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स्पीकर ने अभी तक स्वीकार नहीं किए तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे, क्या अदालत की चौखट तक जाएगा मामला - Himachal By Election 2024 - HIMACHAL BY ELECTION 2024

HP Speaker on Independent MLAs Resignation: हिमाचल प्रदेश में सियासी हलचल अभी भी जारी है. भाजपा में शामिल होने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने 5 दिन पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी तक स्पीकर ने इस्तीफा मंजूर नहीं किया है. ऐसे में भाजपा अब कानूनी विकल्प पर भी विचार कर रही है.

HP Speaker on Independent MLAs Resignation
HP Speaker on Independent MLAs Resignation
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 27, 2024, 2:23 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में फरवरी माह में आए सियासी तूफान के बीच अभी भी कई सुलगते सवाल हल नहीं हुए हैं. राज्यसभा सीट पर मतदान में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन का साथ देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने बाद में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. पिछले शुक्रवार को दिल्ली से शिमला पहुंचे तीन निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह, केएल ठाकुर व आशीष शर्मा ने अपना इस्तीफा विधानसभा सचिव के साथ ही विधानसभा स्पीकर को भी सौंपा. उसके बाद ये सभी शनिवार को भाजपा में शामिल हो गए. कांग्रेस से बगावत करने वाले छह नेता भी भाजपा में शामिल हो गए थे. उन सभी को भाजपा ने उपचुनाव में टिकट भी दे दिया है. अब तीन निर्दलीय विधायकों का मामला बचा हुआ है.

लीगल ऑपशन की ओर रुख करेगी भाजपा!

हालांकि इन तीनों निर्दलीय विधायकों को त्यागपत्र दिए हुए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इनका रिजाइन स्वीकार नहीं किया है. इतना समय बीत जाने के बाद भी निर्दलीय विधायकों का रिजाइन मंजूर न होने पर अब भाजपा कानूनी विकल्प पर भी विचार कर रही है. उल्लेखनीय है कि विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद सभी तीनों विधायक राजभवन भी गए थे और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को इस बारे में जानकारी दे चुके हैं. अब गेंद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के पाले में है.

अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं निर्दलीय

भाजपा की ये रणनीति थी कि कांग्रेस के छह बागियों सहित तीन निर्दलीयों को उपचुनाव में उतारा जाए. सभी को टिकट का भरोसा दिया गया था. कांग्रेस से भाजपा में आए छह नेताओं को तो टिकट मिल गया है, लेकिन तीन बागियों का मामला लटका हुआ है. भाजपा चाहती है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही तीन सीटों पर भी उपचुनाव हो जाएं, लेकिन उससे पहले निर्दलीयों का इस्तीफा मंजूर होना जरूरी है. अब स्पीकर की तरफ से फैसले का इंतजार है, नहीं तो विधायकों को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. हिमाचल हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट विक्रांत ठाकुर का कहना है कि मौजूदा कानून के तहत स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करना होगा. यदि स्पीकर इस्तीफे को नामंजूर करते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना होगा.

क्या कहता है एंटी डिफेक्शन लॉ

यहां उल्लेखनीय है कि मौजूदा विधानसभा के लिए ये निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनकर आए हैं. पांच साल की अवधि से पहले ही यदि निर्दलीय किसी राजनीतिक दल में शामिल होते हैं तो वे स्वत: ही एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत डिस्क्वालीफाई हो जाएंगे. इस डिसक्वालिफिकेशन से जुड़ा फैसला भी विधानसभा अध्यक्ष को लेना है. यानी कुल मिलाकर अब स्पीकर की भूमिका अहम है. अगर विधानसभा अध्यक्ष समय पर फैसला नहीं लेते हैं तो निर्दलीय विधायक कोर्ट जाएंगे.

विधानसभा उपचुनाव को लेकर 7 मई को नोटिफिकेशन

गौरतलब है कि हिमाचल में लोकसभा की चार सीटों सहित विधानसभा उपचुनाव को लेकर 7 मई को नोटिफिकेशन होनी है. ऐसे में भाजपा के लिए जल्द ही तीन निर्दलीय विधायकों के मामले का सुलझना जरूरी है. यही कारण है कि भाजपा की राज्य इकाई ने राजभवन समेत विधानसभा सचिवालय को महाराष्ट्र वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी भेजी है.

जयराम ने दिया महाराष्ट्र का एग्जांपल

पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि ऐसी ही सियासी परिस्थितियों में अदालत के फैसले आए हैं, जिनमें निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे व अन्य दल में शामिल होने का संदर्भ है. महाराष्ट्र में शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाला मामला स्पीकर राहुल नार्वेकर के पास लंबित है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्पीकर को निर्णायक फैसला सुनाने के लिए निर्देश दे चुका है. ऐसे में देखना है कि हिमाचल विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया क्या फैसला लेते हैं. यहां दिलचस्प तथ्य ये है कि कुलदीप सिंह पठानिया खुद वकालत के एक मंझे हुए खिलाड़ी हैं. पठानिया ऐसे कानूनी पहलुओं के बारे में बारीक जानकारी रखते हैं. वहीं, भाजपा के लिए यदि समय पर ये फैसला नहीं आता है तो उपचुनाव के लिए उसकी रणनीति प्रभावित होगी.

