आगरा: मुगल शहंशाह शाहजहां का 369वां सालाना उर्स मंगलवार दोपहर गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हो गया. तीन दिवसीय उर्स में इस बार भी हर साल की तरह तीसरे दिन गुरुवार दोपहर मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां की कब्र पर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी. जो दुनिया में हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. शहंशाह शाहजंहा के उर्स के अवसर पर आज हम हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की खासियत और आस्था के बारे में बताएंगे. जो देश में अमन और शांति की दूत है. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की शुरुआत आज से 42 साल पहले 100 मीटर की चादर के साथ ताजमहल के दक्षिणी गेट स्थित हनुमान मंदिर से शुरू हुई थी. मन्नत और आस्था की ये हिंदुस्तानी सतरंगी चादर अब 1560 मीटर लंबी हो गई है.
बता दें कि मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां का उर्स उर्दू माह रजब की 25, 26 और 27 तारीख को हर साल मनाया जाता है. इस साल 6, 7 और 8 फरवरी को रजब माह की 25, 26 और 27 तारीख है. इसलिए, इस साल ताजमहल में शहंशाह शाहजहां का 369 वां उर्स 6 फरवरी (मंगलवार) से शुरू हो गया है. उर्स में आखिरी दिन 8 फरवरी (गुरुवार) को कुल के छींटों के साथ कुरानख्वानी, फातिहा और चादरपोशी की शुरूआत होगी. जो चादरपोशी शाम तक चलेगी. इसमें सबसे खास हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रहेगी.
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पहले 100 मीटर की चादर चढ़ाई जाती थी: खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट ताहिरुद्दीन ताहिर बताते हैं कि आज से करीब 42 साल पहले शाहजहां के उर्स में मेरे परिवार के सदस्यों ने सर्वधर्म समभाव और सद्भाव को लेकर चादरपोशी शुरू की थी. तब ताजमहल के दक्षिण गेट स्थित हनुमानजी के मंदिर से शुरू होकर चादर ताजमहल में पहुंची थी. इसके बाद मैंने 27 साल पहले चादरपोशी का रूप बदल दिया. तब हम सब ने इसे हिंदुस्तानी सतरंगी चादर नाम दिया. क्योंकि, यह चादर न मेरे खानदान की, न आपके खानदान की, ना किसी भाई की है. यह पूरे हिन्दुस्तान की चादर है. यह हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की चादर है. इसलिए, हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले सभी धर्म के लोग मिलकर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर बनाते हैं. सभी हर्ष और उल्लास के साथ उर्स मनाते हैं. इसके साथ ही हिंदुस्तानी सतरंगी चादरपोशी के साथ ही ताजमहल परिसर में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी मिलकर लंगर खाते हैं.
इस साल 80 मीटर और लंबी हुई सतरंगी चादर: खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है, कि हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के लोग अपनी-अपनी मन्नत का अलग-अलग रंग कपड़ा चादर के लिए देते हैं. पहले उस कपड़े को धुलते हैं. फिर, कपड़े को प्रेस करते हैं. फिर उस कपड़े की चादर में सिलाई की जाती है. चादर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए घोटा भी लगाया जाता है. हर साल हिंदुस्तानी सतरंगी चादर से लोग जुड़ रहे हैं. जिससे ही हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की लंबाई भी बढ़ रही है. शाहजहां के 361 वें उर्स में 870 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई थी. इस साल शाहजहां के 368 वें उर्स में 1480 मीटर की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई थी. इस हाल शाहजहां के 369 वें उर्स के आखिरी दिन गुरुवार को 1560 मीटर की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी.
देश की तरक्की और विश्व शांति की दुआ करेंगे: खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है कि, उर्स में हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की चादरपोशी से देश की तरक्की के साथ ही विश्व में अमन-चैन की दुआ की जाएगी. उर्स में दुनिया से कोरोना के खात्मा की दुआ भी की गई थी. बीते साल रूस और यूक्रेन के युद्ध से विश्व शांति की दुआ की थी.
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