मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले के भरतपुर इलाके में स्थित आरा पहाड़ी में छिपा एक ऐसा ऐतिहासिक किस्सा मशहूर है. जिसे कभी दस्तावेज़ों में नहीं लिखा गया. लेकिन आज भी यहां के लोग इसे यादों में संजोए हुए हैं. ये किस्सा 78 साल पुराना है. जब 1944 में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान इस पहाड़ी में एक ब्रिटिश एयरक्राफ्ट क्रैश हुआ था. हादसे में दो ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी. इसी कारण, इस पहाड़ी को गांव वालों ने 'हवाई डोंगरी' कहना शुरू कर दिया.
वन्य जीवों और जंगलों से घिरा हवाई डोंगरी : यह पहाड़ लगभग आठ किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.इसमें कई प्रकार के जंगली जानवरों का बसेरा भी है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. आज भी यहां के ग्रामीणों ने उस एयरक्राफ्ट के क्रैश के अवशेष संजोकर रखे हैं, जो उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाते हैं.
कब हुआ था प्लेन क्रैश : 15 जुलाई सन 1944 जनकपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर कुंवारपुर में ब्रिटिश एयरक्रॉफ्ट दुर्घटनाग्रस्त होकर गिरा था.इसके बाद जंगल में आग लगी थी. दुर्घटना में ब्रिटिश सेना के दो अफसर एच टटचेल और आर ब्लेयर की मौत हुई थी. इस घटना का राज कई सालों तक गांव में ही दफन रहा. 54 साल बाद सन 1998 को इसकी जानकारी ब्रिटिश हाई कमीशन को लगी.इसके बाद 14 सितंबर 1999 को ब्रिटिश हाई कमीशन के ग्रुप कैप्टन ई बिज और मृतक सैन्य अफसरों के परिजन घटना स्थल पर पहुंचे. इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें घटना के बारे में बताया.साथ ही एयरक्राफ्ट के कलपुर्जे भी दिखाएं. एयरक्रॉप्ट के बड़े पार्टस को गांव के बुजुर्ग लाल बहादुर सिंह के घर पर सुरक्षित रखा गया.लेकिन किसी के भी पास घटना से जुड़े दस्तावेज नहीं है.
2001 में बनाया गया कमरा : साल 2001 में भरतपुर में एक बार फिर 1944 एयरक्रॉफ्ट दुर्घटनाग्रस्त में मारे गए ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों के परिजन गांव पहुंचे. उन्होंने मृतकों की याद में कुंवारपुर प्राइमरी स्कूल में एक अतिरिक्त कमरा बनवाया. 22 मई 2001 को ब्रिटिश हाई कमीशन के ग्रुप कैप्टन आरई बिज की मौजूदगी में इस भवन का लोकार्पण हुआ.
मां कंकाली मंदिर आस्था का केंद्र : इस पहाड़ी क्षेत्र में मां कंकाली का एक प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है, जो पर्वतों के बीच अपनी खास पहचान रखता है. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और उनकी आस्था के अनुसार, जो भी मन्नत यहां मांगी जाती है, वह पूरी होती है. मध्य प्रदेश से आए भक्त शंकर सिंह बताते हैं, "यहां जो मन्नत मांगते हैं, वो पूरी हो जाती है. यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है." वहीं स्थानीय निवासी हीरालाल का कहना है, "यह मंदिर हमारे पूर्वजों के जमाने से बना हुआ है.
यहां जो भी पूजा अर्चना की जाती है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है.नवरात्रि के दिनों में यहां बड़ा मेला लगता है.लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं- हीरालाल, स्थानीय
प्रकृति की गोद में बसा अद्भुत मंदिर - ये मंदिर घने जंगलों और प्राकृतिक छटाओं से घिरा हुआ है, जिसका दृश्य मनमोहक है. लोग बताते हैं कि यहां कभी एक प्लेन क्रैश हुआ था, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं.
78 साल बाद भी जीवंत है इतिहास : आज भी इस पहाड़ी और मंदिर से जुड़े किस्से और कथाएं यहां के लोगों के बीच प्रचलित हैं. एयरक्राफ्ट क्रैश की वह घटना और मां कंकाली के मंदिर की आस्थाएं यहां के लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं.