शिमला: करीब 21 साल पहले गाड़ी की टक्कर से चार युवकों की मौत हो गयी थी. लापरवाही से वाहन चलाने के साथ गैर इरादतन हत्या के मामले में निचली अदालत ने दोषी को 2 साल की कैद की सजा सुनाई थी. इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गाड़ी की टक्कर से 4 लोगों की मौत से जुड़े मामले में दोषी चालक को सुनाई दो साल कैद की सजा को सही ठहराया है. दोषी को यह सजा गैर इरादतन हत्या का दोषी पाए जाने पर सुनाई गई थी. हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने दोषी बंत राम की याचिका को खारिज करते हुए तुरंत ट्रायल कोर्ट कसौली के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश जारी किए.
मामले के अनुसार मुनीश शर्मा ने कसौली पुलिस स्टेशन में 19 मार्च 2003 को मामला दर्ज करवाया था कि वह अपने भाई सोहन लाल और अपने दोस्त सौरव कालरा, सोहन लाल, अमित सूद, शिव कुमार के साथ अलग अलग मोटरसाइकिल पर पिंजौर से शीतला माता मंदिर परवाणू जा रहे थे. इसी दौरान जब उनकी मोटरसाइकिल दत्यार के नजदीक पहुंची तो अचानक दूसरी तरफ से दोषी बंत राम तेज रफ्तार में स्वराज माजदा गाड़ी को चलाते हुए आया और दो मोटरसाइकिलों को टक्कर मार दी. इस टक्कर में गौरव, सौरव कालरा, सोहन लाल और अमित सूद को गंभीर चोटें आई और अंततः उनकी मौत हो गई.
मामला दर्ज होने पर दोषी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 304 ए और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. ट्रायल कोर्ट कसौली में दोषी के खिलाफ दोष सिद्ध करने के लिए पुलिस ने 8 गवाह पेश किए. दोष सिद्ध होने पर चालक को तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाने पर 6 माह की कैद और 4 लोगों की गैर इरादतन हत्या के जुर्म में 2 साल के कारावास की सजा सुनाई थी. इस सजा को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोलन ने भी सही ठहराया था.
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