शिमला: हिमाचल में विधानसभा की तीन सीटों पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी सहित 13 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला आज होगा. तीन विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में जनता किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधेगी, इसको लेकर आज दोपहर तक तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी. प्रदेश के तीन विधानसभा क्षेत्रों देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ में हुए उपचुनाव के तहत 10 जुलाई को मतदान हुआ था. अब इन तीनों ही सीटों का चुनाव परिणाम आज घोषित किया जाएगा. जिसके लिए मतों की गिनती 8 बजे शुरू हो जाएगी. इसके थोड़ी देर बाद ही रुझान आने भी शुरू हो जाएंगे. दोपहर 11 बजे तक चुनाव परिणाम घोषित हो सकते हैं. इस उपचुनाव में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर की साख दांव पर लगी है.
हमीरपुर विधानसभा सीट
हमीरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र वर्मा और बीजेपी उम्मीदवार आशीष शर्मा के बीच सीधी टक्कर है. आशीष शर्मा साल 2022 के हमीरपुर सीट पर निर्दलीय चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र वर्मा साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे.
देहरा विधानसभा सीट
कांगड़ा जिले की देहरा विधानसभा सीट पर सीएम सुक्खू की धर्म पत्नी कमलेश ठाकुर और बीजेपी प्रत्याशी होशियार सिंह के बीच सीधा मुकाबला है. कांग्रेस ने पिछले कई सालों से हारती आई देहरा सीट पर इस बार सीएम की धर्म पत्नी कमलेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, होशियार सिंह इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 2022 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. अब उपचुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं. सीएम सुक्खू की धर्म पत्नी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं. हालांकि इस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. राजेश शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन इस बार कांग्रेस हाईकमान उनका टिकट काट दिया.
नालागढ़ विधानसभा सीट
जिला सोलन के तहत नालागढ़ विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप सिंह बावा और भाजपा उम्मीदवार केएल ठाकुर के बीच में ही सीधी चुनावी जंग है. नालागढ़ विधानसभा सीट पर साल 2022 के विधानसभा चुनाव में केएल ठाकुर ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बाजी मारी थी. वहीं, कांग्रेस ने वर्ष 2022 में रहे पार्टी प्रत्याशी प्रत्याशी हरदीप सिंह बावा पर ही भरोसा जताया है. हरदीप सिंह बावा दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन अभी तक जीत नहीं मिल पाई है.
क्यों हुए उपचुनाव?
हिमाचल प्रदेश में 27 फरवरी को राज्यसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था. विधानसभा में 40 सीटों के साथ कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में थी. तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस को हासिल था. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को हाईकमान ने प्रदेश की कमान सौंपी, लेकिन कैबिनेट विस्तार को लेकर कांग्रेस के भीतर असंतोष रहा. सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा जैसे नेता कैबिनेट में जगह न मिलने और अनदेखी के कारण सीएम से नाराज थे. सीएम सुक्खू ने भी इस नाराजगी को हैंडल करने में खास रुचि नहीं दिखाई. असंतोष इस कदर बढ़ा कि प्रचंड बहुमत वाली कांग्रेस भाजपा के 25 विधायक होने के बावजूद राज्यसभा सीट हार गई.
इसके बाद हिमाचल की सियासत में घमासान हुआ. कांग्रेस के छह विधायक बागी हो गए. इसी प्रकार तीन इंडीपेंडेंट विधायक भी भाजपा के पाले में चले गए. विधानसभा अध्यक्ष ने फाइनेंशियल बिल के पारण के दौरान व्हिप का उल्लंघन करने पर कांग्रेस के छह विधायकों की सदस्यता रद्द कर उन्हें अयोग्य कर दिया. इस तरह छह सीटें खाली हो गईं. विधानसभा की खाली हुई इन छह सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए 1 जून को मतदान हुआ. जिसके नतीजे 4 जून को घोषित हुए. जिसमें चार सीटें कांग्रेस और दो सीटों पर भाजपा को जीत नसीब हुईं. तीन निर्दलीय विधायकों ने भी 22 मार्च को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. स्पीकर ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. हाईकोर्ट से निर्दलीय विधायकों पर फैसला आने के बाद स्पीकर ने 3 जून को तीनों निर्दलीय विधायकों का त्यागपत्र मंजूर कर लिया. इसके बाद फिर से प्रदेश की तीन विधानसभा में 10 जुलाई को उपचुनाव हुए, जिनका चुनाव परिणाम आज घोषित होगा.