शिमला: हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा सीटों सहित छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं. भाजपा ने सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार कर प्रचार भी शुरू कर दिया है, लेकिन कांग्रेस अभी टिकट फाइनल नहीं कर पाई है. कांग्रेस की तरफ से सिर्फ दो लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार तय किए गए हैं. अभी दो लोकसभा व छह विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी चुनने हैं. आखिर प्रत्याशी चयन वाली कांग्रेस की गाड़ी कहां अटक गई है. मौजूदा सियासी परिदृश्य देखें तो भाजपा ने प्रचार के मोर्चे में कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है. वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं की चिंता है कि प्रत्याशी चयन में जितनी देर होगी, प्रचार वार में भाजपा को पछाड़ना उनके लिए उतना ही कठिन होगा.
आलम ये है कि बीजेपी उम्मीदवारों में कंगना रनौत सहित अनुराग ठाकुर, सुरेश कश्यप और डॉ. राजीव भारद्वाज ने अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में सघन प्रचार शुरू कर चुके हैं. कंगना रनौत ने तो प्रचार में सुर्खियां बटोरने में अनुराग ठाकुर को भी पीछे छोड़ दिया है. इस समय सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया में कंगना के प्रचार की चर्चा चल रही है. विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतारने के बाद अब मंडी में मुकाबला दिलचस्प हो गया है. वहीं, शिमला से विनोद सुल्तानपुरी भी प्रचार की तैयारी में जुट गए हैं. इन सारी सियासी डवलपमेंट के बीच ये देखना है कि आखिर कांग्रेस की टिकट वाली गाड़ी कहां अटकी है?
कांग्रेस हाईकमान ने पहले 19 अप्रैल यानी शुक्रवार को सीईसी यानी सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की मीटिंग तय की थी. अब ये मीटिंग टल गई है. कांग्रेस निरंतर ये मंथन कर रही है कि प्रत्याशी चयन सर्वे के आधार पर हो और सभी एकमत हों. पिछली बैठक में हमीरपुर से जब सतपाल सिंह रायजादा के नाम पर चर्चा हो रही थी तो हाईकमान ने ये प्वाइंट रखा कि अनुराग सिंह ठाकुर को वॉकओवर नहीं दिया जा सकता. रायजादा ऊना सदर से विधायक रहे हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में वे भाजपा नेता सतपाल सिंह सत्ती से हार गए थे.
हमीरपुर से सतपाल रायजादा के टिकट की पैरवी डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री कर चुके हैं. कई सभाओं में उन्होंने इस बात का इशारा भी किया गया और मीडिया से बातचीत में भी डिप्टी सीएम ने रायजादा का नाम लिया था.
ऐसे में ये तय माना जा रहा था कि रायजादा को अनुराग ठाकुर के मुकाबले उतारा जाएगा, लेकिन हाईकमान ने इसमें सहमति नहीं जताई. हाईकमान की तरफ से ऐसा प्रस्ताव भी आया कि क्यों न डिप्टी सीएम की बेटी डॉ. आस्था को या फिर खुद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी को प्रत्याशी चयन के लिए कंसीडर किया जाए? आस्था के नाम पर मुकेश अग्निहोत्री ने असमर्थता जताई और अपनी पारिवारिक परिस्थितियों का हवाला दिया. उल्लेखनीय है कि डिप्टी सीएम की धर्मपत्नी प्रोफेसर सिम्मी का फरवरी में अकस्मात देहांत हो गया था. फिर गुरुवार को आस्था ने भी चुनाव मैदान में उतरने से इनकार कर दिया. इस तरह हमीरपुर सीट का टिकट फाइनल नहीं हो सका.
