शिमला: देशभर में 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा. इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है. होली के दिन लोग गुलाल से खेलते हुए एक दूसरे को रंग लगाएंगे, लेकिन इस दौरान गुलाल से स्किन से संबंधित समस्या वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा सांस से संबंधित बीमारी वाले लोगों को भी रंगों से दिक्कत हो सकती है. बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त रंग आपकी सेहत और होली का मजा दोनों खराब कर सकते हैं. ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि आप होली के दिन अपनी स्किन और सेहत का खास ख्याल रखें.
होली पर स्किन का ख्याल
आईजीएमसी अस्पताल शिमला में स्किन विभाग के एचओडी डॉ. जीके वर्मा के मुताबिक लोगों को होली के दौरान केमिकल युक्त रंगों से स्किन संबंधित समस्या वाले लोगों को ज्यादा परेशानी होती है. ऐसे लोगों को रंगों से कई तरह की दिक्कत हो सकती है.
- एलर्जी
- इचिंग
- रैशेज
- जलन
- ड्राईनेस
अस्थमा के मरीज बरतें सावधानियां
इसके साथ ही अस्थमा, आंख, लंग की समस्या से संबंधित मरीजों की मुश्किलें भी केमिकल युक्त रंग बढ़ा सकते हैं. वहीं, गुलाल को हवा में उछालने से लोगों को सांस व आंखों से जुड़ी समस्या पेश आ सकती है. इससे बचने के लिए होली के दिन अपने शरीर पर ऐसे कपड़े पहनें, जिससे शरीर पूरी तरह से ढका रहे. इसके अलावा बालों में नारियल का तेल लगाएं और स्किन पर मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें.
दो प्रकार की होती है एलर्जी
डॉ. जीके वर्मा ने बताया कि एलर्जी दो प्रकार की होती है और होली पर केमिकल युक्त रंग एलर्जी की समस्या को बढ़ा देते हैं.
- इरिटेंस कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस- इरिटेंट कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस की समस्या वाले लोगों को चंद सेकेंड में ही एलर्जी होती है. उन्हें ऐसा महसूस होता है मानो उनके चेहरे पर एसिड फेंक दिया हो. उनका चेहरा लाल हो जाता है और जलन होती है. इरिटेंट कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस समस्या से संबंधित लोगों को साफ पानी व सॉफ्ट साबुन से अपने चेहरे को धोना चाहिए. इसके बाद वो नारियल के तेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
- एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस- इसमें 24 घंटे के बाद स्किन पर रिएक्शन होना शुरू होता है. ऐसे में लोग होली के अगले दिन डॉक्टर के पास इलाज के लिए पहुंचते हैं. इस तरह की एलर्जी में डॉक्टर मरीज को लगाने व खाने के लिए स्टिरॉइड या सिट्राजिन की गोली खाने की सलाह देते हैं.
ऑर्गेनिक रंगों का करें इस्तेमाल
डॉक्टर जीके वर्मा ने कहा कि होली के त्योहार पर लोगों को ऑर्गेनिक रंगों से एक दूसरे को गुलाल लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाजार में दो तरह के रंग आते हैं. इनमें वेजिटेबल या ऑर्गेनिक और केमिकल युक्त रंग शामिल है. उन्होंने लोगों को वेजिटेबल रंगों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक रंग सब्जियों से तैयार किए जाते हैं. जैसे हल्दी से पीला, पालक से हरा, चुकंदर से लाल रंग बनाया जाता है. यह स्किन के लिए बिलकुल भी घातक नहीं होते हैं. जबकि केमिकल युक्त रंगों के इस्तेमाल से लोगों को नुकसान हो सकता है. अगर केमिकल युक्त रंग आंख में चला जाए तो ब्लाइंडनेस का डर बना रहता है और इससे किसी की आंखों की रोशनी भी जा सकती है. इसलिए ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें.
बच्चों में एटोपिक डर्मेटाइटिस
डॉ जीके वर्मा ने बताया कि एटोपिक डर्मेटाइटिस स्किन में होने वाली प्रतिक्रिया के कारण होती है. इसमें बच्चों की स्किन ड्राई रहती है. केमिकल वाले रंग स्किन में पेनिट्रेट करते हैं, जिससे एलर्जी की समस्या पेश आती है. इसलिए स्किन पर मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें, ताकि ड्राईनेस से परेशानी ना हो.
अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक है गुलाल
डॉ जीके वर्मा ने बताया कि होली पर लोग हवा में गुलाल उड़ाते हैं, लेकिन यह अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इस लिए अस्थमा या सांस के मरीजों को रंगों से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिए, क्योंकि जरा सी लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती है.
रंगों से स्किन कैंसर होने का खतरा
डॉ वर्मा ने कहा कि होली का त्योहार खुशियों और रंगों का त्योहार है, लेकिन बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त रंग इस खुशी के मौके पर खलल डाल देते हैं. ऐसे में स्किन की बीमारी वालों लोगों को केमिकल युक्त रंगों से खासी दूरी बनाकर रखनी चाहिए. डॉक्टर ने कहा कि ये केमिकल युक्त रंग इतने ज्यादा खतरनाक ह होते हैं कि इससे स्किन कैंसर होने का खतरा रहता है.
होली पर बरतें ये सावधानियां
- स्किन में मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें
- बालों पर नारियल तेल लगाएं
- शरीर को पूरी तरह से कपड़ों से ढक कर रखें
- स्किन की एलर्जी होने पर सिट्राजिन खाएं
- स्किन की ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर को दिखाएं
- स्किन व बालों से रंग निकालने के लिए माइल्ड शैंपू व साबुन का इस्तेमाल करें
- अस्थमा के मरीज होली के रंगों से बचकर रहें
होली पर क्या न करें
- रंग निकालने के लिए कैरोसीन ऑइल और पेट्रोल जैसी चीजों को यूज न करें
- केमिकल युक्त रंगों का बिल्कुल इस्तेमाल न करें
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