद के कारण गांव वालों ने तय कर लिया कि अब हम होली पेड़ काटकर नहीं मनाएंगे और गांव वालों ने सोने के प्रहलाद और चांदी की होली बनाकर उसकी पूजा शुरू कर होली का त्योहार मनाने की एक अनूठी परंपरा शुरू की, जो आज भी बदस्तूर जारी है.

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होलिका दहन के दिन हरणी गांव में सभी ग्रामीण चारभुजा मंदिर पर इकट्ठा होते हैं और फिर ढोल-नगाड़ों के साथ सोने के प्रहलाद और चांदी की होली की शोभा यात्रा गांव में निकाल कर होलिका दहन स्थल तक ले जाते हैं. उसके बाद पूजा करके फिर वापस मंदिर में लाकर स्थापित कर देते हैं.

प्रर्यावरण संरक्षण में सहयोग : हरणी गांव के एक बुर्जुग ने कहा कि भीलवाड़ा शहर से 3 किलोमीटर दूर हमारे गांव हरणी गांव में होलिका दहन के लिए पेड़ काटने को लेकर विवाद हो गया था और आग लग गई थी. जिसके कारण आज से वर्षों पूर्व गांव के बुजुर्गों ने मिलकर यह निर्णय ले लिया कि अब हम होलिका दहन के लिए पेड़ नहीं काटेंगे. गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर सोने के प्रहलाद और चांदी की होली बनवा ली. हम लोगों का सभी लोगों से यही अनुरोध है कि वे पेड़ न काटें और पर्यावरण को बचाने में जुट जाएं. जिस तरह से बहुत पहले हमारे गांव में लोगों ने संकल्प लिया कि हम आज के बाद पेड़ काटकर होलिका दहन नहीं करेंगे, वैसे बाकी लोगों को भी आगे आकर प्रर्यावरण संरक्षण में सहयोग करना चाहिए.

वहीं, गांव के माधुलाल जाट ने कहा कि भीलवाड़ा शहर के पास हरणी गांव स्थित है. हमारे गांव में पहले होलिका दहन किया जाता था, लेकिन आग लगने की की घटना के बाद यहां होलिका दहन बंद कर दिया गया. होलिका दहन बंद करने के बाद पूरे ग्रामवासी गांव में ही स्थित जगदंबा के स्थान पर एकत्रित हुए और वहां सामूहिक रूप से होलिका दहन बंद करने का निर्णय लिया. उसके बाद पूरे गांव में पैसे एकत्रित करके चांदी की होली बनाई और अब चांदी की होली का व सोने के भक्त प्रहलाद की पूजा की जाती है.

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