ETV Bharat / state

तीन साल का सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति के बिना ट्रांसफर करना गलत, हाईकोर्ट ने कहा-कानून की नजर में ये स्वीकार नहीं - HIMACHAL HIGH COURT

हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा तीन साल का सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति के बिना ट्रांसफर करना गलत है.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 7, 2024, 10:02 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने तीन वर्ष का सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना कर्मचारी के तबादला आदेश को कानून की नजर में अस्वीकार्य ठहराया है. अदालत ने साथ ही तबादला आदेश को खारिज भी कर दिया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि याचिकाकर्ता चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है और अदालत का यह सुविचारित मत है कि उसे तीन वर्ष का सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना ट्रांसफर करना कानून की नजर में गलत है. याचिकाकर्ता को कियारी गुंडाह नामक स्थान से नाहन स्थानांतरित किया गया था.

अदालत ने कहा कि ये कानूनन मान्य नहीं है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कियारी गुंडाह में अपना सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज अस्पताल नाहन ट्रांसफर कर दिया गया है. हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि अदालत अच्छी तरह समझ सकती है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दूर के स्थानों पर ट्रांसफर होने पर उसे किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सरकार को अपने इस कृत्य का बचाव करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. यह खुद सरकार की स्थानांतरण नीति का उल्लंघन है.

अदालत ने कहा सरकार की बनाई गई तबादला नीति के अनुसार किसी स्टेशन पर एक कर्मचारी का सामान्य कार्यकाल तीन वर्ष का होता है. इसलिए यह दलील देकर कि सरकार को डीओ नोट के आधार पर निजी प्रतिवादी को स्थानांतरित करने से नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि याचिकाकर्ता स्वयं ऐसे ही नोट का लाभार्थी रहा है. अदालत ने कहा कि कियारी गुंडाह और नाहन स्टेशन एक दूसरे से सटे हुए नहीं हैं. इन दोनों स्टेशनों के बीच की दूरी 100 किलोमीटर से अधिक है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है, प्रार्थी के तबादला आदेश रद्द किए जाते हैं.

ये भी पढ़ें: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस संजौली कॉलेज में छात्रा के निष्कासन का मामला, सोमवार तक टली सुनवाई

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने तीन वर्ष का सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना कर्मचारी के तबादला आदेश को कानून की नजर में अस्वीकार्य ठहराया है. अदालत ने साथ ही तबादला आदेश को खारिज भी कर दिया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि याचिकाकर्ता चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है और अदालत का यह सुविचारित मत है कि उसे तीन वर्ष का सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना ट्रांसफर करना कानून की नजर में गलत है. याचिकाकर्ता को कियारी गुंडाह नामक स्थान से नाहन स्थानांतरित किया गया था.

अदालत ने कहा कि ये कानूनन मान्य नहीं है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कियारी गुंडाह में अपना सामान्य कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दिए बिना डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज अस्पताल नाहन ट्रांसफर कर दिया गया है. हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि अदालत अच्छी तरह समझ सकती है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दूर के स्थानों पर ट्रांसफर होने पर उसे किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सरकार को अपने इस कृत्य का बचाव करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. यह खुद सरकार की स्थानांतरण नीति का उल्लंघन है.

अदालत ने कहा सरकार की बनाई गई तबादला नीति के अनुसार किसी स्टेशन पर एक कर्मचारी का सामान्य कार्यकाल तीन वर्ष का होता है. इसलिए यह दलील देकर कि सरकार को डीओ नोट के आधार पर निजी प्रतिवादी को स्थानांतरित करने से नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि याचिकाकर्ता स्वयं ऐसे ही नोट का लाभार्थी रहा है. अदालत ने कहा कि कियारी गुंडाह और नाहन स्टेशन एक दूसरे से सटे हुए नहीं हैं. इन दोनों स्टेशनों के बीच की दूरी 100 किलोमीटर से अधिक है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है, प्रार्थी के तबादला आदेश रद्द किए जाते हैं.

ये भी पढ़ें: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस संजौली कॉलेज में छात्रा के निष्कासन का मामला, सोमवार तक टली सुनवाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.