कुल्लू: देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर जिस तरह से लद्दाख के पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक व उनके साथ पैदल चल रहे सहयोगियों को रोका गया और पुलिस के द्वारा जिस तरह से उन्हें थाने में ले जाकर डिटेन किया गया, वो सब लोकतंत्र के विरुद्ध है. केंद्र की सरकार इस मामले में तानाशाही रवैया को अपना रही है. ये बात ढालपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय हिमाचल क्लाइमेट वॉरियर संस्था के प्रदेश समन्वयक महिमन चंद्र ने कही.
महिमन चंद्र ने इस पूरी घटना की निंदा करते हुए कहा, "सोनम वांगचुक कई दिनों से लेह से पैदल दिल्ली की यात्रा कर रहे हैं. 2 अक्टूबर को उन्होंने राजघाट पर जाकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना था. सोनम वांगचुक केंद्र सरकार के समक्ष जो अपनी मांगें रख रहे हैं, वो सभी मांगे पहले ही चुनाव के दौरान केंद्र सरकार के द्वारा मानी गई है, लेकिन उसके बाद सरकार इन सब मांगों को भूल गई है. इन्हीं सभी मांगों को याद दिलाने के लिए सोनम वांगचुक के द्वारा यह पैदल यात्रा की गई थी, लेकिन सरकार अपने तानाशाही रवैया से आम जनता की आवाज को दबाने का काम कर रही है."
I AM BEING DETAINED...
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) September 30, 2024
along with 150 padyatris
at Delhi Border, by a police force of 100s some say 1,000.
Many elderly men & women in their 80s and few dozen Army veterans...
Our fate is unknown.
We were on a most peaceful march to Bapu’s Samadhi... in the largest democracy… pic.twitter.com/iPZOJE5uuM
महिमन चंद्र ने कहा कि इससे पहले भी देश के पहलवानों के साथ, किसानों के साथ और कर्नाटक से आए लोगों के साथ इस तरह का व्यवहार केंद्र सरकार कर चुकी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह सोचना चाहिए कि अगर हिमालय है तो ही देश और उसकी जनता है, क्योंकि हिमालय के पर्यावरण के साथ आज व्यापक रूप से छेड़छाड़ हो रही है. जो आने वाले समय में पूरे देश के लिए खतरे की घंटी है. ऐसे में केंद्र सरकार अपना तानाशाही रवैया छोड़े और पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक द्वारा जो मांगें रखी गई है, उन पर जल्द से जल्द गौर करे और इसका समाधान निकालने की कोशिश करें.