ये भी पढ़ें: मारकंडा के बाद बीजेपी के एक और पूर्व विधायक हुए 'बागी', 'हाथ' थामने के दिए संकेत

शिमला: हिमाचल प्रदेश में फरवरी माह में आए सियासी तूफान के बीच अभी भी कई सुलगते सवाल हल नहीं हुए हैं. राज्यसभा सीट पर मतदान में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन का साथ देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने बाद में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. पिछले शुक्रवार को दिल्ली से शिमला पहुंचे तीन निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह, केएल ठाकुर व आशीष शर्मा ने अपना इस्तीफा विधानसभा सचिव के साथ ही विधानसभा स्पीकर को भी सौंपा. उसके बाद ये सभी शनिवार को भाजपा में शामिल हो गए. कांग्रेस से बगावत करने वाले छह नेता भी भाजपा में शामिल हो गए थे. उन सभी को भाजपा ने उपचुनाव में टिकट भी दे दिया है. अब तीन निर्दलीय विधायकों का मामला बचा हुआ है.

लीगल ऑपशन की ओर रुख करेगी भाजपा!

हालांकि इन तीनों निर्दलीय विधायकों को त्यागपत्र दिए हुए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इनका रिजाइन स्वीकार नहीं किया है. इतना समय बीत जाने के बाद भी निर्दलीय विधायकों का रिजाइन मंजूर न होने पर अब भाजपा कानूनी विकल्प पर भी विचार कर रही है. उल्लेखनीय है कि विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद सभी तीनों विधायक राजभवन भी गए थे और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को इस बारे में जानकारी दे चुके हैं. अब गेंद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के पाले में है.

अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं निर्दलीय

भाजपा की ये रणनीति थी कि कांग्रेस के छह बागियों सहित तीन निर्दलीयों को उपचुनाव में उतारा जाए. सभी को टिकट का भरोसा दिया गया था. कांग्रेस से भाजपा में आए छह नेताओं को तो टिकट मिल गया है, लेकिन तीन बागियों का मामला लटका हुआ है. भाजपा चाहती है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही तीन सीटों पर भी उपचुनाव हो जाएं, लेकिन उससे पहले निर्दलीयों का इस्तीफा मंजूर होना जरूरी है. अब स्पीकर की तरफ से फैसले का इंतजार है, नहीं तो विधायकों को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. हिमाचल हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट विक्रांत ठाकुर का कहना है कि मौजूदा कानून के तहत स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करना होगा. यदि स्पीकर इस्तीफे को नामंजूर करते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना होगा.

क्या कहता है एंटी डिफेक्शन लॉ

यहां उल्लेखनीय है कि मौजूदा विधानसभा के लिए ये निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनकर आए हैं. पांच साल की अवधि से पहले ही यदि निर्दलीय किसी राजनीतिक दल में शामिल होते हैं तो वे स्वत: ही एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत डिस्क्वालीफाई हो जाएंगे. इस डिसक्वालिफिकेशन से जुड़ा फैसला भी विधानसभा अध्यक्ष को लेना है. यानी कुल मिलाकर अब स्पीकर की भूमिका अहम है. अगर विधानसभा अध्यक्ष समय पर फैसला नहीं लेते हैं तो निर्दलीय विधायक कोर्ट जाएंगे.

विधानसभा उपचुनाव को लेकर 7 मई को नोटिफिकेशन

गौरतलब है कि हिमाचल में लोकसभा की चार सीटों सहित विधानसभा उपचुनाव को लेकर 7 मई को नोटिफिकेशन होनी है. ऐसे में भाजपा के लिए जल्द ही तीन निर्दलीय विधायकों के मामले का सुलझना जरूरी है. यही कारण है कि भाजपा की राज्य इकाई ने राजभवन समेत विधानसभा सचिवालय को महाराष्ट्र वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी भेजी है.

जयराम ने दिया महाराष्ट्र का एग्जांपल

पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि ऐसी ही सियासी परिस्थितियों में अदालत के फैसले आए हैं, जिनमें निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे व अन्य दल में शामिल होने का संदर्भ है. महाराष्ट्र में शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाला मामला स्पीकर राहुल नार्वेकर के पास लंबित है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्पीकर को निर्णायक फैसला सुनाने के लिए निर्देश दे चुका है. ऐसे में देखना है कि हिमाचल विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया क्या फैसला लेते हैं. यहां दिलचस्प तथ्य ये है कि कुलदीप सिंह पठानिया खुद वकालत के एक मंझे हुए खिलाड़ी हैं. पठानिया ऐसे कानूनी पहलुओं के बारे में बारीक जानकारी रखते हैं. वहीं, भाजपा के लिए यदि समय पर ये फैसला नहीं आता है तो उपचुनाव के लिए उसकी रणनीति प्रभावित होगी.

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