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सिरमौर जिले का ये गांव चुनाव में करेगा वोट बहिष्कार! पानी की एक-एक बूंद के लिए कर रहा संघर्ष - Sirmaur Vote Boycott threat

Sirmaur Water Crisis Vote Boycott: हिमाचल में एक जून को लोकसभा की चार सीटों पर चुनाव और विधानसभा की छह सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर जिला प्रशासन कमर कस चुका है. वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. वही दूसरी तरह सिरमौर जिले में एक गांव ऐसा है जहां के लोग इस बार चुनाव में वोट बहिष्कार का मन बना चुके हैं.

Sirmaur Water Crisis Vote Boycott
सिरमौर में पानी की परेशानी से जूझ रहे लोगों ने वोट बहिष्कार की दी धमकी (फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 30, 2024, 10:41 PM IST

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में एक जून को लोकसभा की चार सीट पर चुनाव और विधानसभा की छह सीट पर उपचुनाव होने हैं. राज्य वोट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस पार्टी जमकर लोगों से वोट अपील की. धुआंधार प्रचार-प्रसार भी हुआ. 30 मई को चुनाव प्रचार का शोर भी अब बंद हो गया. इसी बीच जिले से अलग शोर सुनाई देने लगा है. ये शोर है चुनाव बहिष्कार. जी हां यहां के लोग इस बार वोट का बहिष्कार करने का मन बना लिए हैं.

दरअसल पांवटा साहिब विकासखंड स्थित हरिजन बस्ती कोंडो नाडी के लोगों का कहना है कि काम नहीं तो वोट नहीं. यहां के लोगों काफी समय से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज नजर आते हैं. यहां पिछले कई दिनों से पीने का पानी नहीं आ रहा है. बस्ती के लोग नेताओं और अधिकारियों से गुहार लगाकर थक चुके हैं. मगर पानी की सप्लाई सुचारू नहीं हुई हैं. ऐसे में गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने ठान ली है. इनका कहना है कि चुनाव के समय नेता आश्वासन देकर चले जाते हैं उसके बाद सुध लेने भी नहीं आते है.

लोगों का कहना है कि नल जल योजना पहाड़ी पर बसे कांडो नाडी गांव तक आते-आते दम तोड़ गई. कांडो नाडी गांव में पिछले कई वर्षों से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है. मगर पिछले कुछ दिनों से यहां लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. नलके सूखे पड़े हैं. 35 से 38 डिग्री तापमान के बीच लोग अपना, अपने परिवारों का और पशुओं के पानी का गुजारा करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं. पानी के लिए लोगों को 6 किलोमीटर दूर गिरी नदी में जाना पड़ता है. लोग मोटरसाइकिल या गाड़ी से पानी लाने को मजबूर हैं. इसी पानी से जैसे तैसे गुजारा चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन और जनता के सेवक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि ग्रामीण कई बार नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और जल शक्ति विभाग के अधिकारियों को समस्या से अवगत करवा चुके हैं. मगर समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. ऐसे में ग्रामीणों ने आने वाले लोकसभा चुनाव में वोट ना डालकर विरोध जताने का मन बनाया है.
हरिजन बस्ती की महिलाओं ने बताया कि पानी नहीं आने का सबसे बड़ा खामियाजा महिलाओं को चुकाना पड़ता है. महिलाओं का अधिकतर समय पानी के इंतजाम करने में बीतता है. ऐसे में स्थानीय महिलाएं प्रशासन और व्यवस्था से खासी नाराज हैं. उनकी नाराजगी का आलम ये है कि उन्होंने इस बार एक जून को होने वाले चुनाव में वोट बहिष्कार का मन बना लिया है.

ये भी पढ़ें: नाहन विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण एक जून को करेंगे वोट बहिष्कार! डीसी साहेब जुटे मानाने में

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में एक जून को लोकसभा की चार सीट पर चुनाव और विधानसभा की छह सीट पर उपचुनाव होने हैं. राज्य वोट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस पार्टी जमकर लोगों से वोट अपील की. धुआंधार प्रचार-प्रसार भी हुआ. 30 मई को चुनाव प्रचार का शोर भी अब बंद हो गया. इसी बीच जिले से अलग शोर सुनाई देने लगा है. ये शोर है चुनाव बहिष्कार. जी हां यहां के लोग इस बार वोट का बहिष्कार करने का मन बना लिए हैं.

दरअसल पांवटा साहिब विकासखंड स्थित हरिजन बस्ती कोंडो नाडी के लोगों का कहना है कि काम नहीं तो वोट नहीं. यहां के लोगों काफी समय से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज नजर आते हैं. यहां पिछले कई दिनों से पीने का पानी नहीं आ रहा है. बस्ती के लोग नेताओं और अधिकारियों से गुहार लगाकर थक चुके हैं. मगर पानी की सप्लाई सुचारू नहीं हुई हैं. ऐसे में गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने ठान ली है. इनका कहना है कि चुनाव के समय नेता आश्वासन देकर चले जाते हैं उसके बाद सुध लेने भी नहीं आते है.

लोगों का कहना है कि नल जल योजना पहाड़ी पर बसे कांडो नाडी गांव तक आते-आते दम तोड़ गई. कांडो नाडी गांव में पिछले कई वर्षों से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है. मगर पिछले कुछ दिनों से यहां लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. नलके सूखे पड़े हैं. 35 से 38 डिग्री तापमान के बीच लोग अपना, अपने परिवारों का और पशुओं के पानी का गुजारा करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं. पानी के लिए लोगों को 6 किलोमीटर दूर गिरी नदी में जाना पड़ता है. लोग मोटरसाइकिल या गाड़ी से पानी लाने को मजबूर हैं. इसी पानी से जैसे तैसे गुजारा चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन और जनता के सेवक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि ग्रामीण कई बार नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और जल शक्ति विभाग के अधिकारियों को समस्या से अवगत करवा चुके हैं. मगर समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. ऐसे में ग्रामीणों ने आने वाले लोकसभा चुनाव में वोट ना डालकर विरोध जताने का मन बनाया है.
हरिजन बस्ती की महिलाओं ने बताया कि पानी नहीं आने का सबसे बड़ा खामियाजा महिलाओं को चुकाना पड़ता है. महिलाओं का अधिकतर समय पानी के इंतजाम करने में बीतता है. ऐसे में स्थानीय महिलाएं प्रशासन और व्यवस्था से खासी नाराज हैं. उनकी नाराजगी का आलम ये है कि उन्होंने इस बार एक जून को होने वाले चुनाव में वोट बहिष्कार का मन बना लिया है.

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