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Holi 2024: होलिका दहन में पकायी जाती है चने की झंगरी, जानिये क्या है मान्यता - Holika Dahan

Holika Dahan in Bihar: होली पूरे देश में धूमधाम से मनायी जाती है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है. शहर-गांवों के चौक-चौराहों पर लकड़ी इकट्ठा कर होलिका जलायी जाती है. इसमें लकड़ी के साथ कई सामग्री दी जाती है जिसमें एक हरा चना की झंगरी भी शामिल है. बिहार झारखंड में इसकी परंपरा रही है. पढ़ें पूरी खबर.

होलिका दहन में पकायी जाती है चने की झंगरी
होलिका दहन में पकायी जाती है चने की झंगरी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 23, 2024, 6:20 AM IST

होलिका दहन में हरा चना की झंगरी जलाने की परंपरा

पटनाः होली से पहले होलिका दहन की परंपरा है. होली से एक दिन पहले देर रात होलिका जलायी जाती है. शहर और गांवों के चौक-चौराहों पर इसका आयोजन होता है. इसमें लकड़ी को इकट्ठा कर कई प्रकार की समाग्री डालकर इसमें आग लगायी जाती है. बिहार-झारखंड में हरे चने की झंगरी (चना लगा हुआ पेड़) भी जलाया जाता है. इसके बाद लोग इसे प्रसाद के रूप में खाते हैं. इसकी परंपरा शदियों से चली आ रही है.

बिहार झारखंड में खूब होती है बिक्रीः बिहार के पटना जिले सहित अन्य जिले में हरा चना की झंगरी की डिमांड बढ़ जाती है. सब्जी मंडी सहित अन्य जगह इसे बेचा जाता है. खरीदने वालों की भीड़ उमड़ती है. होलिका दहन को लेकर पटना में पिछले एक सप्ताह से चने की झंगरी की बिक्री हो रही है.

बाजारों में बढ़ जाती है डिमांडः किसान अपने खेतों से शहर के सब्जी मंडी इसे लाते हैं. छोटे-बड़े बिक्रेता खरीदकर होलिका दहन तक इसे ग्राहकों को बेचते हैं. इसकी कीमत की बात करें तो 5 किलो झंगरी की कीमत 150 रुपए है. छिला हुआ हरा चना की कीमत 240 से 250 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. दुकानदार इसे किसानों से 600 रुपए 40 किलो झंगरी खरीदते हैं. होलिका दहन को लेकर इसकी डिमांड काफी है.

"होली आते ही चने की डिमांड बढ़ जाती है. मसौढ़ी की सब्जी मंडी में प्रत्येक सुबह गांव से हरा चना यानी झंगरी आता है. अभी हरा चना छिला हुआ ₹250-250 रुपए किलो है. झंगरी सहित डेढ़ सौ रुपए प्रति 5 किलो है. काफी संख्या में लोग खरीदने के लिए आते हैं." -राजेश कुमार, बाजार समिति अध्यक्ष

पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री
पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री

स्वास्थ्य के लिए अच्छाः झंगरी जलाने की परंपरा काफी समय है. इसे स्वास्थ्य बर्धक भी माना जाता है. डॉ नागेश्वर प्रसाद के मुताबिक हर चना में पौष्टिक गुण अधिक होता है. इस कारण इसका सेवन करना चाहिए. हरा चना अकेले अपने आप में एक भोजन है. यह गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है पाचन से जुड़ी दिक्कते दूर करती हैं.

"हर चना में पौष्टिक गुण अधिक है. इसका सेवन करना चाहिए. हरा चना अकेले अपने आप में एक भोजन है. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है." -डॉ नागेश्वर प्रसाद

हरे चने का व्यंजन बनाते हैं लोगः इसके साथ ही होली के मौके पर लोग हरे चने का व्यंजन बनाते हैं. इसमें पकड़ौ के साथ साथ छोले भी बनाते हैं जो काफि स्वादिष्ट होता है. खासकर बिहार झारखंड के लोग इसे काफी पसंद करते हैं. इसके अलावा शादी-समारोह में भी इसकी डिमांड बढ़ जाती है. पटना सहित दियारा के आसपास के क्षेत्रों में इसकी खेती होती है. यहां से अन्य जिले में भेजा जाता है.

झंगली जलाने की परंपराः झंगरी जलाने की परंपरा की बात करें तो यह काफी समय से चलती आ रही है. बिहार झारखंड के लिए साल की शुरुआत में यह फसली फसल होती है. ऐसा माना जाता है कि झंगरी को अग्नि देवता को समर्पित कर इसे शुद्ध किया जाता है. इसके साथ ही इसे दोषमुक्त किया जाता है. इसे लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. कहते हैं कि इस प्रसाद से इंसान के अंदर की सारी बुराई नष्ट हो जाती है.

"नए साल की यह पहली फसल होती है इसलिए इसे अग्नि देवता को समर्पित की जाती है. इसके बाद लोग इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. कहा जाए तो नए साल का यह पहला निवाला होता है"- गोपाल पांडेय, मुख्य पुजारी, श्रीरामजानकी ठाकुरबाड़ी

पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री
पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री

होलिका दहन की समाग्रीः होलिका दहन के लिए चौक-चौराहों पर लकड़ी इकट्ठा की जाती है. इसमें कच्चा सूत, जल का लोटा, गुलाल, मीठे पकवान, फल, गाय के गोबर का उपला, रोली, बताशे, गेंहू की बालियां, साबुत हल्‍दी और फूल आदि शामिल होते हैं. कई जगह हरा चने की झंगरी जलायी जाती है क्योंकि यह साल की पहली फसल होती है.

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होलिका दहन में हरा चना की झंगरी जलाने की परंपरा

पटनाः होली से पहले होलिका दहन की परंपरा है. होली से एक दिन पहले देर रात होलिका जलायी जाती है. शहर और गांवों के चौक-चौराहों पर इसका आयोजन होता है. इसमें लकड़ी को इकट्ठा कर कई प्रकार की समाग्री डालकर इसमें आग लगायी जाती है. बिहार-झारखंड में हरे चने की झंगरी (चना लगा हुआ पेड़) भी जलाया जाता है. इसके बाद लोग इसे प्रसाद के रूप में खाते हैं. इसकी परंपरा शदियों से चली आ रही है.

बिहार झारखंड में खूब होती है बिक्रीः बिहार के पटना जिले सहित अन्य जिले में हरा चना की झंगरी की डिमांड बढ़ जाती है. सब्जी मंडी सहित अन्य जगह इसे बेचा जाता है. खरीदने वालों की भीड़ उमड़ती है. होलिका दहन को लेकर पटना में पिछले एक सप्ताह से चने की झंगरी की बिक्री हो रही है.

बाजारों में बढ़ जाती है डिमांडः किसान अपने खेतों से शहर के सब्जी मंडी इसे लाते हैं. छोटे-बड़े बिक्रेता खरीदकर होलिका दहन तक इसे ग्राहकों को बेचते हैं. इसकी कीमत की बात करें तो 5 किलो झंगरी की कीमत 150 रुपए है. छिला हुआ हरा चना की कीमत 240 से 250 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. दुकानदार इसे किसानों से 600 रुपए 40 किलो झंगरी खरीदते हैं. होलिका दहन को लेकर इसकी डिमांड काफी है.

"होली आते ही चने की डिमांड बढ़ जाती है. मसौढ़ी की सब्जी मंडी में प्रत्येक सुबह गांव से हरा चना यानी झंगरी आता है. अभी हरा चना छिला हुआ ₹250-250 रुपए किलो है. झंगरी सहित डेढ़ सौ रुपए प्रति 5 किलो है. काफी संख्या में लोग खरीदने के लिए आते हैं." -राजेश कुमार, बाजार समिति अध्यक्ष

पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री
पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री

स्वास्थ्य के लिए अच्छाः झंगरी जलाने की परंपरा काफी समय है. इसे स्वास्थ्य बर्धक भी माना जाता है. डॉ नागेश्वर प्रसाद के मुताबिक हर चना में पौष्टिक गुण अधिक होता है. इस कारण इसका सेवन करना चाहिए. हरा चना अकेले अपने आप में एक भोजन है. यह गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है पाचन से जुड़ी दिक्कते दूर करती हैं.

"हर चना में पौष्टिक गुण अधिक है. इसका सेवन करना चाहिए. हरा चना अकेले अपने आप में एक भोजन है. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है." -डॉ नागेश्वर प्रसाद

हरे चने का व्यंजन बनाते हैं लोगः इसके साथ ही होली के मौके पर लोग हरे चने का व्यंजन बनाते हैं. इसमें पकड़ौ के साथ साथ छोले भी बनाते हैं जो काफि स्वादिष्ट होता है. खासकर बिहार झारखंड के लोग इसे काफी पसंद करते हैं. इसके अलावा शादी-समारोह में भी इसकी डिमांड बढ़ जाती है. पटना सहित दियारा के आसपास के क्षेत्रों में इसकी खेती होती है. यहां से अन्य जिले में भेजा जाता है.

झंगली जलाने की परंपराः झंगरी जलाने की परंपरा की बात करें तो यह काफी समय से चलती आ रही है. बिहार झारखंड के लिए साल की शुरुआत में यह फसली फसल होती है. ऐसा माना जाता है कि झंगरी को अग्नि देवता को समर्पित कर इसे शुद्ध किया जाता है. इसके साथ ही इसे दोषमुक्त किया जाता है. इसे लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. कहते हैं कि इस प्रसाद से इंसान के अंदर की सारी बुराई नष्ट हो जाती है.

"नए साल की यह पहली फसल होती है इसलिए इसे अग्नि देवता को समर्पित की जाती है. इसके बाद लोग इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. कहा जाए तो नए साल का यह पहला निवाला होता है"- गोपाल पांडेय, मुख्य पुजारी, श्रीरामजानकी ठाकुरबाड़ी

पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री
पटना के बाजार में हरे चने की बिक्री

होलिका दहन की समाग्रीः होलिका दहन के लिए चौक-चौराहों पर लकड़ी इकट्ठा की जाती है. इसमें कच्चा सूत, जल का लोटा, गुलाल, मीठे पकवान, फल, गाय के गोबर का उपला, रोली, बताशे, गेंहू की बालियां, साबुत हल्‍दी और फूल आदि शामिल होते हैं. कई जगह हरा चने की झंगरी जलायी जाती है क्योंकि यह साल की पहली फसल होती है.

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