शिमला: हिमाचल प्रदेश की सियासत में ऐसी हलचल पहले कभी नहीं देखी गई. शानदार बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस सरकार को राज्यसभा सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा. उसके बाद से जो सियासी तूफान उठा है, उसमें नित नए बवंडर देखने को मिल रहे हैं. क्रॉस वोट कर अभिषेक मनु सिंघवी को झटका देने वाले 6 कांग्रेस विधायक 28 फरवरी से ही हिमाचल की सियासी झील में कंकड़ फेंक कर हलचल मचा रहे हैं. भाजपा ने पहले छह बागी नेताओं को पार्टी में शामिल किया और फिर उपचुनाव के लिए टिकट भी थमा दिया. भाजपा ने सोचा कि अब इस नाटक का पटाक्षेप हो जाएगा, लेकिन कांग्रेस से आए नेताओं को टिकट मिलने से पार्टी विद ए डिफरेंस कहे जाने वाली भाजपा के भीतर ही नेताओं में डिफरेंस यानी मतभेद पैदा हो गए.
भाजपा में सुलगी बगावत की चिंगारी
शीत मरुस्थल वाली विधानसभा सीट लाहौल-स्पीति से सबसे पहले डॉ. रामलाल मारकंडा ने राजनीतिक गर्मी पैदा करने वाला बयान दिया. फिर कांगड़ा जिले से भाजपा के ओबीसी चेहरों में से एक राकेश चौधरी ने भाजपा हाईकमान की चौधराहट को चुनौती दी. राकेश चौधरी ने पिछला चुनाव सुधीर शर्मा के खिलाफ भाजपा की टिकट पर लड़ा था. अब गुरुवार 28 मार्च को धर्मशाला में जोरावर स्टेडियम में सुधीर के स्वागत का जोरदार इंतजाम किया जा रहा है. खैर, इससे पहले गगरेट के भाजपा नेता राकेश कालिया ने भाजपा को चिंता में डाला. फिर लखविंदर राणा नालागढ़ से भाजपा को माफ करने के मूड में नहीं दिखे, तो अब महेश्वर सिंह ने राजहठ पकड़ लिया है कि पार्टी के बड़े नेताओं से बात करेंगे. हालांकि महेश्वर सिंह का मामला मंडी लोकसभा सीट वाला है और हम यहां चर्चा विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव की कर रहे हैं.
रणजीत सिंह ने खोला मोर्चा
राजेंद्र राणा हिमाचल की राजनीति में किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं. वे प्रेम कुमार धूमल को परास्त कर चर्चा में आए थे. पिछले चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर एक सैन्य परंपरा से आए नेता रणजीत सिंह राणा को हराया था. अब राजेंद्र राणा भाजपाई हैं और उपचुनाव कमल के फूल के निशान पर लड़ रहे हैं. राजेंद्र राणा के चुनाव से भाजपा के नेताओं के दिल में शूल चुभा है. रणजीत सिंह ने विरोध का मन बनाया है.
विरोध में उतरे लखविंदर राणा
वहीं, 2022 विधानसभा चुनाव में नालागढ़ से केएल ठाकुर भाजपा से टिकट के चाहवान थे. उन्हें टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय मैदान में कूदे और मैदान मार लिया. केएल ठाकुर ने लखविंदर राणा को हराया जो पहले कांग्रेस से भाजपा में आए थे. अब लखविंदर राणा नाराज हो गए, वे भाजपा के इस कदम को गलत मान रहे हैं और विरोध पर उतर आए हैं.
धर्मशाला और लाहौल-स्पीति भाजपा में बगावत
सुधीर शर्मा कांग्रेस के सच्चे सिपाही थे. उनके पिता ने कांग्रेस में लंबी पारी खेली. दशकों की कांग्रेस वाली परंपरा को छोड़ कर सुधीर अब भाजपाई हैं. उन्हें टिकट मिलने से किशन कपूर सहित कई नेताओं के माथे पर त्यौरियां चढ़ आई हैं. राकेश चौधरी ने खुली बगावत करते हुए सुधीर की खिलाफत की है. इसी तरह लाहौल-स्पीति से रवि ठाकुर का परिवार भी पुरखों से कांग्रेसी रहा है. रवि ठाकुर 2022 में लाहौल से कांग्रेस टिकट पर जीते और रामलाल मारकंडा को हराया. अब रवि ठाकुर भाजपा में आ गए हैं तो रामलाल मारकंडा विद्रोह पर उतर आए हैं. मारकंडा ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है और वे संभवत कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगे.
वीरेंद्र कंवर की नाराजगी
कुटलैहड़ से देवेंद्र भुट्टो के भाजपा में शामिल होने के बाद से वीरेंद्र कंवर की नाराजगी जाहिर है. अभी तीन निर्दलीय विधायकों का फैसला होना है. उनके इस्तीफे स्वीकार होने की सूरत में भाजपा उनका टिकट भी पक्का करेगी. इससे पार्टी के भीतर विरोध की चिंगारी और तेज होगी. इसी बीच, मंडी के पंडोह में भाजपा के नाराज नेताओं का जुटान हुआ. उसमें तीन पूर्व विधायक जवाहर ठाकुर, तेजवंत नेगा और कर्नल इंद्र सिंह सहित अन्य नेता शामिल हुए. भाजपा के लिए ये भी चिंता का सबब है.
पक्ष-विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप
भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल का कहना है कि अंतत: पार्टी हाईकमान का फैसला सभी को मानना होता है. नाराज हुए नेता भी अपने ही हैं. उन्हें मनाया जाएगा. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि भाजपा सभी 6 सीटों पर विजय हासिल करेगी. वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि भाजपा ने धनबल से प्रदेश की जनता को छलने का काम किया है. ये सरासर हॉर्स ट्रेडिंग है. उपचुनाव में जनता भाजपा को इसका जवाब देगी. वहीं, वरिष्ठ मीडिया कर्मी कृष्ण भानू का मानना है कि भाजपा के लिए ये सारी परिस्थितियां उसकी राह को कठिन बनाएगी. देखना है कि अब भाजपा आने वाले समय में छह सीटों पर क्या रणनीति लेकर आगे बढ़ती है. पार्टी में पैदा हुई नाराजगी से भाजपा के रणनीतिकार कैसे निपटते हैं.