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बरसात से पहले सड़कों की स्थिति पर हिमाचल हाईकोर्ट गंभीर, सरकार-NHAI को दिए ये आदेश - HC on roads condition

हिमाचल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एनएचएआई को आदेश दिए कि वह भी बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच से बड़े बड़े पथरों और बड़ी चट्टानों को हटाए, ताकि नदी के पानी का बहाव तट से टकरा कर राष्ट्रीय राजमार्ग को कोई नुकसान न पहुंचा सके. कोर्ट ने एनएचएआई और प्रदेश लोक निर्माण विभाग की ओर से पेश स्टेट्स रिपोर्ट का आवलोकन करने के बाद यह आदेश जारी किए. कोर्ट ने प्रदेश सरकार को राजमार्गों का समय रहते उचित रख रखाव करने को भी कहा है.

Himachal High Court
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 14, 2024, 9:20 PM IST

शिमला: हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को राजमार्गों का समय रहते उचित रख रखाव करने के आदेश दिए हैं, ताकि आने वाली बरसात में किसी भी आपदा से निपटा जा सके. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों की स्थिति अच्छी बनी रहे, ताकि नागरिकों को भोजन, ईंधन इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.

हिमाचल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एनएचएआई को आदेश दिए कि वह भी बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच से बड़े बड़े पथरों और बड़ी चट्टानों को हटाए, ताकि नदी के पानी का बहाव तट से टकरा कर राष्ट्रीय राजमार्ग को कोई नुकसान न पहुंचा सके. कोर्ट ने एनएचएआई और प्रदेश लोक निर्माण विभाग की ओर से पेश स्टेट्स रिपोर्ट का आवलोकन करने के बाद यह आदेश जारी किए. कोर्ट ने कहा कि यद्यपि एनएचएआई ने पिछले वर्ष की बरसात में क्षतिग्रस्त अधिकांश सड़कों को दुरुस्त कर दिया है, लेकिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस मामले से जुड़ी मीटिंग की कार्यवाही परेशान कर देने वाली तस्वीर पेश कर रही है.

मीटिंग की कार्यवाही के दौरान मुख्य सचिव ने बताया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों की बहाली के बाद, एनएचएआई ने जिला कुल्लू से बहने वाली ब्यास नदी के किनारे सुरक्षित रखने के संबंध में कोई उपाय नहीं किया है. इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि राजमार्ग की बहाली के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग की नदी से ऊंचाई काफी कम हो गई है और मानसून के मौसम के दौरान क्षति की पूरी संभावना है. उपायुक्त कुल्लू ने भी बताया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ संवेदनशील बिंदु ऐसे हैं जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, लेकिन एनएचएआई ने इस संबंध में कुछ भी नहीं किया है. बैठक में ड्रेनेज मुद्दे का भी उल्लेख है और ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान में लोक निर्माण विभाग की मशीनरी पर भरोसा किए बिना एनएचएआई ने नदी के तल से बड़े बड़े बोल्डर को हटाने का कार्य करने का निर्णय लिया है और कहा गया है कि बोल्डर तब हटाए जा सकते हैं जब नदी का जलस्तर कम होगा.

अगली आपदा से पहले जागना जरूरी

कोर्ट ने अफसोस जताया कि यह अभ्यास अक्टूबर, 2023 और मई, 2024 के बीच पानी की कमी वाले मौसम के दौरान किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले वर्ष हुई भारी बरसात के कारण सैकड़ों सड़कें तबाह हो गई थी. इससे पहले भी हाईकोर्ट ने कहा था कि लोक निर्माण विभाग का अगली आपदा से पहले जागना जरूरी है. आपदा के बाद जागने से नुकसान की भरपाई ही करनी होती है, जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होता है. उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश ने जनहित से जुड़े इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्होंने हाल ही में कुल्लू मनाली का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने पाया कि पुराने हाईवे की स्थिति में कोई सुधार नहीं किया गया है.

अवैज्ञानिक तरीके से सुरंगे और राजमार्ग बनाने पर संज्ञान

पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त महीने में भारी बारिश से हुए भूस्खलन का मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है. इस दौरान सड़क को पहुंचे नुकसान की मरम्मत भी नहीं की जा रही है. कोर्ट ने कहा था कि इस फोरलेन में बनी सुरंगे ठीक तो हैं, लेकिन इनमें उड़ रही धूल और सड़क की बुरी हालत गाड़ी चालकों की मुश्किलें बड़ा रही है. कुछ स्थानों पर भू स्खलन के कारण सड़क तंग हो गई है जिस पर तुरंत प्रभावशाली कार्रवाई करने की जरूरत है. कोर्ट ने इन सभी मुद्दों पर एनएचएआई से स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने उपरोक्त स्थितियों में संभावित कदम उठाए जाने की जानकारी भी तलब की थी. हाईकोर्ट ने एनएचएआई द्वारा अवैज्ञानिक तरीके से सुरंगे और राजमार्ग बनाने पर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि हाल ही में भारी बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. भूस्खलन के कारण राजमार्गों को काफी नुकसान हुआ है और विशेष रूप से चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भू कटाव के कारण यातायात के लिए बाधित रहता है.

