शिमला: हिमाचल प्रदेश का आर्थिक संकट गंभीर होता जा रहा है. आने वाले समय में वेतन व पेंशन की देनदारी कठिन होती चली जाएगी. सरकारी खजाने में पैसा कहां से आएगा, इसकी चिंता बढ़ने वाली है. आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश में पेंशनर्स की संख्या सवा दो लाख को क्रॉस कर जाएगी. सोलहवें वित्त आयोग के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से जो आंकड़े रखे गए हैं, उनके अनुसार वित्त वर्ष 2030-31 में हिमाचल में पेंशनर्स की संख्या 2 लाख, 38 हजार, 827 हो जाएगी. तब राज्य सरकार को उनकी पेंशन देने के लिए एक साल में 19 हजार, 628 करोड़ रुपए की रकम चाहिए. इस रकम का इंतजाम करना कोई आसान काम नहीं होगा.
संशोधित वेतनमान व ओपीएस से बढ़ा दबाव
हिमाचल में कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया है. संशोधित वेतनमान के एरियर का ही अभी 9000 करोड़ रुपए बकाया है. इसके अलावा डीए की देनदारी भी है. अभी सातवें वेतन आयोग का समय होने वाला है. इधर, राज्य सरकार ने हिमाचल में ओपीएस लागू की है. उसका इंपैक्ट भी खजाने पर आ रहा है. नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद संशोधित वेतनमान व ओपीएस के कारण अब राज्य सरकार के खजाने पर सैलरी व पेंशन का बिल 59 प्रतिशत बढ़ा है. ये फाइनेंस कमीशन को दिए गए मेमोरेंडम में दर्ज है.
इस तरह साल-दर-साल बढ़ेगी पेंशनर्स की संख्या
हिमाचल प्रदेश में इस समय यानी वित्त वर्ष 2024-25 में पेंशनर्स की संख्या दो लाख से कम है. इस समय ये संख्या 1,89,466 है. वित्त वर्ष 2025-26 में ये संख्या 1,99,931 होगी. फिर 2026-27 में पेंशनर्स बढ़कर 2,08,896 हो जाएंगे. अगले वित्त वर्ष यानी 2027-28 में पेंशनर्स की संख्या 2,17,115 होगी. फिर 2028-29 में 2,24,563, वित्त वर्ष 2029-30 में 2,31,682 और वित्त वर्ष 2030-31 में बढ़कर 2,38,827 हो जाएगी.
हर साल यूं बढ़ेगी देनदारी
वित्त वर्ष | पेंशन खर्च (खर्च करोड़ रुपए में) |
2024-25 | 9961 |
2025-26 | 10858 |
2026-27 | 16823 |
2027-28 | 17130 |
2028-29 | 17655 |
2029-30 | 18420 |
2030-31 | 19628 |
बढ़ती देनदारी ने कर्ज के ऑक्टोपस में जकड़ा गया हिमाचल
वित्त वर्ष 2026-27 में जिस समय सोलहवें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होंगी, सरकार को लोन किस्त व ब्याज की अदायगी के लिए 12361 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. अगले वित्त वर्ष यानी 2027-28 में लोन किस्त के 4730 करोड़ व ब्याज के 8115 करोड़ रुपए को मिलाकर दोनों मदों में कुल 12845 करोड़ रुपए की देनदारी होगी. इसी प्रकार 2028-29 में लोन किस्त 5072 करोड़ व ब्याज अदायगी 8865 करोड़ को मिलाकर एक साल की देनदारी 13937 करोड़ रुपए रहेगी. वित्त वर्ष 2029-30 में लोन किस्त के 5347 करोड़ रुपए व ब्याज के 9595 करोड़ रुपए को मिलाकर कुल एक साल की देनदारी 14942 करोड़ रुपए होगी. अंतिम वित्त वर्ष यानी 2030-31 में लोन किस्त 6126 करोड़ रुपए व ब्याज अदायगी 10507 करोड़ को मिलाकर ये रकम 14942 करोड़ होगी. यानी पांच साल में लोन किस्त की अदायगी 26101 करोड़ रुपए व ब्याज के 44617 करोड़ रुपए को मिलाकर कुल पांच साल की देनदारी 70718 करोड़ रुपए होगी. ऐसे में भविष्य में भी आर्थिक संकट दूर होता नहीं दिख रहा है.