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सुक्खू सरकार के खिलाफ जल रक्षकों का हल्ला बोल, स्थायी करने की रखी मांग, हड़ताल की दी चेतावनी - Shimla Jal Rakshak Protests

Himachal Jal Rakshak Protest against Sukhu Govt in Shimla: शिमला में अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर से आए जल रक्षकों ने सुक्खू सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस ने विधानसभा की ओर बढ़ रहे जल रक्षकों को रोका. जिसके बाद पुलिस के साथ जल रक्षकों की झड़प हुई. जल रक्षकों ने मांग पूरी नहीं होने पर सरकार को हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी.

Himachal Jal Rakshak Protest
शिमला जल रक्षकों का हल्ला बोल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 6, 2024, 8:17 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के जल रक्षकों ने सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन आज विधानसभा के बाहर प्रदेश भर से जल रक्षक अपनी मांगों को लेकर पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. चौड़ा मैदान से विधानसभा की और कूच कर रहे जल रक्षको को पुलिस ने बैरिकेट लगाकर रोका. जहां जल रक्षकों और पुलिस के बीच धक्का मुक्की भी हुई.

जल रक्षक महासंघ के अध्यक्ष रूप लाल ने कहा, "सरकार उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है. लाखों रुपए सैलरी लेने वालों को तो समय से सैलरी मिल रही हैं. लेकिन चार पांच हजार लेने वालो की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा. कम सैलरी में घर चलाना मुश्किल हो रहा हैं. 12 साल की नौकरी पूरी कर चुके लोगों को रेगुलर किया जाए. कॉन्ट्रेक्ट का समय 12 साल से घटाकर 8 वर्ष कर स्थाई नीति बनाई जाए".

उन्होंने कहा कि लाखों रुपए सैलरी लेने वालो की तनख्वाह पांच दिन देरी से मिली तो विपक्ष ने भी मामला सदन में पुरजोर से उठाया. लेकिन हमारी आवाज विपक्ष भी नहीं उठा रहा. सीएम ने न्यूनतम वेतनमान देने की बात कही थी, लेकिन मिलेगा कब पता नहीं. सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार कोई सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर न करें. सरकार उनकी बात नहीं सुनती हैं तो भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे.

उन्होंने कहा कि जल रक्षक महासंघ की मुख्य मांग उनका कॉन्ट्रैक्ट पर आने की अवधि को 12 वर्ष से घटाकर कम किया जाए और उनके लिए स्थायी पॉलिसी बनाई जाए. जो जल रक्षक 12 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं, उनके लिए पोस्ट सृजित की जाए. ताकि वह कॉन्ट्रैक्ट पर आ सके. 12 वर्ष का कार्यकाल पूरा किए हुए उन्हें बहुत समय हो गया है, लेकिन अभी तक वह अनुबंध पर भी नहीं आए है.

रूप लाल ने कहा, पहले भी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मुलाकात करके वह अपनी मांगों के बारे में विस्तार से बता चुके हैं. लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगे है. उन्होंने कहा कि उप-मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश जारी किए थे कि उनकी कॉन्ट्रैक्ट पर आने की अवधि को घटाया जाए. मुख्यमंत्री ने पॉलिसी में संशोधन करने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए थे कि उनकी मांगों को कैबिनेट में लाया जाए, इसके बावजूद भी सरकार ने जल रक्षक महासंघ की मांगों पर कोई गौर नहीं किया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में भांग की खेती का रास्ता हुआ साफ, अब सरकार इस पर जल्द लाएगी पॉलिसी: जगत सिंह नेगी

शिमला: हिमाचल प्रदेश के जल रक्षकों ने सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन आज विधानसभा के बाहर प्रदेश भर से जल रक्षक अपनी मांगों को लेकर पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. चौड़ा मैदान से विधानसभा की और कूच कर रहे जल रक्षको को पुलिस ने बैरिकेट लगाकर रोका. जहां जल रक्षकों और पुलिस के बीच धक्का मुक्की भी हुई.

जल रक्षक महासंघ के अध्यक्ष रूप लाल ने कहा, "सरकार उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है. लाखों रुपए सैलरी लेने वालों को तो समय से सैलरी मिल रही हैं. लेकिन चार पांच हजार लेने वालो की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा. कम सैलरी में घर चलाना मुश्किल हो रहा हैं. 12 साल की नौकरी पूरी कर चुके लोगों को रेगुलर किया जाए. कॉन्ट्रेक्ट का समय 12 साल से घटाकर 8 वर्ष कर स्थाई नीति बनाई जाए".

उन्होंने कहा कि लाखों रुपए सैलरी लेने वालो की तनख्वाह पांच दिन देरी से मिली तो विपक्ष ने भी मामला सदन में पुरजोर से उठाया. लेकिन हमारी आवाज विपक्ष भी नहीं उठा रहा. सीएम ने न्यूनतम वेतनमान देने की बात कही थी, लेकिन मिलेगा कब पता नहीं. सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार कोई सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर न करें. सरकार उनकी बात नहीं सुनती हैं तो भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे.

उन्होंने कहा कि जल रक्षक महासंघ की मुख्य मांग उनका कॉन्ट्रैक्ट पर आने की अवधि को 12 वर्ष से घटाकर कम किया जाए और उनके लिए स्थायी पॉलिसी बनाई जाए. जो जल रक्षक 12 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं, उनके लिए पोस्ट सृजित की जाए. ताकि वह कॉन्ट्रैक्ट पर आ सके. 12 वर्ष का कार्यकाल पूरा किए हुए उन्हें बहुत समय हो गया है, लेकिन अभी तक वह अनुबंध पर भी नहीं आए है.

रूप लाल ने कहा, पहले भी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मुलाकात करके वह अपनी मांगों के बारे में विस्तार से बता चुके हैं. लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगे है. उन्होंने कहा कि उप-मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश जारी किए थे कि उनकी कॉन्ट्रैक्ट पर आने की अवधि को घटाया जाए. मुख्यमंत्री ने पॉलिसी में संशोधन करने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए थे कि उनकी मांगों को कैबिनेट में लाया जाए, इसके बावजूद भी सरकार ने जल रक्षक महासंघ की मांगों पर कोई गौर नहीं किया है.

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