शिमला: हिमाचल में मानसून सत्र के तीसरे दिन शराब की नीलामी का मामला खूब गर्माया. प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक रणधीर शर्मा और सुरेंद्र शौरी ने शराब की नीलामी और ठेकों को लेकर सवाल उठाते हुए सरकार पर घोटाले के आरोप लगाए और इसकी न्यायिक जांच की मांग की. इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सिंह सुक्खू ने जवाब देना शुरू किया तो विपक्ष ने सदन में शोर शराबा शुरू कर दिया और सदन से वॉकआउट कर दिया.
बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि, 'नई एक्साइज पॉलिसी के तहत शराब की रखी गई रिजर्व प्राइज से कम की बोली लगी है. इसमें घोटाले की बू आ रही है और ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का प्रयास हुआ है. क्या इसकी दोबारा बोली लगेगी या इसकी न्यायिक जांच होगी.' सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जवाब देते हुए कहा कि. 'पूर्व में रही भाजपा की सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने पांच सालों में जिस प्रकार से सरकारी खजाने को लुटाया वह शर्मनाक है. प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति के लिए पिछली भाजपा सरकार जिम्मेदार है. प्रदेश में आज जो वित्तीय हालात हैं. पहले कभी नहीं थे.'
'सीएम ने पूछा किसने किया घोटाला'
सदन में शराब की नीलामी पर पूछे गए प्रश्न पर सीएम सुक्खू ने कहा कि, 'विपक्ष के नेता ने बहुत अच्छा प्रश्न किया था, लेकिन वो इसमें खुद में ही फंस गए. प्रदेश में पिछले पांच साल भाजपा की सरकार सत्ता में रही, जिसमें भाजपा की सरकार ने पांच साल में शराब के ठेकों से सिर्फ 685 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया था. वहीं, हमारी सरकार ने शराब के ठेकों की नीलामी से एक साल में ही 485 करोड़ रुपये की कमाई की है. उन्होंने पूछा कि शराब के ठेकों में घोटाला किसने किया है? इस बारे में भाजपा सरकार में रहे आबकारी मंत्री को जवाब देना चाहिए कि 5 साल में ठेकों की नीलामी क्यों नहीं हुई? क्यों ठेके रिन्यू किए जाते रहे. क्या यह महाघोटाला नहीं था?'
'आर्थिक स्थिति में लगातार हो रहा है सुधार'
सीएम ने कहा कि, हमारी सरकार के प्रबंधन से आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है. राजस्व बढाने की दिशा में सरकार काम कर रही है. मैं चाहता हूं कि प्रदेश के सभी वर्गों, अधिकारियों और कर्मचारियों का इसमें सरकार को सहयोग मिले. अगले वित्तीय वर्ष में सरकार आर्थिक हालात पर काबू पाने में कामयाब हो जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकारें आती और जाती रहती हैं. आज मैं मुख्यमंत्री हूं, कल कोई और होगा, लेकिन प्रदेश को वर्तमान वित्तीय हालात पर नहीं छोड़ा जा सकता. आर्थिक हालात ठीक करने के लिए कड़े निर्णय लेने ही होंगे. तभी युवाओं का भविष्य सुरक्षित होगा और रोजगार मिलेगा. हम अपनी सुधरी अर्थव्यवस्था पर ब्रेक नहीं लगा सकते, इसलिए और आर्थिक सुधारों की ओर आगे बढ़ रहे हैं. दो महीनों तक हमने वेतन-भत्ते न लेने का फैसला लिया है. हमने सभी अधिकारियों को डीए और एरियर का बकाया देना है. आर्थिक स्थिति सुधरते ही इस पर निर्णय लेंगे. हमने आर्थिक स्थिति सुदृढ करने के लिए बड़े होटलों की बिजली सब्सिडी बंद कर दी है. बीते कल यह निर्णय लिया गया है.'