शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नगर परिषद चंबा में नियमित कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं. मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ को मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि नगर परिषद चंबा में कोई नियमित कार्यकारी अधिकारी नहीं है जिस कारण परिषद से जुड़े कार्यों को निपटाने व अदालती आदेशों की अनुपालना में कठिनाई आ रही.
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 11 मई 2023 को जारी आदेशों के तहत नगर परिषद चंबा के प्लानिंग क्षेत्र में विकास योजना का उल्लंघन कर बनाए गए सभी निर्माणों को गिराने के आदेश जारी किए थे. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अवैध निर्माण पाए जाने पर एक माह के भीतर नोटिस जारी करने से लेकर जांच की प्रक्रिया पूरी करने के पश्चात व्यक्ति विशेष अथवा सरकारी विभाग की ओर से किए गए अवैध निर्माण और कब्जों को हटाना होगा. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि ये आदेश विशेष परिस्थितियों में जारी किए जा रहे हैं, अतः अवैध कब्जे हटाते समय नगर निगम अधिनियम के तहत प्रक्रिया को अपनाने की कोई जरूरत नहीं है.
कोर्ट ने संबंधित दीवानी, राजस्व और अन्य अदालतों को हाईकोर्ट के आदेशों पर अमल को लेकर कार्रवाई के खिलाफ मामले पंजीकृत न करने के आदेश भी दिए थे. हाईकोर्ट ने चम्बा के चौगान के चारों तरफ नगर परिषद चंबा द्वारा दुकानों का निर्माण किए जाने के मामले में कला क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार विजेता विजय शर्मा की ओर से मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए ये आदेश पारित किए थे.
खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव नगर नियोजन, डीसी चंबा और नगर परिषद चंबा से प्रार्थी के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा था. पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया था कि नगर परिषद चंबा द्वारा चंबा चौगान के चारों तरफ दुकानों का निर्माण किया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2007 में जारी अधिसूचना के तहत चंबा के चौगान के चारों तरफ किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाई गयी है. यह भी आरोप लगाया गया है कि इस अवैध निर्माण से चौगान को नुकसान पहुंच रहा है.