शिमला: हिमाचल प्रदेश की सियासत बीते 3 हफ्तों से जिन बागियों के इर्द गिर्द घूम रही है. वो अब भगवा चोला ओढ़ने वाले हैं. बीजेपी की ओर से खुद संकेत दिया गया है कि हिमाचल में शुरू हुआ सियासी 'खेला' अंजाम तक पहुंचने वाला है. गुरुवार रात को हिमाचल कांग्रेस के 6 बागी और 3 निर्दलीय विधायक दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पहुंचे थे. जहां एक घंटे से ज्यादा के करीब मुलाकात हुई. इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल भी मौजूद थे. जेपी नड्डा से पहले ये सभी विधायक केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर से भी मिले थे.
बागी थामेंगे 'कमल'
बीजेपी के साथ बागियों के इस मेल-मुलाकात का श्रेय नए नवेले राज्यसभा सदस्य हर्ष महाजन को जाता है. ये वही हर्ष महाजन हैं जिन्हें वोट देकर इन कांग्रेस विधायकों ने ऐसा पंगा मोल लिया कि पहले सदन से बर्खास्त किए गए और फिर पिछले 25 दिनों से हिमाचल के बाहर शहर-शहर घूम रहे हैं. लेकिन राज्यसभा चुनाव से शुरू हुआ ये सियासी ड्रामा अब अंजाम तक पहुंचने वाला है. गुरुवार को जेपी नड्डा के साथ हुई मुलाकात के बाद साफ है कि ये 6 विधायक जल्द से जल्द बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार शाम तक दिल्ली में ये बागी विधायक भाजपाई हो लेंगे. तीन निर्दलीय विधायकों के भी भाजपा के रंग में रंगने की पूरी उम्मीद है.
हिमाचल बीजेपी विधायक दल की बैठक
गुरुवार को कांग्रेस के बागियों के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मुलाकात के बाद शिमला में भी सियासी पारा बढ़ गया है. बीजेपी ने शुक्रवार शाम को विधायक दल की बैठक बुला ली है. सभी विधायकों को बैठक में मौजूद रहने के लिए कहा गया है. आनन-फानन में बुलाई गई बीजेपी विधायक दल की बैठक इशारा कर रही है कि बागियों की बगावत अपनी मंजिल तक पहुंचने वाली है.
बीजेपी ने उपचुनाव के लिए कसी कमर
17 मार्च को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के साथ-साथ कुछ राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया था. इसमें हिमाचल की भी 6 सीटें शामिल हैं जो कांग्रेस विधायकों को स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित करने के बाद खाली हुई थीं. अब अगर बागी विधायक बीजेपी में शामिल हो रहे हैं तो साफ है कि बीजेपी ने उपचुनाव के लिए अपनी कमर कस ली है. हिमाचल में उपचुनाव की वोटिंग लोकसभा चुनाव के साथ ही 1 जून को होनी है. उधर सुप्रीम कोर्ट ने बागियों की याचिका पर सुनवाई के लिए 6 मई की तारीख तय की है. ऐसे में बीजेपी का दामन थामने के बाद ये लगभग तय है कि बागी सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापिस ले लें. ऐसे में उपचुनाव का रास्ता साफ हो जाएगा. इन 6 बागियों में से बीजेपी कितनों को उपचुनाव में उतारती है ये तो वक्त बताएगा लेकिन बीजेपी ने हर समीकरण जांचने परखने के बाद उपचुनाव की ओर कदम बढ़ा लिया है.
वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा के मुताबिक "क्रॉस वोटिंग के साथ ही बागियों का भविष्य लगभग तय हो गया था. सिर्फ बीजेपी के साथ नियम और शर्तों की बात रही होगी. जेपी नड्डा के साथ हुई मुलाकात के बाद तय है कि डील डन हो गई है और कांग्रेस के ये बागी कभी भी ऑफिशियली बीजेपी के हो सकते हैं. पार्टी में शामिल होने की सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ये कांग्रेस के बागी सुप्रीम कोर्ट से याचिका भी वापस ले सकते हैं. उपचुनाव में बीजेपी इन सभी को टिकट भी दे सकती है, इनके अपने समर्थकों के अलावा बीजेपी के कैडर का साथ भी इन्हें मिलेगा. कुल मिलाकर चुनाव जीतने की इकलौती शर्त पर ही इनकी एंट्री बीजेपी में हो रही है क्योंकि अब हिमाचल में लोकसभा से ज्यादा उपचुनाव के नतीजों पर सबकी नजरें टिकी होंगी."
6 कांग्रेस विधायकों के बागी होने की कहानी
हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट के लिए 27 फरवरी को वोटिंग हुई थी. कांग्रेस ने मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी को अपना उम्मीदवार बनाया था. जबकि बीजेपी ने 4 दशक तक कांग्रेस में रहे हर्ष महाजन को अपना कैंडिडेट बनाया था. हर्ष महाजन 2022 विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे. हिमाचल में 40 सीटों के साथ कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. इन आंकड़ों के हिसाब से राज्यसभा की ये सीट कांग्रेस की झोली में जाना तय था. लेकिन वोटिंग के दौरान कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी. जिससे दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले और जब लॉटरी निकाली गई तो 25 विधायकों वाली बीजेपी के उम्मीदवार 9 विधायकों की क्रॉस वोटिंग की बदौलत चुनाव जीत गए.
इन बागियों ने कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर अनदेखी और जनता से किए वादे पूरा ना करने का आरोप लगाते हुए क्रॉस वोटिंग को जायज ठहराया. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद ये सभी बागी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये कांग्रेस पार्टी से लेकर हिमाचल की कांग्रेस सरकार और खासकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर हमलावर रहे हैं. क्रॉस वोटिंग के बाद संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान की शिकायत पर हिमाचल विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इन बागियों को व्हिप के उल्लंघन का दोषी पाया और 29 फरवरी को 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. इन विधायकों की बर्खास्तगी के बाद 68 विधायकों वाली विधानसभा में 6 सीटें खाली हो गईं. जिन पर चुनाव आयोग ने उपचुनाव का ऐलान कर दिया है.
राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के बाद से ही ये बागी विधायक हिमाचल से बाहर हैं. पहले ये बागी पंचकूला के होटल में रहे फिर ऋषिकेश और अब दिल्ली में डेरा डाला हुआ है. इस बीच इन विधायकों ने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. जहां कोर्ट ने बागी विधायकों को झटका देते हुए अयोग्यता को बरकरार रखा और मामले की अगली सुनवाई 6 मई को तय कर दी थी.
6 कांग्रेस के बागी और 3 निर्दलीय थामेंगे बीजेपी का दामन
2019 विधानसभा चुनाव में धर्मशाला से विधायक चुने गए सुधीर शर्मा के अलावा सुजानपुर से राजेंद्र राणा, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो, गगरेट से चैतन्य शर्मा ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी. ये सभी अब बीजेपी में शामिल होने वाले हैं. इसके अलावा 3 निर्दलीय विधायकों में हमीरपुर सीट से विधायक आशीष शर्मा, देहरा से होशियार सिंह और नालागढ़ से केएल ठाकुर ने भी राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की बजाय बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया था. माना जा रहा है कि ये तीनों भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.
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