शहडोल। मार्च का महीना चल रहा है और इसी मार्च के महीने में होली का त्यौहार भी है. जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. बाजार में रौनक देखने को मिलने लगी है. होली के लिए बाजार सजने लगे हैं, रंग गुलाल मास्क भी नजर आने लग गए हैं. वहीं गांव से लेकर शहर तक जगह-जगह पर होलिका भी बने हुए दिखाई देने लगे हैं. ऐसे में ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानेंगे कि आखिर होलिका दहन से कैसे मौसम का पूर्वानुमान लगाएं. देश में क्या कुछ घटनाएं होंगी इसका पूर्वानुमान कैसे लगाएं.
कब है होली ?
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि ''इस बार होली मार्च महीने में पड़ रही है और मार्च महीने के 24 मार्च को होलिका दहन का दिन होगा, जिस दिन होलिका जलाई जाएगी. वहीं 25 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी, मतलब रंग गुलाल से होली खेली जाएगी.
होलिका दहन से मौसम का पूर्वानुमान
1- ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि ''जब होलिका दहन करते हैं तो उसका बहुत महत्व होता है. शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि जब होलिका दहन होता है और होलिका जलती है तो उसके जलती हुए आग से बहुत कुछ पूर्वानुमान लगाया जा सकता है.
2- ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि जब होलिका दहन होने लगती है, होलिका जलने लगती है तो उसके जलते हुए लौ को देखना चाहिए कि वो किस दिशा की ओर जा रही है.
3- जब होलिका जलती है और उस जलते हुए होलिका का लौ पूर्व दिशा की ओर बह रहा होता है, तो इसका मतलब होता है की देश में इस साल अच्छी बारिश होगी. पृथ्वी धन-धान्य से भर जाएगी. देश में शांति रहेगी और किसी भी तरह का उपद्रव नहीं होगा.
4-अगर होलिका का लौ उत्तर दिशा की ओर बह रही है, मतलब उस साल देश में मध्यम वर्षा होगी, अनाज का उत्पादन मध्यम होगा और देश में छुटपुट उपद्रव, तनाव होने की संभावना, झगड़ा होने की संभावना बनी रहेगी.
5- वहीं, अगर पश्चिम की ओर जलती हुए होलिका का लौ बहे तो वहां छुटपुट वर्षा होती है, कहीं बारिश होती है, तो कहीं सूखे का प्रभाव रहता है. अनाज की कमी होती है, अकाल पड़ने की संभावना बनी रहती है.
6- अगर जलती हुए होलिका का लौ दक्षिण दिशा की ओर बहती है, तो देश में उस साल उपद्रव होने, मार काट होने, लड़ाई झगड़ा होने, रोगों का संचार और महामारी के आगमन की संभावना बनी रहती है.