मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण की कीड़ा स्थली गोकुल में आज छड़ी मार होली हर्षोल्लास के साथ खेली गई. दूर दराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने छड़ी मार होली का आनंद लिया. ढोल नगाड़े बैंड बाजे की धुन पर नाचते हुए लोगों ने कस्बे मे भव्य डोला निकाला गया. मुरलीधर घाट पर गोपिकाओं के साथ छड़ी मार होली खेली गई. 40 दिनों तक ब्रज में होली के कई रंग देखने को मिलते हैं. फूलों की होली, लड्डूमार होली, लट्ठमार होली, रंग गुलाल के साथ होली अलग-अलग दिनों खेली जा रही है. ब्रज में होली खेलने और देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक भी पहुंचे हैं.
पौराणिक मान्यता : द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस की जेल में हुआ था. राजा कंस के भय के चलते वासुदेव ने बाल रूप कृष्ण भगवान को गोकुल पहुंचा दिया. जहां नंदबाबा के घर में पले और बड़े हुए. कृष्ण की क्रीड़ास्थली गोकुल में अपने ग्वालों और गोपिओं के साथ कीड़ा लीलाएं कीं. उन्हीं में से एक गोकुल में छड़ी मार होली सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी निभाई जाती है. होली खेलने पहुंचीं श्वेता व्यास ने बताया कि गुरुवार को गोकुल में छड़ी मार होली खेली गई. कई सालों से चली आ रही इस परंपरा अब तक कायम है. कहा जाता है कि गोकुल में जब कृष्ण भगवान छोटे से स्वरूप में आए थे, उनके साथ गोपिकाओं ने छड़ी से मार कर होली खेली थी. गोकुल में होली खेलकर बहुत अच्छा लगता है.