ETV Bharat / state

एक और कांग्रेस नेता ने कर्मचारियों को दे डाली नसीहत, राजेश धर्माणी का किया बचाव - Employees Union vs rajesh dharmani

author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 24, 2024, 7:00 PM IST

Updated : Aug 24, 2024, 7:48 PM IST

कर्मचारी नेताओं और कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी के बीच बीते दिनों में खूब बयानबाजी देखने को मिली है. राजेश धर्माणी ने कर्मचारी नेताओं को नेतागीरी न करने की सलाह दी वहीं, कर्मचारी नेताओं ने भी राजेश धर्माणी पर जमकर भड़ास निकाली थी. अब अन्य कांग्रेस नेता भी इस जंग कूद गए हैं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जितेंद्र ठाकुर
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जितेंद्र ठाकुर (ETV BHARAT)
जितेंद्र चंदेल ने किया राजेश धर्माणी का बचाव (ETV BHARAT)

बिलासपुर: तकनीकी शिक्षा मंत्री और सचिवालय कर्मचारियों की बीच चल रहे विवाद के बीच में कांग्रेस कई नेता राजेश धर्माणी के बचाव में आगे आ गए हैं. हिमुडा के निदेशक एवं कांग्रेस नेता जितेंद्र चंदेल की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सर्किट हाउस बिलासपुर में पत्रकार वार्ता के दौरान कर्मचारियों को नसीहत दे डाली. उन्होंने कर्मचारी नेताओं को संयम से काम लेने और अपने काम से मतलब रखने की बात कही है.

हिमुडा के निदेशक जितेंद्र चंदेल ने कहा कि, 'कर्मचारी नेता तय नहीं करेंगे कि मंत्री कौन बनेगा. कर्मचारी नेता राजनीति करने से परहेज करें। प्रदेश की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कर्मचारी की हितेषी है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 2003 के बाद से बंद पड़ी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किया था. एरियर और डीए मांगना कर्मचारियों का हक है, लेकिन कर्मचारियों को भी प्रदेश की आर्थिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को उनके बकाया का भुगतान नहीं करने की बात कभी नहीं की. कर्मचारियों का सात प्रतिशत डीए दिसंबर 2022, जबकि एरियर 2016 से देय है. कर्मचारियों ने पूर्व सरकार के समय तो अपना डीए और एरियर नहीं मांगा, जिससे साफ हो रहा है कि इस मामले को लेकर राजनीति की जा रही है.'

राजेश धर्माणी की योग्यता पर उठाए गए सवालों पर जितेंद्र चंदेल ने कहा कि, 'राजेश धर्माणी एनआइटी के टॉपर रहे हैं. उन्होंने समाज सेवा के लिए सरकारी नौकरी नहीं की. सीपीएस रहते हुए राजेश धर्माणी ने सरकारी सुविधाओं काे त्याग कर दिया था. मंत्री रहते हुए भी वो जिले में न तो एस्कार्ट लेते हैं और न ही उन्होंने दूसरी गाड़ी ली है. उनके बारे टिप्पणी करने से पहले कर्मचारी नेता अपनी योग्यता की परख करें. कर्मचारियों को केंद्र से एनपीएस के 10 हजार करोड़ रुपये की मांग करनी चाहिए.'

बता दें कि डीए और एरियर को लेकर चल रहे विवाद के बीच कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों को नेतागीरी न करने सलाह दी थी. इसके बाद कर्मचारियों ने राजेश धर्माणी को निशाने पर लिया था. कर्मचारी नेताओं ने कहा था कि राजेश धर्माणी मंत्री बनने के काबिल नहीं हैं.

ये भी पढ़ें : कैबिनेट मंत्री धर्माणी को कर्मचारी नेता की चुनौती, "हमारे साथी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े, आपसे हार गए तो जूते में पियूंगा पानी"

ये भी पढ़ें: DA और एरियर की मांग पर कर्मचारियों पर भड़के मंत्री! "किसी सरकार के पास नहीं नोट छापने की आजादी"

जितेंद्र चंदेल ने किया राजेश धर्माणी का बचाव (ETV BHARAT)

बिलासपुर: तकनीकी शिक्षा मंत्री और सचिवालय कर्मचारियों की बीच चल रहे विवाद के बीच में कांग्रेस कई नेता राजेश धर्माणी के बचाव में आगे आ गए हैं. हिमुडा के निदेशक एवं कांग्रेस नेता जितेंद्र चंदेल की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सर्किट हाउस बिलासपुर में पत्रकार वार्ता के दौरान कर्मचारियों को नसीहत दे डाली. उन्होंने कर्मचारी नेताओं को संयम से काम लेने और अपने काम से मतलब रखने की बात कही है.

हिमुडा के निदेशक जितेंद्र चंदेल ने कहा कि, 'कर्मचारी नेता तय नहीं करेंगे कि मंत्री कौन बनेगा. कर्मचारी नेता राजनीति करने से परहेज करें। प्रदेश की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कर्मचारी की हितेषी है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 2003 के बाद से बंद पड़ी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किया था. एरियर और डीए मांगना कर्मचारियों का हक है, लेकिन कर्मचारियों को भी प्रदेश की आर्थिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को उनके बकाया का भुगतान नहीं करने की बात कभी नहीं की. कर्मचारियों का सात प्रतिशत डीए दिसंबर 2022, जबकि एरियर 2016 से देय है. कर्मचारियों ने पूर्व सरकार के समय तो अपना डीए और एरियर नहीं मांगा, जिससे साफ हो रहा है कि इस मामले को लेकर राजनीति की जा रही है.'

राजेश धर्माणी की योग्यता पर उठाए गए सवालों पर जितेंद्र चंदेल ने कहा कि, 'राजेश धर्माणी एनआइटी के टॉपर रहे हैं. उन्होंने समाज सेवा के लिए सरकारी नौकरी नहीं की. सीपीएस रहते हुए राजेश धर्माणी ने सरकारी सुविधाओं काे त्याग कर दिया था. मंत्री रहते हुए भी वो जिले में न तो एस्कार्ट लेते हैं और न ही उन्होंने दूसरी गाड़ी ली है. उनके बारे टिप्पणी करने से पहले कर्मचारी नेता अपनी योग्यता की परख करें. कर्मचारियों को केंद्र से एनपीएस के 10 हजार करोड़ रुपये की मांग करनी चाहिए.'

बता दें कि डीए और एरियर को लेकर चल रहे विवाद के बीच कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों को नेतागीरी न करने सलाह दी थी. इसके बाद कर्मचारियों ने राजेश धर्माणी को निशाने पर लिया था. कर्मचारी नेताओं ने कहा था कि राजेश धर्माणी मंत्री बनने के काबिल नहीं हैं.

ये भी पढ़ें : कैबिनेट मंत्री धर्माणी को कर्मचारी नेता की चुनौती, "हमारे साथी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े, आपसे हार गए तो जूते में पियूंगा पानी"

ये भी पढ़ें: DA और एरियर की मांग पर कर्मचारियों पर भड़के मंत्री! "किसी सरकार के पास नहीं नोट छापने की आजादी"

Last Updated : Aug 24, 2024, 7:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.