कांगड़ा में भी दुविधा
कांगड़ा सीट से कांग्रेस की बड़ी नेता आशा कुमारी को टिकट मिलने की चर्चाएं थीं. आशा कुमारी पिछला चुनाव हार गई थीं, लेकिन वे संगठन में प्रभावशाली भूमिकाओं में रही हैं. वे कैबिनेट मंत्री रही हैं और 2017 में विधानसभा चुनाव जीती थीं. एक नाम नगरोटा से विधायक आरएस बाली को भी कंसीडर किया जा रहा था. आरएस बाली कांग्रेस के कद्दावर नेता जीएस बाली के बेटे हैं और पहली बार विधायक बने हैं. लेकिन हाईकमान का विचार था कि ओबीसी या फिर गद्दी समुदाय से भी किसी नेता के नाम पर चर्चा होनी चाहिए. पार्टी का एक वर्ग ये मानता है कि दो विधायकों को पहले ही चुनाव मैदान में उतारा जा चुका है, ऐसे में एक और विधायक पर दांव खेलना कितना उचित होगा. इस तरह दोनों ही सीटे यानी हमीरपुर और कांगड़ा में प्रत्याशी चयन टल गया. अब अगले हफ्ते इस पर कोई निर्णय हो सकता है.
कांग्रेस की दोहरी दुविधा
1 जून को हिमाचल की चारों लोकसभा के अलावा 6 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा उम्मीदवार चुनने की दोहरी दुविधा है. उधर बीजेपी लोकसभा के अलावा विधानसभा की 6 सीटों पर उम्मीदवार काफी पहले ही तय कर चुकी है. दरअसल कांग्रेस ये मानकर चल रही है कि हिमाचल में आखिरी चरण में चुनाव हैं. पहले लोकसभा प्रत्याशियों का चयन हो जाए, फिर विधानसभा उपचुनाव की सोची जाएगी. कांग्रेस छह सीटों पर उपचुनाव को लेकर दुविधा में भी है. एक तरफ तो पार्टी ने ये तय किया है कि उपचुनाव का मुद्दा टिकाऊ वर्सेस बिकाऊ रखा जाएगा. वहीं कांग्रेस कम से कम तीन सीटों पर भाजपा के बागियों को भी टिकट की रेस में अनदेखा नहीं कर रही है.
लाहौल-स्पीति से डॉ. रामलाल मारकंडा ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया हुआ है. मारकंडा भाजपा की टिकट पर यहां से जीतकर कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वे कांग्रेस से टिकट की चाह रखते हैं, लेकिन कांग्रेस से भाजपा में आए रवि ठाकुर को जब पार्टी बिकाऊ कह रही है तो फिर मारकंडा को भाजपा से कांग्रेस में कैसे लिया जाएगा? यही हाल, सुजानपुर, बड़सर, गगरेट सीट का है. वैसे राकेश कालिया के कांग्रेस में शामिल होने से गगरेट सीट पर उन्हें टिकट मिलने के प्रबल आसार हैं.
वरिष्ठ पत्रकार ओपी वर्मा का कहना है कि भाजपा लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी चयन कर प्रचार में जुटी हुई है. कांग्रेस के टिकट फाइनल न होने का नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. चुनाव में मनोवैज्ञानिक असर काम करता है. कांग्रेस अभी दो लोकसभा सीटों पर ही प्रत्याशी चयनित कर पाई है. वहां भी भाजपा का प्रचार अभियान कांग्रेस से आगे है. भाजपा प्रत्याशियों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं से संपर्क में बढ़त बनाई है. कांग्रेस का प्रचार अभी ढंग से शुरू नहीं हो पाया है. इस तरह भाजपा के पास मनोवैज्ञानिक बढ़त तो है ही.
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल का दावा है कि पार्टी सभी लोकसभा सीटों के साथ छह विधानसभा उपचुनाव भी जीतेगी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि धनबल के आगे जनबल की जीत होगी. सीएम सुक्खू के अनुसार भाजपा ने उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की है, लेकिन जनता चुनाव में भाजपा को इसका जवाब देगी. फिलहाल, कांग्रेस कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं कि पार्टी के प्रत्याशी फाइनल हो जाएं तो प्रचार अभियान शुरू हो.
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