ये भी पढ़ें: पूर्व निर्दलीय विधायकों को सुक्खू सरकार कर रही थी प्रताड़ित, समर्थन देने का बनाया जा रहा था दबाव: जयराम ठाकुर

शिमला: हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को राजमार्गों का समय रहते उचित रख रखाव करने के आदेश दिए हैं, ताकि आने वाली बरसात में किसी भी आपदा से निपटा जा सके. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों की स्थिति अच्छी बनी रहे, ताकि नागरिकों को भोजन, ईंधन इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.

हिमाचल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एनएचएआई को आदेश दिए कि वह भी बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच से बड़े बड़े पथरों और बड़ी चट्टानों को हटाए, ताकि नदी के पानी का बहाव तट से टकरा कर राष्ट्रीय राजमार्ग को कोई नुकसान न पहुंचा सके. कोर्ट ने एनएचएआई और प्रदेश लोक निर्माण विभाग की ओर से पेश स्टेट्स रिपोर्ट का आवलोकन करने के बाद यह आदेश जारी किए. कोर्ट ने कहा कि यद्यपि एनएचएआई ने पिछले वर्ष की बरसात में क्षतिग्रस्त अधिकांश सड़कों को दुरुस्त कर दिया है, लेकिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस मामले से जुड़ी मीटिंग की कार्यवाही परेशान कर देने वाली तस्वीर पेश कर रही है.

मीटिंग की कार्यवाही के दौरान मुख्य सचिव ने बताया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों की बहाली के बाद, एनएचएआई ने जिला कुल्लू से बहने वाली ब्यास नदी के किनारे सुरक्षित रखने के संबंध में कोई उपाय नहीं किया है. इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि राजमार्ग की बहाली के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग की नदी से ऊंचाई काफी कम हो गई है और मानसून के मौसम के दौरान क्षति की पूरी संभावना है. उपायुक्त कुल्लू ने भी बताया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ संवेदनशील बिंदु ऐसे हैं जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, लेकिन एनएचएआई ने इस संबंध में कुछ भी नहीं किया है. बैठक में ड्रेनेज मुद्दे का भी उल्लेख है और ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान में लोक निर्माण विभाग की मशीनरी पर भरोसा किए बिना एनएचएआई ने नदी के तल से बड़े बड़े बोल्डर को हटाने का कार्य करने का निर्णय लिया है और कहा गया है कि बोल्डर तब हटाए जा सकते हैं जब नदी का जलस्तर कम होगा.

अगली आपदा से पहले जागना जरूरी

कोर्ट ने अफसोस जताया कि यह अभ्यास अक्टूबर, 2023 और मई, 2024 के बीच पानी की कमी वाले मौसम के दौरान किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले वर्ष हुई भारी बरसात के कारण सैकड़ों सड़कें तबाह हो गई थी. इससे पहले भी हाईकोर्ट ने कहा था कि लोक निर्माण विभाग का अगली आपदा से पहले जागना जरूरी है. आपदा के बाद जागने से नुकसान की भरपाई ही करनी होती है, जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होता है. उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश ने जनहित से जुड़े इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्होंने हाल ही में कुल्लू मनाली का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने पाया कि पुराने हाईवे की स्थिति में कोई सुधार नहीं किया गया है.

अवैज्ञानिक तरीके से सुरंगे और राजमार्ग बनाने पर संज्ञान

पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त महीने में भारी बारिश से हुए भूस्खलन का मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है. इस दौरान सड़क को पहुंचे नुकसान की मरम्मत भी नहीं की जा रही है. कोर्ट ने कहा था कि इस फोरलेन में बनी सुरंगे ठीक तो हैं, लेकिन इनमें उड़ रही धूल और सड़क की बुरी हालत गाड़ी चालकों की मुश्किलें बड़ा रही है. कुछ स्थानों पर भू स्खलन के कारण सड़क तंग हो गई है जिस पर तुरंत प्रभावशाली कार्रवाई करने की जरूरत है. कोर्ट ने इन सभी मुद्दों पर एनएचएआई से स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने उपरोक्त स्थितियों में संभावित कदम उठाए जाने की जानकारी भी तलब की थी. हाईकोर्ट ने एनएचएआई द्वारा अवैज्ञानिक तरीके से सुरंगे और राजमार्ग बनाने पर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि हाल ही में भारी बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. भूस्खलन के कारण राजमार्गों को काफी नुकसान हुआ है और विशेष रूप से चंडीगढ़-शिमला और चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भू कटाव के कारण यातायात के लिए बाधित रहता है.

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